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झारखण्ड कलीसियाई प्रतिनिधिमण्डल राज्यपाल द्रौपदी मुर्मु के साथ झारखण्ड कलीसियाई प्रतिनिधिमण्डल राज्यपाल द्रौपदी मुर्मु के साथ  

कलीसियाई भूमि पर जाँच से झारखंड में भड़का क्रोध

झारखण्ड राज्य के ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों ने दावा किया है कि कलीसियाई भूमि पर जाँच पड़ताल सम्बन्धी सरकार की योजना ख्रीस्तीयों का उत्पीड़न है। ‎झारखण्ड राज्य में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की सरकार पर उन्होंने ख्रीस्तीय विरोधी एजेन्डा रखने का आरोप लगाया गया है।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

भोपाल, शुक्रवार, 12 जुलाई 2019 (ऊका समाचार.कॉम): झारखण्ड राज्य के ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों ने दावा किया है कि कलीसियाई भूमि पर जाँच पड़ताल सम्बन्धी सरकार की योजना ख्रीस्तीयों का उत्पीड़न है। ‎झारखण्ड राज्य में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की सरकार पर उन्होंने ख्रीस्तीय विरोधी एजेन्डा रखने का आरोप लगाया गया है।  

ख्रीस्तीय विरोधी कार्रवाई

ख्रीस्तीय एकतावर्धक युवा संगठन के नेता कुलदीप तिरकी ने ऊका समाचार.कॉम से कहा, "यह निश्चित रूप से एक प्रतिशोधात्मक कार्रवाई है।" उन्होंने कहा, "यह अल्पसंख्यक ईसाइयों को लक्षित करने के लिए जानबूझकर की गई इस प्रकार की जाँच तथा कार्रवाइयों की श्रृंखला में एक नवीनतम कड़ी है।"

जुलाई माह के आरम्भ में मुख्य मंत्री रघुवर दास ने सार्वजनिक तौर पर कहा था कि यह निर्धारित करने हेतु जाँच आवश्यक है कि जिस भूमि पर कलीसियाई समूह कब्ज़ा किये हुए हैं वह वैधानिक तौर पर उनकी है या नहीं।   

ग़ौरतलब है कि राज्य में प्रभावी सन् 1908 के छोटानागपुर काश्तकारी कानून तथा 1949 के सन्थाल परगना काश्तकारी कानून के तहत बाहरी लोगों द्वारा पारम्परिक आदिवासी ज़मीन की ख़रीदी निषिद्ध है।  

झारखण्ड के लगभग 15 लाख ईसाई लोग आदिवासी हैं तथा वहाँ के ख्रीस्तीय संस्थान एवं पल्लियाँ आदिवासियों द्वारा दान की गई भूमि पर स्थापित किये गये हैं।

कलीसियाई सूत्रों के अनुसार, यदि जांच से पता चलता है कि कोई कलीसियाई भूमि वास्तव में आदिवासी लोगों द्वारा ग़ैर-आदिवासी मिशनरियों को बेची गई थी,  तो राज्य एक कानूनी कार्यवाही शुरू कर सकता है।

आधिकारिक सूचना नहीं मिली

इसी बीच, झारखण्ड की राजधानी राँची महाधर्मप्रान्त के प्रवक्ता फादर आनन्द डेविड खलको ने कहा कि कलीसिया को इस जाँच के बारे सरकार से कोई भी आधिकारिक सूचना नहीं मिली है। उन्होंने कहा, "हम मीडिया से इस तरह की जांच के बारे में सुनते रहे हैं।"

फादर आनन्द ने कहा कि जब भी सरकार के इरादों पर आधिकारिक सूचना मिलेगी तब कलीसियाई अधिकारी इसका जवाब देंगे।

ख्रीस्तीय नेता इस धमकी को प्रतिशोध के रूप में देख रहे हैं।

विगत वर्ष जुलाई में, सरकार ने इस बात की जांच का आदेश दिया था कि क्या राज्य में कार्यरत 88 ग़ैर-सरकारी ईसाई संगठन, धर्मान्तरण के लिये लोगों को मदद आदि की पेशकश कर रहे थे या नहीं।  इस वर्ष अप्रैल माह में, सरकार ने उक्त 88 संगठनों में से 31 में संघीय जांच की सिफारिश की थी तथा यह पता लगाने का आदेश दिया था कि क्या ये संगठन विदेशी फंड का उपयोग धर्मान्तरण के लिये तो नहीं कर रहे थे।  

ख्रीस्तीय आदिवासी नेता अल्बिन लाकड़ा ने कहा कि राज्य सरकार हिंदू राष्ट्रवादियों का राजनीतिक समर्थन हासिल करने के लिए अल्पसंख्यक ईसाइयों को निशाना बना रही है तथा अपनी शक्तियों का दुरुपयोग कर रही है।

 

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12 July 2019, 12:07