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पत्रकारों पर बढ़ते अपराधों की रोकथाम - यूएन

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव ने पत्रकारों के विरुद्ध अपराधों के लिए दंडमुक्ति समाप्त करने के अंतरराष्ट्रीय दिवस पर उन्होंने कहा कि पत्रकारों को जब निशाना बनाया जाता है तो उसका प्रहार पूरे समाज को भुगतना पड़ता है।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

न्यूयार्क, सोमवार 4 नवम्बर, 2019 (वाटिकन न्यूज) : संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है कि अभिव्यक्ति की आज़ादी और स्वतंत्र मीडिया की मौजूदगी टिकाऊ विकास के 2030 एजेंडा को हासिल करने के लिए बेहद आवश्यक है।

पिछले 12 वर्षों में एक हज़ार से ज़्यादा पत्रकारों को जान गंवानी पड़ी है और कई देशों में पत्रकारों को अक्सर हमलों का भी सामना करना पड़ता है। साथ ही उन्हें यातना दी जाती है, जबरन ग़ायब करा दिया जाता है, मनमाने ढंग से हिरासत में लिया जाता है और डराया-धमकाया जाता है। महिला पत्रकारों को विशेष रूप से जोखिम रहता है और यौन हमलों का ख़तरा भी।

हमलों और अपराधों में बढ़त

इस दिवस पर अपने संदेश में यूएन प्रमुख ने कहा कि हाल के वर्षों में पत्रकारों और मीडियाकर्मियों पर हमलों की संख्या और उनका स्तर बढ़ा है। उन्होंने सचेत किया कि जब पत्रकारों को निशाना बनाया जाता है तो पूरे समाज को उसकी क़ीमत चुकानी पड़ती है।

महासचिव ने कहा, “पत्रकारों की सुरक्षा के अभाव में, जानकारी प्राप्त करने और निर्णय-प्रक्रिया में योगदान देने की हमारी क्षमता पर भारी असर पड़ता है। पत्रकारों के लिए सुरक्षित माहौल के अभाव में हमें भ्रम और ग़लत सूचनाएँ प्राप्त होगी।"

सज़ा का डर न होने से बढ़े अपराध

हर दस में से नौ मामलों में अपराधी बच निकलते हैं। अपराध की सज़ा न मिलने और दंडमुक्ति की भावना से पत्रकारों के विरुद्ध ज़्यादा अपराधों को बल मिलता है और यह चरमराती न्याय और क़ानून व्यवस्था की ओर इशारा करता है।

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने पत्रकारों के विरुद्ध अपराधों के लिए दंडमुक्ति को समाप्त करने के इरादे से ही वर्ष 2013 में एक प्रस्ताव पारित किया था जिसमें 2 नवंबर को अंतरराष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गई थी।

माली में 2 नवंबर 2013 को दो फ्रेंच पत्रकारों की हत्या की स्मृति के तौर पर यह दिन चुना गया था।

इस प्रस्ताव में पत्रकारों और मीडियाकर्मियों पर हमलों और हिंसा की निंदा की गई है। साथ ही सदस्य देशों से दंडमुक्ति के चलन को ख़त्म करने की अपील की गई है।

संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) की महानिदेशक ऑड्री अज़ोले ने अपने संदेश में कहा कि वर्ष 2019 में अब तक 44 पत्रकार मारे जा चुके हैं।

यूनेस्को इन त्रासदियों का अंत करने और पत्रकारों व मीडियाकर्मियों के लिए सुरक्षित माहौल का निर्माण करने के लिए प्रयासरत है। इसके तहत संयुक्त राष्ट्र कार्य योजना के साथ-साथ न्यायाधीशों व न्यायपालिका के सदस्यों को प्रशिक्षण दिया जाता है और सरकारों के साथ मिलकर राष्ट्रीय अभियोजन तंत्र का गठन होता है।

इसके अलावा इन प्रयासों को एक नए ‘ग्लोबल मीडिया डिफ़ेंस फंड’ से भी मज़बूती मिली है जिसे यूनेस्को के तत्वाधान में ब्रिटेन और कनाडा की पहल पर शुरू किया गया है।

सत्य को जिंदा रखें

इस दिवस पर कीप ट्रूथ अलाइव (सत्य को जिंदा रखें) मुहिम के ज़रिए उन पत्रकारों के योगदान को रेखांकित किया जा रहा है जो तमाम ख़तरों को झेलते हुए स्थानीय स्तर पर भ्रष्टाचार और राजनीतिक मुद्दों को सामने लाते हैं।

आंकड़े दर्शाते हैं कि पिछले एक दशक में 93 फ़ीसदी पत्रकारों की मौत इन्हीं मुद्दों पर रिपोर्टिंग करते हुए हुई है।

यह मुहिम उस धारणा को चुनौती देती है कि आमतौर पर पत्रकारों की मौत रणक्षेत्र में आम लोगों की आंखों से दूर होती है।

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04 November 2019, 16:50