कोंगो में इबोला संकट कोंगो में इबोला संकट 

कोंगो में इबोला से अनाथ बच्चों की संख्या में अत्यधिक वृद्धि

इबोला संकट के परिणामस्वरूप अनाथ या अकेले रह गए बच्चों की संख्या महामारी के समान तेजी से बढ़ रही है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

कोंगो में इबोला महामारी के कारण अप्रैल से अब तक अनाथ बच्चों की संख्या दोगुनी हो गई है।

संख्या

यूनिसेफ की रिपोर्ट अनुसार करीब 1400 बच्चों ने इबोला के कारण एक साल के अंदर अपने माता अथवा पिता या दोनों को खो दिया है। साथ ही साथ, कुल 3,000 बच्चों को अपने माता-पिता या अभिभावकों से अलग कर दिया गया है क्योंकि उनका इलाज चल रहा है।

प्रत्युत्तर

कोंगो में बाल सुरक्षा यूनिसेफ के प्रमुख पियेर फेर्री ने बतलाया कि बच्चे अपने सामने अपने माता-पिता को मरते हुए देखते हैं अथवा अपने प्रियजनों को इबोला से इलाज केंद्र के लिए ले जाते हुए देखते हैं उस अनिश्चितता में कि वे कभी वापस आयेंगे अथवा नहीं।

कई बड़े बच्चों को अपने से बड़े भाई बहनों के संरक्षण में छोड़ दिया जाता है जबकि कुछ लोगों को भेदभाव, दोषारोपण और अलगाव का सामना करना पड़ता है।

दीर्घकालीन आवश्यकताएँ

वे बच्चे जो अनाथ हो गये हैं उन्हें लम्बे समय तक मदद की आवश्यकता होती है। मानसिक रूप से मदद करने वाले, बच्चों को रिश्तेदारों के सम्पर्क में रखने अथवा परिवार वालों के साथ रखने की कोशिश करते हैं। यह चुनौतीपूर्ण भी हो सकता है क्योंकि दूसरों के बच्चों का पालन आर्थिक बोझ समझा जाता अथवा बीमारी के डर से उन्हें घुलने-मिलने नहीं दिया जाता है। इसके कारण अक्सर भोजन, स्कूल फीस और अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति में जटिल मध्यस्थता और वित्तीय सहायता की आवश्यकता होती है।  

तत्काल समाधान

यूनिसेफ इसके लिए साझेदारों एवं समुदायों के साथ नजदीकी से काम कर रहा है ताकि प्रभावित बच्चों की तुरन्त पहचान की जा सके एवं उनके शारीरिक, मानसिक एवं सामाजिक आवश्यकताओं की पूर्ति में मदद दिया जा सके।

पियेर फेरी के अनुसार मानसिक कार्यकर्ता जो प्रभावित समुदायों से आते हैं वे सबसे अधिक मददगार हो सकते हैं। वे हानिकारक भेदभाव और गलत सूचना को कम करने और समुदाय की स्वीकृति एवं प्रतिबद्धता को बढ़ाने में सक्षम होते जो महामारी को रोकने के लिए महत्वपूर्ण है।

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17 August 2019, 16:44