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2 अक्टूबर को महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती समारोह 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती समारोह 

महात्मा गांधी आज भी प्रासंगिक हैं, वाटिकन में भारतीय राजदूत

आज 2 अक्टूबर महात्मा गांधी की 150वीं जयंती है। भारत के राजदूत, श्री सिबी जॉर्ज, वाटिकन में एक दिवसीय अंतर-धार्मिक कार्यक्रम में भाग लिया।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, वाटिकन सिटी, बुधवार 2 अक्टूबर 2019 (रेई) : बुधवार, 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी की 150वीं जयंती भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में सरकारों, संगठनों और लोगों द्वारा भी समारोहों और विभिन्न कार्यक्रमों के साथ मनाई जा रही है। यह इस बात का प्रमाण है कि भारतीय राष्ट्र के पिता के रूप में माने जाने वाले व्यक्ति का संदेश और मूल्य, उसकी मृत्यु के 70 साल से अधिक समय बाद भी, बहुत पोषित और मूल्यवान हैं।

2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में जन्मे, मोहनदास करमचंद गांधी ने अहिंसा को अपनाते हुए, ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारत के स्वतंत्रता आंदोलन का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया। गांधी, जिन्हें भारतीय महान साहित्यकार रवींद्रनाथ टैगोर ने "महात्मा" (महान आत्मा) की उपाधि दी थी, की हत्या 30 जनवरी, 1948 को 78 वर्ष की आयु में दिल्ली में की गई थी।

गांधी जी दुनिया भर में नागरिक अधिकारों और सामाजिक परिवर्तन के प्रेरणा स्रोत रहे हैं। हमारे समय के महान लोगों में जिन्होंने अहिंसा और असहयोगात्मक तरीकों के दर्शन को अपनाया, वे हैं, अमेरिकी नागरिक अधिकार नेता, मार्टिन लूथर किंग जूनियर और दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला।

वाटिकन में गांधी पर अंतर-धार्मिक कार्यक्रम

गांधी की 150वीं जयंती की पूर्व संध्या पर, वाटिकन में अंतर-धर्मिक संवाद हेतु परमधर्मपीठीय सम्मेलन द्वारा महात्मा गांधी पर एक दिवसीय अंतर-धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसका विषय था,“भ्रातृ प्रेम और वैश्विक शांति और सद्भाव के लिए अहिंसा।”

वहाँ उपस्थित वक्ताओं में से एक भारत के राजदूत श्री सिबी जॉर्ज थे। उन्होंने वाटिकन न्यूज से बात करते हुए बताया कि गांधी के संदेश और मूल्य आज भी बहुत प्रासंगिक हैं।

उन्होंने इस तथ्य पर प्रकाश डाला कि गांधी के जन्मदिन पर संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 2 अक्टूबर 2007 को अहिंसा के अंतरराष्ट्रीय दिवस की स्थापना, "उनकी शिक्षाओं और उनके सिद्धांतों" की प्रासंगिकता को दिखाती है।

भारतीय राजदूत ने यह भी कहा कि गांधी जी के सिद्धांत जिसपर वे अडिग थे, वह परमाध्यक्षों की शिक्षाओं के साथ बहुत मेल खाती हैं, जिसमें संत पापा फ्राँसिस भी शामिल हैं, विशेष रूप से हिंसा के खिलाफ और दुनिया में शांति एवं सद्भाव की आवश्यकता पर।

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02 October 2019, 16:29