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दीपावली महापर्व में दीप जलाते लोग दीपावली महापर्व में दीप जलाते लोग 

वाटिकन की ओर से दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ

वाटिकन के परमधर्मपीठीय अन्तरधार्मिक परिसम्वाद परिषद ने एक संदेश प्रकाशित कर, विश्वभर के हिन्दूओं को दीपावली महापर्व की सौहार्दपूर्ण बधाइयाँ और प्रार्थनामय शुभकामनाएँ अर्पित की।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

दीपावली महापर्व 7 नवम्बर को मनाया जाएगा। संदेश का साराँश है- "ख्रीस्तीय धर्मानुयायी एवं हिन्दूः समाज के दुर्बलतम लोगों के हित हेतु।"

परमधर्मपीठीय अन्तरधार्मिक परिसम्वाद परिषद के सचिव मिगेल आन्गेल अयुसो गिक्सो, एमसीसीजे ने दीपावली की शुभकामनाएँ देते हुए कहा, "प्रिय हिंदू मित्रो, परमधर्मपीठीय अन्तरधार्मिक परिसम्वाद परिषद आप सब के प्रति, 07 नवम्बर को मनाये जानेवाले, दीपावली महापर्व की सौहार्दपूर्ण बधाइयाँ और प्रार्थनामय शुभकामनाएँ अर्पित करती है। इस महोत्सव के सभी समारोह आप सबके बीच मैत्री एवं भ्रातृत्व भाव को सबल बनायें तथा आपके परिवारों एवं समुदायों में शांति और हर्ष को बढ़ावा दें।"

दीपावली दीपों का त्योहार है जो बुराई पर अच्छाई के विजय की यादगारी में मनायी जाती है। संदेश में समाज के  निर्धन, रोगी, वृद्ध, विकलांग, परित्यक्त, आप्रवासी, सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक और भाषी दृष्टि से हाशिये पर रखे गये, बहिष्कृत किये गये तथा शोषण एवं हिंसा के शिकार लोगों, विशेषकर, महिलाओं और बच्चों की याद करते हुए कहा गया है कि व्याकुल कर देने वाले इस सन्दर्भ में हम आपके साथ अपने इस चिन्तन को साझा करना चाहते हैं कि किस प्रकार, हिन्दू एवं ख्रीस्तीय धर्मानुयायी समान रूप से, उनके बचाव, उनकी रक्षा एवं उनकी सहायता में संलग्न हो सकते हैं।

दुर्बलों की देखरेख हेतु नैतिक दायित्व

दुर्बलों की देखरेख हेतु नैतिक दायित्व हमारे इस साझा विश्वास से प्रस्फुटित होता है कि हम सब ईश्वर द्वारा सृजित प्राणी हैं तथा, परिणामस्वरूप, प्रतिष्ठा में समान और एक-दूसरे के प्रति ज़िम्मेदार भाई-बहन हैं। यह उस बोध से भी उत्पन्न होता है कि कभी-कभी हम भी स्वतः को कमज़ोर महसूस करते हैं तथा किसी से सहायता की खोज करते हैं। हमारी सामान्य मानवीय स्थिति पर स्वस्थ जागरूकता एवं अन्यों के प्रति हमारा नैतिक कर्तव्य, हमें, उनकी पीड़ाओं को कम करने, उनके अधिकारों की रक्षा करने तथा उनकी गरिमा को पुनः प्रतिष्ठित करने हेतु, हमसे जो सम्भव बन पड़े, वह करने के लिये उत्प्रेरित करता है।  

कमजोर की सहायता में अधिक प्रतिबद्धता की आवश्यकता  

इसमें कोई सन्देह नहीं है कि विश्व के विभिन्न भागों में व्यक्तियों, समूहों और समुदायों द्वारा इस सम्बन्ध में अनेक प्रशंसनीय  प्रयास किये जा रहे हैं। तथापि, दुर्बलों की विशाल संख्या तथा प्रायः उनकी ज़रूरतों को पूरा करने में आवेष्टित जटिलताओं के मद्देनज़र, वे प्रयास महासागर में कुछ बून्दों मात्र प्रतीत होते हैं। फिर भी, सेवा के अवसर हमारे चारों ओर हैं, क्योंकि कमज़ोर लोग हर समुदाय और हर समाज में पाये जाते हैं। एकजुटता की भावना से प्रेरित अतिरिक्त प्रयासों की आवश्यकता है जिससे कि वे "उनके प्रति उत्कंठित भाइयों एवं बहनों की उपस्थिति का अनुभव  कर सकें तथा, अपने हृदय एवं जीवन के द्वारों को खोलकर उन्हें मित्र एवं परिवार जैसा एहसास दिला सकें" (सन्त पापा फ्राँसिस, निर्धनों को समर्पित द्वितीय विश्व दिवस पर सन्देश, 18 नवम्बर, 2018)। अन्ततः, किसी भी समाज की सभ्यता का सही मापदण्ड, सर्वाधिक दुर्बल सदस्यों के साथ उसका व्यवहार ही होता है।

संस्कृति को पोषित करने के लिये भी चौकसता

न केवल समाज में दुर्बलों को वैधसंगत स्थान दिलवाने एवं उनकी अधिकारों की सुरक्षा हेतु, अपितु, उनकी देख-रेख एवं उनके प्रति उद्विग्नता की संस्कृति को पोषित करने के लिये भी चौकसता और सहयोग की आवश्यकता है। हमारे अपने परिवारों में भी, यह सुनिश्चित्त करने हेतु हर सम्भव प्रयास किया जाना चाहिये कि कोई भी व्यक्ति स्वतः को अवांछित, अप्रीतिकर, उपेक्षित अथवा परित्यक्त महसूस न करे। समाज के प्रत्येक हिस्से को, विशेष रूप से, राजनैतिक एवं सरकारी नेताओं तथा व्यावहारिक सहायता प्रदान करने में सक्षम लोगों को चाहिये कि वे समाज के कमज़ोर लोगों के प्रति अपने मानवीय चेहरे एवं हृदय प्रदर्शित करें तथा उनकी सेवा के लिये तत्पर रहें जो  हाशिये पर हैं एवं उत्पीड़ित हैं। इस प्रकार की उदारता मात्र एक सांकेतिक कृत्य के रूप में नहीं बल्कि ईश-प्रेरित कृत्य के रूप में प्रकट होना चाहिये जिसका लक्ष्य दुर्बलों का यथार्थ उद्धार एवं कल्याण तथा उनके उद्देश्यों की रक्षा हो।

धार्मिक परम्पराओं के अनुयायियों के साथ मिलकर कार्य करने का आह्वान

अपनी-अपनी आध्यात्मिक परम्पराओं में मूलबद्ध विश्वासियों के रूप में तथा सबके कल्याण के लिये साझा उत्कंठा रखने वाले व्यक्तियों के सदृश, हम अन्य धार्मिक परम्पराओं के अनुयायियों एवं सभी शुभचिन्तकों के साथ मिलकर अपने कमजोर भाइयों और बहनों के लिए एक सुखद वर्तमान एवं आशापूर्ण भविष्य सुरक्षित करने हेतु सामूहिक और समेकित प्रयास करें! 

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31 October 2018, 16:27