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रोहिग्या शरणार्थी शिविरों में माताओं एवं बच्चों के लिए संकट

बंगलादेश के कोक्स बाजार में रोहिग्या शरणार्थियों के बीच चार में से तीन नौजात शिशु एक ऐसी दुनिया में रखे जाते हैं जो असुरक्षित एवं अस्वस्थ है। वे ऐसे घरों में जन्म लेते हैं जहाँ किसी प्रकार की सुविधा नहीं है और उनकी माताओं को भी गंभीर जोखिम उठानी पड़ती है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

सेभ द चिल्ड्रेन (बच्चों की सुरक्षा) के मौलिक स्वास्थ्य देखभाल केंद्र के आंकड़े के अनुसार विगत 10 महिनों में 400 में से 119 बच्चों को ही सुरक्षित स्थानों पर रखा जा सका है। वास्तव में, 75 प्रतिशत बच्चों का जन्म घर ही में होता है जहाँ उचित सुविधाएँ मौजूद नहीं होतीं। माताएँ कई बार भ्रूण हत्या अथवा जबरन बंध्याकरण के डर से घर में ही बच्चे को जन्म देती हैं।    

अंतरराष्ट्रीय संगठन सेभ द चिल्ड्रेन, विगत 12 महीनों से बच्चों को जोखिम में पड़ने से बचाने एवं उन्हें भविष्य की गारंटी देने का प्रयास कर रहा है।

प्रशिक्षण की आवश्यकता

सेभ द चिल्ड्रेन द्वारा जारी जानकारी में कहा गया है कि अपने घर में माँ और नौजात शिशु ऐसे लोगों के द्वारा मदद दिये जाते हैं जो आपात स्थिति का सामना करने के लिए तैयार नहीं होते और जो पहले से माताओं में मौजूद तकलीफों जैसे डायविटीस, खून की कमी, कुपोषण आदि के बारे सचेत नहीं होते, जो जन्म देने के दौरान जटिलताएँ उत्पन्न करती हैं।

रोहिग्या शऱणार्थी शिविरों में एक लाख बच्चों को जन्म देने में, करीब 179 माताओं की मौत गर्भावस्था अथवा जन्म देते समय हो जाती है जिनमें से अधिकतर मामलों को मेडिकल सुविधाएं प्रदान कर बचाया जा सकता था।   

बच्चे के जन्म से पहले और बाद में भी मुफ्त में सेवाएँ और सुविधाएँ उपलब्ध की जाती हैं, इसके बावजूद, लोग इन सुविधाओं से वंचित रह जाते हैं जिससे मालूम होता है कि इस बात की कितनी आवश्यकता है कि माताओं को इन सेवाओं और सुविधाओं को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएँ। यही कारण है कि सेभ द चिल्ड्रेन की जिम्मेदारी है कि वे अच्छे सहायकों को तैयार करें जो जन्म देने वाली माताओं की मदद कर सकें एवं उन्हें सेवाओं को प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित कर सकें। उन्हें पारंपरिक प्रथाओं पर समुदाय के नेताओं के साथ परामर्श को बढ़ावा देना भी है जो माताओं को महिलाओं की आवश्यक चिकित्सा सहायता से संपर्क करने से रोकते हैं।

जागरूकता लाना

रोहिग्या शरणार्थी शिविर में माताओं एवं बच्चों को मातृत्व एवं शिशु के लिए आवश्यक सुविधाओं को प्राप्त करने में बहुत कठिनाई होती है। रोहिग्यों में परम्परा के अभ्यासों को पूरा करने के लिए भी घर में बच्चे को जन्म देना पड़ता है जिसके कारण उनकी मदद करने हेतु लोगों को प्रशिक्षित किया जाना आवश्यक है।

रोहिग्या शरणार्थी शिविर में सेवारत डॉक्स गोलाम रासूल ने कहा, "अगर शरणार्थी शिविरों का उदय समय के साथ जारी रहेगा तब मातृ जीवन संबंधी जटिलताओं और समय से पहले या बीमार शिशुओं की सेवा के लिए विशेष देखभाल में अधिक निवेश करना आवश्यक है, ताकि सैकड़ों लोगों की जान बचाई जा सके।"

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04 June 2019, 17:03