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वैन क्लास रुम में पढ़ते हुए खानाबदोश बच्चे वैन क्लास रुम में पढ़ते हुए खानाबदोश बच्चे  कहानी

चार चक्कों वाला स्कूल

सितंबर 1982 में, क्रिश्चियन ब्रदर्स ने खानाबदोश बच्चों को शिक्षित करने में सहायता देने के लिए पहला मोबाइल स्कूल बनाया। आज लगभग तीस ऐसे स्कूल हैं जो पूरे फ्रांस में यात्रा करते हैं।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

इन मोबाइल स्कूलों का विचार ब्रदर कमिल वेगर को आया। 1979 में, उन्होंने फादर आंद्रे बार्थेलेमी द्वारा भेजे गए एक पत्र को पढ़ा, वे उस समय जिप्सियों के लिए राष्ट्रीय चैप्लिन थे। पत्र में फादर आंद्रे ने फ्रांस के लासालियन फादरों के सुपीरियर से स्वयंसेवकों की मांग की, जिससे वे आज की बदलती दुनिया में पेरिस के उपनगरों के युवा जिप्सियों को शिक्षित करने में मदद कर सकें। इस पत्र ने ब्रदर कमिल को युवा खानाबदोशों की मदद करने के लिए प्रेरित किया, जो अन्य युवाओं से दूर रहते हैं जो उन्हें तुच्छ समझते हैं या उन्हें अनदेखा करते हैं। ब्रदर कमिल ने, उपेक्षित युवा लोगों के लिए एक नई शैक्षणिक पद्धति शुरु करने का बीड़ा उठाया। उन्होंने कहा "अगर ये बच्चे स्कूल नहीं जा सकते हैं, तो स्कूल को उनके पास जाना होगा"।

तैयारी

ब्रदर कमिल ने पूरे एक वर्ष तैयारी में लगाये। उन्होंने रोमा भाषा सीखी और टोकरी बुनाना, मिट्टी के पात्र बनाना, चित्रकारी और रंगने वगैरह के पाठ्यक्रम में भाग लिया। उन्होंने महसूस किया कि ये गतिविधियाँ युवा खानाबदोशों के साथ काम करते समय उपयोगी होंगी। उसी वर्ष, उन्होंने नगरपालिका के स्वागत क्षेत्रों में स्थापित स्कूलों में पहले से ही किए जा रहे शैक्षणिक प्रयोगों के बारे में और जानने के लिए फ्रांस की यात्रा की। उन्होंने जल्द ही महसूस किया कि शिक्षक माता-पिता और बच्चे दोनों के साथ घुलमिल गये थे। ज्यादातर इसलिए, क्योंकि बच्चे स्कूल जाने के बजाय, स्कूल बच्चों के पास जा रहा था। उन्हें उनके ही घरों में, उनके परिवारों की सावधानीपूर्वक देखरेख में पढ़ाया जा रहा था।

पहला मोबाइल क्लास रुम
पहला मोबाइल क्लास रुम

खरीदारी

एक मोबाइल कक्षा खोलने की दिशा में वाहन खरीदना पहला कदम था: स्कूल को एक समूह से दूसरे समूह तक, शहर के बाहरी इलाके, या औद्योगिक क्षेत्रों में, कूड़े के ढेर या कब्रिस्तान, या एक खेत में ले जाने के लिए आवागमन की स्वतंत्रता आवश्यक थी। पेरिस प्रांत के लासालियन फादरों ने हाशिए पर जी रहे बच्चों और युवाओं को शिक्षा प्रदान करने का इस परियोजना के प्रति काफी उत्साहित थे  और पहली वैन का भुगतान करने का फैसला किया। समस्या यह थी कि उन्हें ऐसा वाहन को ढूंढना था जिसमें छह से आठ बच्चों के लिए प्रयाप्त स्थान हो। ब्रदर कमिल ने बताया कि उन्हें "पहला वाहन" एक बुजुर्ग दम्पति से मिली। यह मोटे तौर पर सुसज्जित थी और इसे एक टूरिस्ट वाहन के रूप में इस्तेमाल करते थे। ब्रदर कमिल ने वाहन को खाली कर, एक अनुभवी कारीगर की मदद से कुछ मुड़ने वाला टेबल, दीवारों पर लगा लिया। उसने दरवाजे के बगल में साइड खिड़की बनाई। इस तरह मोबाइल क्लास रुम बन गया। कारीगर ने बाद में कई अन्य वैन तैयार करने में मदद की।

क्लास शुरु

ब्रदर कमिल ने हर बुधवार दोपहर को युवा जिप्सियों को पढ़ना सिखाना शुरू किया। 10-कार्ड खेल का उपयोग करते हुए, उन्होंने उन्हें बहुत जल्दी फ्रेंच भाषा के व्यंजन और 10 बुनियादी ध्वनियों को पहचानना सिखाया। पहले कुछ हफ्तों में पढ़ने के लिए सभी उम्र के बच्चे आए। हालांकि वे एक पारंपरिक स्कूल से डरते थे, लेकिन वे इस वैन में सवार होने का इंतजार नहीं कर सकते थे, जहां उन्होंने जल्दी और अच्छी तरह से पढ़ना सीखा। शायद इसलिए कि मोबाइल स्कूल उनके पर्यावरण के अनुकूल था। उनके परिवार वाले इस स्कूल वैन को स्वर्ग का एक उपहार मानते थे, उनके बच्चे पढ़ना-लिखना, सड़क के संकेतों को पहचानना, दवाओं के नाम पढ़ना वगैरह बहुत कुछ सीख रहे थे जो उनके लिए उपयोगी था।

सितंबर 1982

प्रयोग सफल रहा। मोबाइल कक्षा खोलने के लिए एक औपचारिक अनुरोध स्वीकार किया गया  और प्राधिकरण को तीन साल की परीक्षण अवधि की अनुमति मिली। पहली "आधिकारिक" मोबाइल कक्षा सितंबर 1982 में सड़क पर लाई गई।

स्कूल वैन का पहला पड़ाव एक खानाबदोश शिविर था, जिसमें लगभग 150 कारवां थे। समुदाय के नेता के रुप में पेंटेकोस्टल पादरी ने अपना परिचय दिया और मोबाइल स्कूल का गर्मजोशी से स्वागत किया। ब्रदर कमिल उस पल को याद करते हैं, जब "बच्चे खुशी से 'स्कूल, स्कूल हम सब पढ़ना सीखेंगे!' के नारे गाते हुए झूम रहे थे। वे सभी बच्चे जो पहला पठन परीक्षण में उत्तीर्ण हुए, उन सभी को प्रमाण पत्र दिया गया और उन्होंने इसे सावधानी से अपनी जेब में रखा। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि बुनियादी शिक्षा का यह स्तर सभी युवा जिप्सियों को जीवन भर के लिए मिला। ब्रदर कमिल ने कहा, "यह परिणाम हमारे लिए बहुत कम हो सकता है। लेकिन उनके लिए यह बहुत मायने रखता है।"

स्कूल वैन में शिक्षक और विद्यार्थी
स्कूल वैन में शिक्षक और विद्यार्थी

प्रशिक्षित शिक्षक

ब्रदर कमिल ने बताया कि मोबाइल वैन में काम करने वाले शिक्षकों का मूल्यांकन करने के लिए शिक्षा निरीक्षक नियमित रूप से आते हैं। आमतौर पर वे प्रभावित होते हैं और अक्सर अप्रत्याशित रूप से उच्च अंक देते हैं। " एक निरीक्षक ने मुझे नब्बे मिनट तक लगातार कलास लेने के बाद वैन से बाहर बुलाया। उन्होंने इस स्कूल और नई तरह की शिक्षा पद्धति के लिए अपना आभार प्रकट किया । उसने कहा कि ज्ञान के लिए खानाबदोश युवाओं की भूख देखकर वह आश्चर्यचकित थी।” अपने करियर के अंत में, जब ब्रदर कमिल 2003 में सेवानिवृत्त हुए, तो उन्होंने 20 में से 19 अंक हासिल किया। बड़े पैमाने पर उपेक्षित आबादी के लिए इस नए प्रकार की नई शिक्षा ने शिक्षा मंत्रालय को आकर्षित किया।

नई फंडिंग

इस तरह की सफलता के साथ, क्रिश्चियन ब्रदरों को हर साल नई फंडिंग के लिए खुद को व्यवस्थित करना पड़ा। लासालियन समुदायों ने परियोजना के पहले आठ वर्षों में बड़े पैमाने पर मदद की। अब जब शैक्षणिक अधिकारियों ने पहल की प्रतिष्ठा को मान्यता दी, तो स्थानीय समुदायों से संपर्क किया गया और आर्थिक रूप से योगदान दिया गया। क्रिश्चियन ब्रदरों को अनेक अनुदान भी मिले। पेरिस, लिली, बोर्डो, पेरिग्नान, ल्योन, ग्रेनोबल, टूलूज़ और टूर्स जैसे प्रमुख शहरों में 35 स्कूल वैन संचालित होने तक मोबाइल कक्षाओं की संख्या लगातार दस वर्षों में बढ़ी। अधिकांश मोबाइल क्लासरूम प्रशासनिक रूप से लासालियन नेटवर्क स्कूलों से जुड़े हुए हैं। फ्रांस में, मोबाइल क्लासरूम लगभग तीन हजार खानाबदोश बच्चों को शिक्षित करता है।

वैन से लेकर इमारतों तक

हाल के वर्षों में, स्कूल वैन की संख्या में थोड़ी कमी आई है। स्थापित स्कूलों और मोबाइल शाखाओं के बीच निकट संबंध बनाए गए हैं। टूलूज़ में, विशेष रूप से, बच्चे मोबाइल कक्षा और पारंपरिक स्कूल के बीच एक बालवाड़ी साझा करते हैं। एक शिक्षक द्वारा संचालित स्कूल बस बड़े बच्चों को एक स्थानीय हाई स्कूल पहुंचाती है। स्कूल अब बच्चों के पास नहीं जाता है। आज, बच्चे स्कूल आ रहे हैं। वास्तव में क्रिश्चियन ब्रदरों ने इतने लंबे समय तक यही काम किया।

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24 October 2019, 12:33