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महासागरों और समुद्रों का ह्रास रोकने का आह्वान

लन्दन में बुधवार को अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन की आमसभा के 31 वें अधिवेशन में राष्ट्रों के प्रतिनिधियों को सम्बोधित कर वाटिकन के कार्डिनल पीटर टर्कसन ने महासागरों और समुद्रों के ह्रास को रोकने का आह्वान किया।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

लन्दन, शुक्रवार, 29 नवम्बर 2019 (रेई,वाटिकन रेडियो): लन्दन में बुधवार को अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन की आमसभा के 31 वें अधिवेशन में राष्ट्रों के प्रतिनिधियों को सम्बोधित कर वाटिकन के कार्डिनल पीटर टर्कसन ने महासागरों और समुद्रों के ह्रास को रोकने का आह्वान किया।

"धारणीय विकास के लिए महासागरों, समुद्रों और समुद्री संसाधनों का संरक्षण और सतत उपयोग", शीर्षक से लन्दन में जारी अधिवेशन का लक्ष्य समुद्री संसाधनों के संरक्षण और स्थायी उपयोग की दिशा में अधिक प्रभावी उपाय और अधिक संसाधनों की खोज करना है।

कार्बन उत्सर्जन बढ़ने का ख़तरा

अखण्ड मानव विकास को बढ़ावा देने के लिये गठित वाटिकन स्थित परमधर्मपीठीय परिषद के अध्यक्ष कार्डिनल पीटर टर्कसन ने बुधवार को आमसभा के सदस्यों को सम्बोधित शब्दों में जहाज़ों के आवागमन से उत्सर्जित कार्बन को नियंत्रित करने हेतु उपायों को विकसित करने की प्रतिबद्धता पर अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन की सराहना की। उन्होंने कहा कि "यह वैश्विक अर्थव्यवस्था को कार्बन उत्सर्जन से रहित बनाने तथा जहाज़ों के टिकाऊ आवागमन हेतु स्वच्छ ऊर्जा में निवेश को बढ़ावा देने के प्रयासों में उठाया गया एक ठोस कदम है।"

कार्डिनल टर्कसन ने रेखांकित किया कि बढ़ता कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन, "महासागरों की अम्लता में वृद्धि करता है इसलिये कि महासागर कम से कम एक चौथाई उत्सर्जित कार्बन डाइऑक्साइड को सोख लेते हैं।"

उन्होंने कहा कि यदि मौजूदा रुझान जारी रहा तो "यह सदी हम सभी के लिए गंभीर परिणामों के सहित पारिस्थितिकी तंत्र के अभूतपूर्व विनाश का गवाह बन सकती है।" नदियों, समुद्रों एंव महासागरों में फेंके जानेवाले रासानियक अपव्यय के प्रति भी उन्होंने ध्यान आकर्षित कराया जो दिन ब दिन पर्यावरण पर महान ख़तरा उत्पन्न कर रहे हैं।

वैज्ञानिक दृष्टिकोणों में नैतिक विचार का एकीकरण

नदियों, समुद्रों एंव महासागरों के संरक्षण को इस सदी की अत्यावश्कता घोषित करते हुए उन्होंने कहा कि पर्यावरण रक्षा करना हम सबका नैतिक दायित्व है जो सृष्टिकर्त्ता ईश्वर द्वारा हमारे सिपुर्द किया गया एक उपहार है और जिसे हमें ज़िम्मेदारी के साथ सम्भालना है।

कार्डिनल महोदय ने इस तथ्य पर बल दिया कि पर्यावरणीय विषयक वैज्ञानिक दृष्टिकोणों में नैतिक विचार को भी एकीकृत किया जाना चाहिये, इसलिये कि पर्यावरण पर संकट का अर्थ है सम्पूर्ण मानवजाति पर संकट। उन्होंने कहा, "महासागरों, समुद्रों एवं नदियों पर संकट का अर्थ है समुद्रों में सेवारत लोगों एवं हमारे मछियारों के जीवन पर संकट।"  

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29 November 2019, 12:06