कथित गोरक्षकों द्वारा हत्या का विरोध कथित गोरक्षकों द्वारा हत्या का विरोध 

कथित गोरक्षकों द्वारा एक और आदिवासी की हत्या

ख्रीस्तीय कार्यकर्ताओं ने अन्य नेताओं के साथ, झारखंड राज्य में कथित गोरक्षकों द्वारा एक आदिवासी की हत्या का कड़ा विरोध किया है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

नई दिल्ली, मंगलवार, 24 सितम्बर 2019 (रेई)˸ अखिल भारतीय ईसाई परिषद के महासचिव एवं अखिल भारतीय ईसाई संघ के प्रवक्ता जॉन दयाल ने कहा, "झारखंड में यह चौथा काथलिक ईसाई व्यक्ति है जिसकी हत्या कथित गौरक्षकों द्वारा हुई है जिसको हम मीडिया के द्वारा जानते हैं।"

उन्होंने बतलाया कि खूंटी जिला में 23 सितम्बर को एक व्यक्ति मार डाला गया एवं दो घायल हुए हैं। भीड़ जिसने उनपर हमला की, उसने उनपर एक गाय की हत्या का आरोप लगाया।

उन तीनों काथलिकों की पहचान कालान्तुस बारला, फिलिप होरो और फागु कच्छप के रूप में किया गया है। पुलिस ने कहा कि वे जालंदा सुआरी गाँव में एक प्रतिबंधित जानवर का वध कर रहे थे। कालांतुस बारला जो गंभीर रूप से घायल था अस्पताल पहुँचाये जाने से पहले ही दम तोड़ दिया जबकि फिलिप होरो और फागु कच्छप को राँची के रिम्स (राजेंद्र इन्स्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साईन्स) अस्पताल में भर्ती किया गया है।  

23 सितम्बर को ही पुलिस ने पाँच अन्य लोगों को हिरासत में लिया है जिनसे इसी मामले पर पूछताछ हो रही है, उधर गाँव वालों ने भी पुलिस स्टेशन का घेराव कर, उन लोगों को रिहा करने की मांग की। घेराव तब हटाया गया जब उप-विभागीय पुलिस अधिकारी रुषभ झा ने उन्हें आश्वासन दिया कि अगर हिरासत में लिए गए लोगों  निर्दोष पाए गये, तो उन्हें रिहा कर दिया जाएगा।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के नेता सीताराम येचुरी ने सरकार से जवाब मांगते हुए आरोप लगाया है कि इस तरह के अपराधों को राज्य द्वारा संरक्षण दिया जा रहा है।

उन्होंने कहा, "यह बहुत खतरनाक है और अपराधियों पर कोई प्रतिबंध के बिना भीड़ द्वारा हत्या को जारी रखा जा रहा है। भय, हिंसा का माहौल है और यह हमारे समाज के लिए जहरीला है जिसे सरकार स्पष्ट रूप से संरक्षण दे रही है।"

जनता दल के प्रवक्ता पवन बर्मा ने कहा कि देश "एक असभ्य राष्ट्र" बनने के कगार पर था।

उन्होंने कहा, "हम असभ्य राष्ट्र बनने के कगार पर हैं इसको समझने से पहले हमें भीड़ द्वारा और कितनी हत्या की जरूरत है?

सीपीआई नेता ब्रिंदा ने कहा कि झारखंड में कोई कानून एवं व्यवस्था ही नहीं है और यह लिंचिस्तान के रूप में जाना जाता है।

दयाल जो एक अनुभवी पत्रकार और मानव अधिकार कार्यकर्ता हैं उन्होंने कहा कि कोई नहीं जानता कि कितने मुस्लिम, ईसाई और दलित विगत दो वर्षों में इन हत्यारे गुँडों द्वारा मार डाले गये हैं।

उन्होंने कहा, "उन्हें भारतीय जनता पार्टी के राजनीतिक नेताओं का संरक्षण प्राप्त है अथवा नहीं, लेकिन वे निश्चित रूप से उस राज्य में मौजूद है जहां हिंदुत्व का संबंध है।" झारखंड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हिंदुत्ववादी पार्टी के नेतृत्व वाले गठबंधन का शासन है।

उन्होंने कहा, "इससे भी बुरा यह है कि पुलिस अनिच्छुक लगती है। जब वे अपराध में भागीदार नहीं हैं तब क्यों वे भीड़ का साथ देते हैं और पीड़ित को पिटते हुए देखते हैं, वे घटनास्थल पर देर से पहुँचते, पीड़ित को अस्पताल ले जाने में अनाकानी करते, हत्यारे लोगों का नाम दर्ज करने में गलती करते, सबूत इकट्ठा करने और पीड़ित के बयान दर्ज करने में ईमानदारी की कमी होती है। लिंचिंग मामलों में अदालत के रिकॉर्ड स्वयं इसे प्रकट करते हैं।"

सामाजिक खोज करता एवं लेखक ग्लैडसन डुँगडुँग ने कहा कि व्यक्ति क्या खाता या क्या नहीं खाता, वह उसका व्यक्तिगत निर्णय है। कोई भी सरकार या संगठन यह निर्णय नहीं कर सकता कि लोग क्या खाएँ।

उन्होंने कहा, "मैं गौमांस के नाम पर भीड़ द्वारा हत्या की निंदा करता हूँ। भीड़ द्वारा हत्या वास्तव में राज्य द्वारा समर्थन प्राप्त हिंसा और हत्या बन चुका है।"

राज्य में विगत तीन सालों में करीब 21 लोग भीड़ के हाथों मारे जा चुके हैं। भीड़ द्वारा हत्या की घटनाएँ, जानवरों के वध, चोरी और अफवाह फैलाने के द्वारा हो रही हैं।   

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24 September 2019, 17:34