पोलैंड के कटोवाईस में कॉप 24 पोलैंड के कटोवाईस में कॉप 24  

आमघर के निर्माण के लिए एक साथ कार्य करें, कार्डिनल परोलिन

वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल पीयेत्रो परोलिन ने मंगलवार को पोलैंड के कटोवाईस में कॉप 24 के उच्च स्तरीय सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए, हमारे आमघर के निर्माण में पेरिस समझौते के लक्ष्यों और सहयोग की उपलब्धि को अपनाये जाने का आग्रह किया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

सोमवार को कातोवाईस के कॉप 24 में परमधर्मपीठ की आवाज सुनी गयी जो 2 से 14 दिसम्बर तक जारी रहेगा। वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल पीयेत्रो परोलिन ने कॉप 24 के उच्च स्तरीय सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए संत पापा फ्राँसिस की ओर से उनका अभिवादन किया। इस साल अक्टूबर में जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल (आईपीसीसी) की विशेष रिपोर्ट जारी की गई थी। उन्होंने कहा कि यह दर्शाती है कि हमारे आमघर के निर्माण हेतु एक साथ काम करने के लिए सामूहिक प्रत्युत्तर की आवश्यकता है।  

जलवायु परिवर्तन के लिए राजनीतिक इच्छा की आवश्यकता 

कार्डिनल ने कहा कि आईपीसीसी की खास रिपोर्ट में पेरिस समझौते के लक्ष्यों को फिर से भरने तथा ग्लोबल वार्मिंग सीमित करने का समय अभी भी है। जिसके लिए विकास, तकनीकि एवं ग्रीन हाऊस गैस के क्षय होने पर रोक लगाने के लिए एक मॉडल को अपनाने हेतु एक दृढ़ राजनीतिक इच्छा शक्ति की जरूरत है। उन्होंने कहा कि पेरिस समझौता, इस सवाल का जवाब है कि क्या "लागू करने के लिए पर्याप्त राजनीतिक इच्छा शक्ति है।"कार्डिनल परोलिन ने कहा कि इस कार्यक्रम हेतु परमधर्मपीठ के लिए तीन चीजें महत्वपूर्ण हैं। पहला, कि यह स्पष्ट नैतिक आधार पर स्थापित हो। दूसरा, यह मानव व्यक्ति की प्रतिष्ठा की ओर अग्रसर हो तथा गरीबी को दूर करे एवं समग्र मानव विकास को प्रोत्साहित करे और तीसरा, वर्तमान एवं भविष्य की आवश्यकताओं को पूरा करने का प्रयास करे।

जलवायु परिवर्तन नौकरी के अवसर से जुड़ा है 

कार्डिनल पेरोलिन ने पेरिस समझौते को लागू किये जाने का प्रस्ताव इसलिए भी रखा क्योंकि इसमें अधिक उचित नौकरी के अवसरों की उपलब्धता है। उचित नौकरी का निर्माण आवश्यक है तथा यह मानव अधिकार, सुरक्षा एवं गरीबी दूर करने से संबंधित है, खासकर, उन लोगों के लिए जो जलवायु परिवर्तन से प्रभावित हैं।

जलवायु परिवर्तन एक नैतिक मुद्दा

कार्डिनल ने कहा कि यह स्पष्ट है कि जलवायु परिवर्तन तकनीति से अधिक एक नैतिक मुद्दा है जिसके कारण संत पापा फ्राँसिस के प्रेरितिक पत्र लौदातो सी संख्या 139 में कहते हैं, "समाधान की रणनीति, गरीबी का सामना करने, बहिष्कृत लोगों को मानव प्रतिष्ठा वापस दिलाने, साथ ही प्रकृति की रक्षा करने की मांग करती है।" इसके लिए उन मान्यों पर केंद्रित मानसिकता की आवश्यकता होती है जो "जलवायु परिवर्तन के नैतिक और मानव आयाम को उजागर करते हैं।"

जलवायु परिवर्तन सामूहिक प्रत्युत्तर की मांग करता है

इस मुद्दे का एक और पहलू है भविष्य की पीढ़ियों के प्रति ज़िम्मेदारी, जिन्हें "पिछले लोगों की वजह से समस्या नहीं होनी चाहिए।" उन्होंने कहा कि संत पापा उम्मीद करते हैं कि 21वीं सदी में हम अधिक उदार बन पायेंगे। हमारे आमघर के निर्माण हेतु एक साथ कार्य करने की हमारी उस जिम्मेदारी को पूरा करने के सिवा हमारे पास और कोई दूसरा विकल्प नहीं है।   

 

 

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04 December 2018, 18:06