असम में विरोध प्रदर्शन असम में विरोध प्रदर्शन 

भारत में नई नागरिकता कानून के खिलाफ गायन और उपवास

असम में, टेलीफोन सेवाएं अवरुद्ध कर दी गई हैं और सेना दुकानदारों को डराने के लिए सड़कों पर गश्त कर रही है। विश्वविद्यालयों के विरोध प्रदर्शन "सभी अल्पसंख्यकों, आदिवासियों और दलितों में भय" के लक्षण हैं। इवेंजेलिकल फैलोशिप ने कानून को निरस्त करने का आह्वान किया जो क्रिसमस के माहौल को भी बर्बाद कर रहा है।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

नई दिल्ली, बुधवार 18 दिसम्बर 2019 (एशिया न्यूज) : मुसलमानों को वंचित रखे गये भारत के नए नागरिकता कानून का विरोध जारी है। असम में, छात्र "शांतिपूर्ण तरीके से अपने विरोध को व्यक्त करने के लिए रचनात्मक विचारों का उपयोग कर रहे हैं, इसमें उपवास और गायन शामिल है।" एशिया न्यूज से बात करते हुए गुवाहाटी के महाधर्माध्यक्ष एमेरिटुस थॉमस मेनम्पारम्पिल ने कहा।

महाधर्माध्यक्ष थॉमस केवल कुछ ही मिनटों के लिए बाहरी दुनिया के साथ संवाद करने में कामयाब रहे, क्योंकि भारतीय अधिकारियों ने विरोध प्रदर्शनों को नियंत्रण में रखने के लिए टेलीफोन को अवरुद्ध कर दिया। फिर भी, विरोध कम होने की संभावना नहीं है।

नागरिकता संशोधन कानून (सीएबी) का विरोध पूरे देश में जोरदार प्रदर्शन किया जा रहा है। यह विधेयक मुस्लिम समुदाय के खिलाफ भेदभावपूर्ण माना जाता है।

दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया में सप्ताहांत में हुई झड़पों के बाद, पुलिस ने पहले से ही दस अधिकारियों को को गिरफ्तार किया। उनमें से कोई भी नागरिकों की समान अधिकार के लिए चल रहे विरोध हेतु प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में शामिल नहीं हुए।फिर भी, देश के अन्य विश्वविद्यालयों ने भी वरोध प्रदर्शन में सोमवार को राजधानी में छात्रों के साथ शामिल हुए थे।

महाधर्माध्यक्ष मेनपरपम्पिल ने कहा, "मुस्लिम नाराज हैं कि उन्हें उन लोगों की सूची से बाहर रखा गया है, जिन्हें नागरिकता दी जाएगी। आदिवासी समुदायों और छोटे जातीय समूहों के अनुसार, "असमवासी इस बात से व्यथित हैं कि यदि अधिनियम को पूरी तरह से लागू किया जाता है, तो वे अपनी मातृभूमि में अल्पसंख्यक हो जाएंगे।"

उनहोंने कहा कि इस सब का सामना करते हुए, असमिया छात्रों ने दूसरों की तुलना में अधिक शांतिपूर्ण प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने एक दिन का उपवास किया और उन्होंने गुस्सा और नाराजगी की भावना व्यक्त करने के लिए एक संगीत कार्यक्रम आयोजित किया।"

उन्होंने कहा, "अधिकारियों ने सुधार का दावा किया। हालांकि, सेना के लोग हर जगह सायरन के साथ होते हैं। वे लोगों के दिलों में डर पैदा करते हैं, जो खरीददारी के लिए घर से बाहर निकलते है।"

जब से संकट शुरु हुआ है, कार्यकर्ताओं और मुसलमानों ने कानून की निंदा की है। इवेंजेलिकल फैलोशिप ऑफ इंडिया (ईएफआई) के साथ शामिल होकर उन्होंने नाराजगी व्यक्त की, केंद्र सरकार से कानून को निरस्त करने का आह्वान किया क्रिसमस के शांतिपूर्ण माहौल को बनाये रखने की अपील की।

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18 December 2019, 16:02