सात ख्रीस्तीयों में एक उत्पीड़न सहित जीने के लिये बाध्य, रिपोर्ट
जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी
रोम, शुक्रवार, 23 नवम्बर 2018, (रेई, वाटिकन रेडियो): जर्मनी की काथलिक लोकोपकारी संस्था "चर्च इन नीड" ने एक रिपोर्ट जारी कर बताया कि हर सात ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों में एक ख्रीस्तीय धर्मानुयाई ऐसी भूमि पर जीवन यापन के लिये बाध्य है जहाँ ख्रीस्तीयों को उनके विश्वास के ख़ातिर उत्पीड़ित किया जाता है.
धर्म की स्वतंत्रता पर "चर्च इन नीड" की 14 वीं वार्षिक रिपोर्ट गुरुवार 22 नवम्बर को रोम में र्रकाशित की गई. आ्यान आकर्षित कराया गया कि विश्व में 30 करोड़ लोग अपने धर्म और विश्वास के कारण सताये जाते हैं. 2016 से 2018 तक किये गये सर्वेक्षण में पाया गया कि बहुत से देशों में रार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन तथा उत्पीड़न की वृद्धि हुई है.
38 देशों में मर्म की स्वतंत्रता का हनन
रिपोर्ट के अनुसार विश्व के 38 देशों की पहचान की गई है जहाँ धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन हो रहा है तथा 21 देश ऐसे हैं जहाँ धर्म और विश्वास के कारण लोगों को उत्पीड़ित किया जाता है. इन देशों में अफ़गानिस्तान, साऊदी अरब, बंगलादेश, म्यानमार, चीन, उत्तरी कोरिया, एरित्रेया, भारत, इन्डोनेशिया, ईराक, लिबिया, नाईजर, पाकिस्तान, फिलीस्तीन, सिरिया, सोमालिया एवं सूडान के नाम गिनाये गये. इसी बीच, ऐसे देशों के नाम भी गिनाये गये जहाँ अल्पसंख्यकों के विरुद्ध भेदभाव किया जाता है, इनमें प्रमुख हैं, आल्जिरिया, अज़रबैजान, लाओस, मालदीव, कटर, तुर्की, यूक्रेन एवं वियतनाम.
पाकिस्तान एवं भारत में अल्पसंख्यकों पर हमले
पाकिस्तान में मुस्लिम रूढ़िवादियों एवं भारत में हिन्दू चरमपंथियों द्वारा अल्पसख्यकों के विरुद्ध हिंसा पर भी गहन चिन्ता व्यक्त की गई. भारत में अल्पसंख्यकों और विशेष रूप से ख्रीस्तीयों के विरुद्ध हिंसा की निन्दा की गई और कहा गया कि चरमपंथी दल राष्ट्र की एकता पर ख़तरा है. यह भी बताया गया कि सन् 2017 में भारत में ख्रीस्तीयों के विरुद्ध 736 हमले किये गये.
मध्यपूर्व एवं अफ्रीका के देशों में आई आईस आई एस के आतंकवादियों. नाईजिरिया एवं मिस्र जैसे देशों में बोको हराम तथा सोमालिया में अल शबाब जैसे अतिवादी एवं दलों की हिंसा की कड़ी निन्दा की गई जो मध्यपूर्व एवं अफ्रीका में विकास, स्थायित्व एवं शांति स्थापना में बाधा डाल रहे हैं.
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