पुलिस को मिला आरोप दर्ज़ करने हेतु आदेश
जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी
नई दिल्ली, शुक्रवार, 1 फरवरी 2019 (ऊका समाचार): भारत के सुप्रीम कोर्ट ने 29 जनवरी को उदारता के मिशनरी धर्मसंघ की धर्मबहन सि. कॉनसिलिया द्वारा ज़मानत के लिये की गई अपील को ठुकरा दिया. छः माह पूर्व झारखण्ड में बाल तस्करी के आरोप में सि. कॉनसिलिया को गिरफ्तार किया गया था.
पुलिस को आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने अब तक सि. कॉनसिलिया द्वारा ज़मानत के लिये की गई तीन अपीलों को अस्वीकार कर दिया है इसलिये कि पुलिस ने अब तक औपचारिक तौर पर इस मामले में सिस्टर पर आरोप नहीं लगाये हैं.
ऊका समाचार ने गुरुवार को प्रकाशित किया कि हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने ज़मानत की अपील को ठुकरा दिया है, अदालत ने पुलिस को शीघ्रातिशीघ्र औपचारिक तौर पर आरोप दर्ज़ करने का आदेश भी दिया है.
14 जुलाई 2018 को 61 वर्षीय सि. कॉनसिलिया को बाल तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था जब वे राँची स्थित निर्मल हृदय नामक महिला आश्रम में सेवारत थीं जहाँ अविवाहित गर्भवती महिलाओं को सेवा प्रदान की जाती है. सिस्टर पर आरोप है कि वे धन के बदले नि: सन्तान दम्पत्तियों को बच्चे प्रदान करती रही थी.
कलीसिया ने प्रकट किया दुख
भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के महासचिव महाधर्माध्यक्ष थेओदोर मैसकारेनस ने गहन खेद व्यक्त कर कहा कि सि. कॉनसिलिया निराश्रित महिलाओं की सेवा करती रही थी. उन्होंने कहा, "सिस्टर कॉन्सिलिया निर्दोष हैं और बीमार भी हैं, यह अत्यन्त दुख की बात है कि एक निर्दोष वृद्ध महिला को सलाखों के पीछे बन्द रखा जा रहा है जबकि हत्यारों और अन्य कट्टर अपराधियों को जमानत मिल जाती है."
मीडिया में ख़बरें आने के बाद कि झारखंड राज्य सरकार ने मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी के निर्मल हृदय्रम के लाइसेंस को निरस्त कर दिया है ज़मानत रद्द कर दी गई. अधिकारियों ने कहा है कि उन्होंने धर्मबहनों द्वारा संचालित 15 अन्य आश्रमों के लाईसेन्सों को भी निरस्त कर दिया है किन्तु मिशनरीज़ ऑफ चैरीटी के अनुसार, लाईसेन्स रद्द करने की उन्हें कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिली है.
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