मौत की सजा के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय आयोग के सदस्यों से मुलाकात करते संत पापा मौत की सजा के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय आयोग के सदस्यों से मुलाकात करते संत पापा 

देखभाल की नीति द्वारा मृत्यु दण्ड के अंत की मांग

सोमवार को संत पापा ने वाटिकन में मौत की सजा के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय आयोग के सदस्यों से मुलाकात की।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, मंगलवार, 18 दिसम्बर 2018 (रेई)˸ संत पापा फ्राँसिस ने मौत की सजा के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय आयोग के सदस्यों से मुलाकात करते हुए, मौत की सजा पर रोक हेतु उन देशों से आग्रह किया जो मृत्युदण्ड को अब भी जारी रखे हुए हैं।   

हरेक का जीवन पवित्र है

संत पापा ने आयोग के सदस्यों को बतलाया कि "हर जीवन पवित्र है" इसी सच्चाई ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मृत्यु दण्ड को रोकने हेतु बल प्रदान किया है। यह समर्पण काथलिक कलीसिया की धर्मशिक्षा के अनुच्छेद 2267 में बदलाव लाने के साथ अधिक मजबूत हो गया है। कलीसिया की धर्मशिक्षा वर्तमान संत पापा की धर्मशिक्षा एवं ख्रीस्तियों के अंतःकरण पर चिंतन करती है जो उस सजा का बहिष्कार करते हैं जिसके द्वारा मानव प्रतिष्ठा को गंभीर रूप से हानि पहुँचता है। संत पापा ने स्पष्ट किया कि धर्मशिक्षा में मृत्युदण्ड को ऐसे समय में स्वीकार किया गया था जब ख्रीस्तीयता की अपेक्षा विधि-सम्मत अधिक प्रबल थी, जिसने न्याय पर दया की प्राथमिकता की उपेक्षा की थी। संत पापा ने इस बात पर जोर दिया कि सुसमाचार के आलोक में कलीसिया की वर्तमान शिक्षा, "मृत्युदण्ड हमेशा अस्वीकार्य है" क्योंकि यह व्यक्ति की पवित्रता एवं उसकी प्रतिष्ठा पर प्रहार करता है।  

नैतिक पुनर्वास

संत पापा ने कहा कि जो कैदखाना व्यक्ति को नैतिक पुनर्वास एवं समुदाय में एकीकरण का अवसर नहीं देता, वह एक "छिपित मृत्यु" है क्योंकि कोई भी व्यक्ति मुक्ति, मेल-मिलाप अथवा जीवन और आशा से वंचित नहीं किया जा सकता।

देश की जिम्मेदारी

संत पापा ने कहा कि मृत्युदण्ड का विरोध करने में कलीसिया के समर्पण को अंतरराष्ट्रीय समुदाय के समानांतर होना चाहिए। अपने कानूनी तंत्र निर्धारित करने के लिए राष्ट्रों का सार्वभौमिक अधिकार अंतरराष्ट्रीय कानून या "मानव गरिमा की सार्वभौमिक मान्यता के साथ विरोधाभास नहीं हो सकता।"

संत पापा ने अपने सम्बोधन में उन देशों से सीधे अपील की जिन्होंने अब तक मृत्युदण्ड को समाप्त नहीं किया है।

मृत्युदण्ड समाप्त करने हेतु प्रतिबद्धता   

संत पापा ने कहा कि मौत की सजा के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय आयोग के साथ कलीसिया एवं परमधर्मपीठ दोनों सहयोग करना चाहते हैं ताकि इस सजा एवं अन्य क्रूर सजाओं को समाप्त किया जा सके। उन्होंने कहा कि इसके लिए सभी भली इच्छा रखने वाले एवं बपतिस्मा द्वारा ख्रीस्तीय बुलाहट में सहभागी होने वाले लोग बुलाये जाते हैं।

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

18 December 2018, 15:48