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महाराष्ट्र के गाँव में सलेशियन पुरोहितों द्वारा स्वच्छ जल

डॉन बोस्को सलेशयिन मिशन द्वारा महाराष्ट्र के एक गाँव में साफ पानी लाने में मदद दी जा रही है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

भारत, बृहस्पतिवार, 20 जून 2019 (रेई)˸ हरवाड़ी में बोस्को ग्रामीण विकास केंद्र (बोस्को ग्राम विकास केंद्र) ने सलेशियन मिशन के "स्वच्छ जल पहल" के हिस्से के रूप में एक नया जल निस्पंदन व्यवस्था स्थापित किया है।

डॉन बॉस्को की अमेरिकी विकास शाखा द्वारा जमा फंड ने केंद्र के आंतरिक फर्श को टाइल्स करने, आंतरिक दीवारों को पेंट करने और एक जल निस्पंदन प्रणाली स्थापित करने में सहायता प्रदान की है।

डॉन बोस्को मिशन

उस केंद्र में गाँव के कुल 350 बच्चे हैं। सूखे के इस क्षेत्र में जल की कमी ने माता- पिता को अपने बच्चों को शरणस्थलों में छोड़कर जल एवं नौकरी की खोज में अन्यत्र जाने के लिए मजबूर कर दिया है।  

केंद्र में सुविधाओं को बढ़ाने, प्रदूषण कम करने और गुणवत्ता वाले पेयजल प्रदान करने के लिए जल निस्पंदन व्यवस्था स्थापित करने हेतु राशि की आवश्यकता थी।

सलेशियन मिशन के निदेशक फादर मार्क हाएड ने कहा, "जल जीवन के लिए आवश्यक है और यह महत्वपूर्ण है कि विश्व में सलेशियन जहाँ सेवा देते हैं वहाँ सुरक्षित और शुद्ध जल की सुविधा मिले।

शुद्ध जल एवं स्वच्छता की सुविधा

शुद्ध जल एवं स्वच्छता की सुविधा के कारण बच्चों में सम्मान की भावना बढ़ती है तथा यह सुनिश्चित करता है कि शिक्षक और विद्यार्थी पर्यावरण में शुद्ध पेयजल एवं सफाई को बढ़ावा देना सीख सकते हैं। इसके द्वारा जल से उत्पन्न होने वाली बीमारियाँ कम होती हैं और इसका प्रभाव उनपर स्कूल के बाहर भी रहता है और वे पढ़ाई को अधिक महत्व दे सकते हैं।  

भारत के करीब 1.3 बिलियन लोगों द्वारा देश के प्राकृतिक संसाधनों पर भारी दबाव है। स्वच्छ जल संगठन  के अनुसार, 77 मिलियन के करीब लोगों के पास सुरक्षित, स्वच्छ पानी की पहुंच नहीं है और 769 मिलियन लोगों के लिए स्वच्छता सेवाएँ उपलब्ध नहीं हैं। पूरे देश में अधिकांश जल स्रोत मल और कृषि के लिए प्रयुक्त रसायनिक खाद के कारण दूषित होते हैं।

भारत ने जहां सुरक्षित पानी की आपूर्ति में कुछ प्रगति की है, वहीं देशभर में सुरक्षित जल की प्राप्ति में घोर असमानताएं हैं।

गाँव की स्थिति

विश्व बैंक का अनुमान है कि भारत में 21 प्रतिशत संक्रामक रोग केवल असुरक्षित जल से संबंधित हैं, जिससे प्रतिदिन 1,600 से अधिक मौतें होती हैं। उचित स्वच्छता बहुत मुश्किल है, खासकर, ग्रामीण इलाकों में जहां केवल 14 प्रतिशत आबादी के पास ही शौचालय है।

इस संकट के जवाब में, सलेशियन मिशन के द्वारा एक "स्वच्छ जल पहल" की शुरूआत की गयी है, जिसने कुओं का निर्माण किया है और विभिन्न देशों के कई समुदायों के लिए स्वच्छ पानी की आपूर्ति को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है, जिनमें सेल्सियन मिशनरी काम करते हैं।

बहु-आयामी गरीब बच्चे

भारत में दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है लेकिन देश के 22 प्रतिशत से अधिक लोग गरीबी में जीते हैं। ऑक्सफ़ोर्ड गरीबी और मानव विकास पहल की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया के लगभग 31 प्रतिशत बहु-आयामी गरीब बच्चे भारत में रहते हैं।

बहु-आयामी गरीब बच्चा वह होता है जिसके पास 10 संकेतकों में से कम से कम एक तिहाई की कमी होती है, जिसे गरीबी के तीन आयामों में वर्गीकृत किया जाता है: स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर।

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20 June 2019, 16:58