वाटिकन के विदेश सचिव महाधर्माध्यक्ष पौल गालाघेर दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति के साथ वाटिकन के विदेश सचिव महाधर्माध्यक्ष पौल गालाघेर दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति के साथ  

शैक्षिक प्रक्रियाओं से निर्मित होती है शान्ति, महाधर्माध्यक्ष

रोम के सन्त जान लातेरान परमधर्मपीठीय विश्वविद्यालय में “शान्ति निर्माताओं का प्रशिक्षण” शीर्षक से आयोजित शिविर में भाग लेनेवाले प्राध्यापकों एवं विश्वविद्यालयीन छात्रों को सम्बोधित कर वाटिकन के विदेश सचिव महाधर्माध्यक्ष पौल गालाघेर ने कहा कि शिक्षा द्वारा शान्ति का निर्माण किया जा सकता है।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

रोम, शुक्रवार, 1 मार्च 2019 (रेई, वाटिकन रेडियो): रोम के सन्त जान लातेरान परमधर्मपीठीय विश्वविद्यालय में “शान्ति निर्माताओं का प्रशिक्षण” शीर्षक से आयोजित शिविर में भाग लेनेवाले प्राध्यापकों एवं विश्वविद्यालयीन छात्रों को सम्बोधित कर वाटिकन के विदेश सचिव महाधर्माध्यक्ष पौल गालाघेर ने कहा कि शिक्षा द्वारा शान्ति का निर्माण किया जा सकता है.

शान्ति और शिक्षा का सम्बन्ध

उन्होंने कहा कि शान्ति निर्माण कार्य समाज की नींव कहलानेवाली इकाई अर्थात् परिवार से शुरु होता है. महाधर्माध्यक्ष गालाघेर ने कहा हालांकि, शान्ति के निर्माताओं को प्रशिक्षित करना एक महान चुनौती है तथापि इस कार्य के लिये समाज की प्रत्येक इकाई को हर सम्भव प्रयास करना चाहिये.

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों के लिये शान्ति की शिक्षा प्रदान करना सरल कार्य नहीं है, तथापि यह अनिवार्य है इसलिये कि "विश्वविद्यालय उस अभिन्न मानवतावाद का प्रतीकात्मक स्थल हैं जिसे लगातार नवीनीकृत और समृद्ध करने की आवश्यकता है, ताकि यह एक साहसिक सांस्कृतिक नवीकरण को प्रोत्साहन दे सके जो वर्तमान युग की मांग है."  

महाधर्माध्यक्ष ने कहा कि विश्वविद्यालय का कार्य प्रज्ञा का प्रसार कर लोगों की आशा आकाँक्षाओं पर खरा उतरना है, इसलिये कि प्रत्येक व्यक्ति शान्ति में जीवन यापन करना चाहता है तथा संस्कृति और विज्ञान पर आलोकित होने पर ही वह अन्यों के प्रति समझदारी में समृद्ध बन सकता है.

गतिशील योगदान की आवश्यकता

उन्होंने कहा कि वाटिकन के विदेश सचिव होने के नाते उन्हें शान्ति विषय पर प्रतिदिन विचार करना होता है और यही विषय अन्तरराष्ट्रीय सम्बन्धों का केन्द्रबिन्दु होता है. उन्होंने कहा, "दुर्भाग्यवश, प्रायः, मामूली और कमज़ोर युद्धविराम से ही सन्तुष्टि कर ली जाती है और यह भुला दिया जाता है कि शान्ति निर्माण के लिये जटिल एवं गतिशील योगदान की नितान्त आवश्यकता है."

महाधर्माध्यक्ष ने कहा, "यथार्थ शांति की संस्कृति केवल बल के उपयोग से संबंधित समस्याओं या निरस्त्रीकरण या आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष तक ही सीमित नहीं हो सकती है, बल्कि उन कारणों को रोकने के प्रयास की मांग करती है जो विभाजन और संघर्षों को प्रश्रय देते हैं इसका अर्थ यह है कि नैतिक सिद्धांतों, सुसंगत नैतिक आचरण और दृष्टिकोण के आधार पर विकल्पों के माध्यम से सच्ची शांति का निर्माण किया जाना चाहिए जो मानव व्यक्ति को हर क्रिया के मूल और अंत के रूप में पहचानने में सक्षम हो."

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01 March 2019, 11:42