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जेनेवा, बुधवार 9 अक्टूबर 2019 (यूएन न्यूज) : विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से मंगलवार को एक नई रिपोर्ट जारी की गई है जो नेत्रों से जुड़ी समस्याओं पर अब तक की पहली रिपोर्ट है। रिपोर्ट के अनुसार एक अरब से ज़्यादा लोग ऐसी समस्याओं का सामना कर रहे हैं जिनका इलाज संभव है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी रिपोर्ट में ऐसे तथ्य साझा किए हैं जो दर्शाते हैं कि आंखों की समस्याएं जीवनशैली में आए बदलावों से भी बढ़ रही हैं। इनमें विशेष तौर पर टीवी, मोबाइल और कंप्यूटर स्क्रीन पर ज़्यादा समय बिताने से होने वाली समस्याएं भी शामिल हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन में डॉक्टर अलरकोस सिएज़ा ने जेनेवा में पत्रकारों को बताया कि युवा भी इस जोखिम से अछूते नहीं हैं। “कमज़ोर नज़र से पीड़ित बच्चों की संख्या बढ़ने का एक बड़ा कारण यह है कि बच्चे अब ज़्यादा समय घर से बाहर नहीं बिताते हैं। घर के अंदर रहने की सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि आंखों के लेंस को आराम ही नहीं मिल पाता।
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी कि रिपोर्ट ‘वर्ल्ड रिपोर्ट ऑन विज़न’ के अनुसार दृष्टिबाधिता का बोझ निम्न और मध्य आय वाले देशों में ज़्यादा दिखाई देता है। महिलाओं के अलावा प्रवासी, आदिवासी, ग्रामीण क्षेत्रों में रह रहे समुदायों और विकलागों में यह समस्या व्याप्त है।
स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉक्टर टेड्रोस अधानोम ने बताया कि “आंखों की समस्याएं और दृष्टिबाधिता व्यापक रूप से फैली हुई हैं और अक्सर उनका इलाज नहीं हो पाता। यह अस्वीकार्य है कि 6.5 करोड़ लोग नेत्रहीन हैं या मंद दृष्टि से पीड़ित हैं जबकि मोतियाबिंद के ऑपरेशन के ज़रिए उनका बहुत जल्द इलाज किया जा सकता है। 80 करोड़ से ज़्यादा लोगों को रोज़मर्रा के काम करने में भी संघर्ष करना पड़ता है क्योंकि उनके पास नज़र का चश्मा नहीं है।”
रिपोर्ट में ख़ास तौर पर रोकथाम की अहमियत को रेखांकित किया गया है क्योंकि एक अरब से ज़्यादा लोग ऐसी दृष्टि समस्याओं से पीड़ित हैं जिन्हें समय पर इलाज करके दूर किया जा सकता है। आंखों की जिन समस्याओं का इलाज शुरुआती चरणों में किया जा सकता है उनमें मधुमेह (डायबिटीज़) के कारण होने वाले नेत्र विकार, मोतियाबिंद और ग्लोकॉमा प्रमुख हैं। अगर मोतियाबिंद की सर्जरी हो जाए तो मोतियाबिंद से होने वाली दृष्टिबाधिता को रोका जा सकता है।
आमतौर पर दृष्टिबाधिता और नेत्र समस्याएं मोतियाबिंद, ट्रेकोमा राष्ट्रीय रोकथाम रणनीतियों का हिस्सा हैं लेकिन अन्य विकारों के प्रति लापरवाही नहीं बरती जानी चाहिए।