टेन्ट बनाकर रह रहे शरणार्थी टेन्ट बनाकर रह रहे शरणार्थी 

शरणार्थी और आप्रवासी, सहयोग और वर्तमान चुनौतियाँ

विश्व शरणार्थी दिवस की पूर्व संध्या 19 जून को विस्थापितों एवं शरणार्थियों द्वारा झेली जा रही समस्याओं के मद्देनजर, वाटिकन रेडियो में एक सभा का आयोजन किया गया था ताकि उनकी मदद करने पर विचार किया जा सके।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

सभा की विषयवस्तु थी, "विस्थापित एवं शरणार्थी, सहयोग एवं वर्तमान चुनौतियाँ।"

सभा का आयोजन परमधर्मपीठ के लिए अर्जेंटीना के राजदूत के निर्देश पर किया गया था जिसमें राजनयिकों, धर्मसंघी समुदायों के सदस्यों एवं आप्रवासी क्षेत्र में कार्यरत गैरसरकारी संगठनों के सदस्यों ने भाग लिया।  

सभा में वाटिकन विदेश सचिव महाधर्माध्यक्ष पौल गल्लाघर भी उपस्थित थे। सभा के प्रतिभागों में अंतरराष्ट्रीय कारितास की सदस्य मर्टीना लिबस्क भी थीं।

वे "शेर द जर्नी" (यात्रा में साथ) अभियान के लिए उत्तरदायी हैं जो आप्रवासी के मुद्दे पर गहरा प्रकाश डालता है। वाटिकन रेडियो से बातें करते हुए उन्होंने कहा कि जब से अभियान की शुरूआत हुई है तब से सकारात्मक जवाब मिल रहे हैं, खासकर, अमरीका की ओर से।

एक उदाहरण प्रस्तुत करते हुए उन्होंने एक अमरीकी महिला एवं एक सीरियाई शरणार्थी के बारे बतलाया। उन्होंने कहा, "अमरीकी महिला ने एक कहानी सुनने के बाद मुझसे कहा, मैं आप्रवासियों को हमेशा आँकड़े में देखा करती थी और जब उन्हें साक्षात् में देखती थी तो डर जाती थी। मैंने एक कहानी सुनी और अब मेरी समझ पूरी तरह बदल गयी है। अब मैं इसके पीछे क्या है उसे भी देख सकती हूँ।

भय और संवाद

भय का सामना किस तरह किया जा सकता है पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि जब लोग अपने देश में आने वाले शरणार्थियों से भयभीत महसूस करते हैं तब संवाद पूरी तरह आवश्यक है, न केवल संवाद बल्कि उनके अधिकारों एवं सेवाओं को उन्हें प्राप्त करने दिया जाना चाहिए ताकि वे सम्मानित जीवन जी सकें।  

डॉ. लिबस्क ने इस बात की ओर भी संकेत दिया कि तथ्यों के बारे में एक और महत्वपूर्ण बात स्पष्ट होना चाहिए। उन्होंने कहा, उदाहरण के लिए खासकर, यूरोप हमेशा सचेत रहता है कि यहाँ शरणार्थी अधिक संख्या में प्रवेश न करें किन्तु विश्व के अन्य हिस्सों में लोग अधिक गरीब हैं।   

संवाद के मुद्दे पर गौर करते हुए उन्होंने जोर दिया कि यह अच्छा हो सकता है यदि लोग जिस चीज से डरते हैं उस पर ध्यान दिया जाए, साथ ही साथ शरणार्थी किस चीज से डरते हैं उसपर भी गौर किया जाए क्योंकि दोनों में ही डर की भावना है।

विश्व शरणार्थी दिवस

विश्व शरणार्थी दिवस जिसे 20 जून को मनाया जाता है उसपर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि यह भुला दिये गये रूदन के बारे लोगों को याद दिलाने का एक रास्ता है, यह बाह्य के साथ साथ आंतरिक विस्थापन की भी याद दिलाती, क्योंकि यह भी एक अलग सच्चाई है।  

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20 June 2019, 16:21