कॉक्स बाज़ार में घातक मानसून कॉक्स बाज़ार में घातक मानसून  

कॉक्स बाज़ार में घातक मानसून से निपटने की तत्परता

4 जुलाई से हुई लगातार बारिश, तूफ़ान और बाढ़ की वजह से कॉक्सेस बाज़ार शरणार्थी शिविर के अनेक इलाक़े बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लगातार समर्थन के बिना इन शरणार्थियों के लिए हालात और भी ज़्यादा दयनीय व ख़तरनाक बन जाएंगे।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

 बांग्लादेश, सोमवार 15 जुलाई 2019 (यूएन न्यूज) : बांग्लादेश में चार जुलाई से लगातार हो रही बारिश की वजह से कॉक्स बाज़ार का शरणार्थी शिविर बुरी तरह प्रभावित हुआ है, जिससे भारी ढाँचागत नुक़सान होने के साथ-साथ अनेक लोग हताहत भी हुए हैं। बहुत नाज़ुक हालात का सामना कर रहे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया गया है जो शिविरों में ही नई ज़मीन पर बनाए गए हैं।

प्रवासी और शरणार्थी

जिनेवा में विश्व स्वास्थ्य एजेंसी के प्रवक्ता ने पत्रकारों से हुई बातचीत में बताया कि इस बारिश और बाढ़ से लगभग पाँच हज़ार छः सौ लोग विस्थापित हुए हैं। आने वाले दिनों में और ज़्यादा बारिश होने का अनुमान लगाया गया है जिससे परेशानी जारी रहने की संभावना है। अप्रैल महीने से लेकर इस तबाही वाले मौसम की वजह से 45 हज़ार से भी ज़्यादा लोग प्रभावित हुए हैं। जुलाई में विश्व खाद्य कार्यक्रम ने मानसूनी बारिश से प्रभावित हुए हज़ारों शरणार्थियों को खाद्य सामग्री के पैकेट उपलब्ध कराए थे। इनमें पका हुआ भोजन, ऊर्जा देने वाले बिस्कुट और खाने की सूखी चीज़ें जैसे चावल, दालें और तेल वग़ैरा शामिल थे।  

विश्व खाद्य कार्यक्रम के पास शिविर में मौजूद लगभग नौ लाख की आबादी की दो सप्ताह तक की खाद्य ज़रूरतें पूरी करने के लिए समुचित मात्रा में सामान मौजूद है।

आपदा टीमें सदा तैयार

खाद्य एजेंसी के प्रवक्ता का कहना था कि फिलहाल उसकी प्राथमिकता बारिश की वजह से होने वाले भूस्खलन को रोकना और पानी के निकासी व्यवस्था को और ज़्यादा बिगड़ने से बचाना है। इंजीनियरिंग विभाग के लोग और आपदा का ख़तरा कम करने वाली इकाइयों के लोग लगभग तीन हज़ार रोहिंग्या शरणार्थियों के साथ मिलकर प्रयासों में जुटे हैं। लेकिन चूँकि भारी बारिश की वजह से और भी ज़्यादा ज़मीन धँसने की आशंका व्यक्त की गई है, तो वहीं विश्व खाद्य एजेंसी की आपदा टीमें विभिन्न इलाक़ों में हैं ताकि किसी भी समय ज़रूरत पड़ने पर वे तुरंत बचाव कार्यों के लिए रवाना हो सकें।

साल 2017 में म्याँमार में हुई हिंसा से बचने के लिए बांग्लादेश पहुँचे लाखों रोहिंग्या शरणार्थियों की स्थिति अब भी बहुत नाज़ुक है। बहुत से लोगों के पास अब भी खाने-पीने का सामान समुचित मात्रा में उपलब्ध नहीं है और यदि मानवीय सहायता और नहीं बढ़ाई गई तो हालात ज़्यादा बिगड़ने का डर है।

इस समय शरणार्थियों की लगभग 80 फ़ीसदी आबादी विश्व खाद्य कार्यक्रम एजेंसी खाद्य सहायता पर निर्भर है। एजेंसी को लगभग नौ लाख की आबादी की खाद्य ज़रूरतें पूरी करने के लिए लगभग दो करोड़ 40 लाख डॉलर की रक़म ख़र्च करनी पड़ती है।

एजेंसी के प्रवक्ता का कहना था, “अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लगातार समर्थन के बिना इन शरणार्थियों के लिए हालात और भी ज़्यादा दयनीय व ख़तरनाक बन जाएंगे।”

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15 July 2019, 13:30