मस्जिदों में हुई गोलीबारी में मरे लोगों को श्रद्धांजलि मस्जिदों में हुई गोलीबारी में मरे लोगों को श्रद्धांजलि 

न्यूजीलैंड में गोलीबारी के बाद बंदूकों के कानून में होगा बदलाव

प्रधान मंत्री आर्डेन ने घोषणा की कि कानून में बदलाव के लिए सैद्धांतिक रूप से उन्हें कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है और वो जल्द ही इसकी पूरी जानकारी देंगी।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

न्यूजीलैंड, बुधवार 19 मार्च 2019 (वाटिकन न्यूज) : न्यूजीलैंड के क्राइस्टचर्च शहर के दो मस्जिदों में हुई गोलीबारी में 50 लोगों की मौत के बाद न्यूज़ीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा आर्डेन ने बंदूकों से जुड़े कानून में बदलाव की घोषणा की है।

सोमवार को एक प्रेस कानफ्रेंस में प्रधानमंत्री आर्डेन ने कहा, "इस भयावह आतंकी घटना के 10 दिन के भीतर हम बंदूकों से जुड़े कानून में बदलाव की घोषणा करेंगे और मैं मानती हूं कि इससे हमारा समाज और सुरक्षित हो जाएगा।"

प्रधान मंत्री आर्डेन ने स्वीकार किया, अभी भी कुछ विस्तार से काम करना बाकी है, लेकिन जितनी जल्दी हो सके वे उतनी तेज़ी से काम करना चाहती हैं। उन्होंने  यह करते हुए आश्वासन दिया कि नियम में बदलाव के लिए कैबिनेट ने एक निर्णय लिया है जो यह दर्शाता है कि वे एकता में हैं। प्रधानमंत्री ने दोहराया कि यह कानून के परिवर्तनों का विवरण है जिसकी आवश्यकता बदले जाने के बजाय जांच और कार्यान्वित किया जाना है।

अल नूर मस्जिद में शुक्रवार की नमाज के दौरान 50 लोग मारे गए, जब एक बंदूकधारी ने नमाजियों पर गोलियां चला दीं। हमले का एक हिस्सा फेसबुक पर लाइव-स्ट्रीम किया गया था। घटनास्थल से भागने के बाद, बंदूकधारी ने लिनवुड इस्लामिक सेंटर पर दूसरे हमले का प्रयास किया, लेकिन कम से कम एक मुस्लिम ने कई और मौतों को रोकने के लिए बंदूकधारी का ध्यान अपनी ओर खींचने में सफल रहा।

28 साल के ऑस्ट्रेलियाई नागरिक ब्रेन्टन टैरन्ट ने हमले में इस्तेमाल की जाने वाली बंदूकें, सेमी ऑटोमाटिक और शॉटगन बंदूकें सभी को कानूनी रूप से हासिल किया था।

एक अनुमान के अनुसार देश में इस समय कुल 15 लाख हथियार हैं। हमले के बाद सेमी ऑटोमेटिक हथियारों पर बैन की मांग बढ़ गई है।

 न्यूजीलैंड में शिकार करने की संस्कृति भी बंदूकों पर लगाम लगाने की कोशिशों को असफल बनाने के लिए ज़िम्मेदार मानी जाती है।

न्यूज़ीलैंड दुनिया के उन देशों में शामिल है, जहां बंदूक रखना आसान है। यहां बंदूक रखने की न्यूनतम उम्र 16 साल और सेना जैसी सेमी-ऑटोमेटिक बंदूक रखने के लिए न्यूनतम उम्र 18 साल है। इस उम्र से ऊपर के लोग बंदूक रख सकते हैं। इसके साथ ही बंदूक रखने के लिए लाइसेंस होना जरूरी है। व्यक्तिगत बंदूकधारियों के लिए पंजीकरण कराना ज़रूरी नहीं है। एक बार लाइसेंस मिलने के बाद व्यक्ति चाहे जितनी चाहे उतनी बंदूकें खरीद सकता है।

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19 March 2019, 16:26