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परमाणु हथियार प्रतिबंध संधि पर वाटिकन के विचार

अमरीका में वाटिकन के प्रेरितिक राजदूत एवं संयुक्त राष्ट्रसंघ के स्थायी पर्यावेक्षक महाधर्माध्यक्ष बेर्नादितो औजा की ओर से उनके दूसरे सलाहकार फादर डेविड चार्टर्स ने 22 अक्टूबर को परमाणु हथियार प्रतिबंध संधि पर संयुक्त राष्ट्र महासभा को सम्बोधित किया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन ने पुनः एक बार परमाणु हथियार द्वारा मानवीय एवं पर्यावरणीय विनाशकारी प्रभाव पर चिंता व्यक्त की है तथा सभी सरकारी अधिकारियों का आह्वान किया है कि जिन्होंने परमाणु हथियारों के बहिष्कार पर संयुक्त राष्ट्र के समझौते को स्वीकार किया है वे उसपर हस्ताक्षर करें एवं उसे पुष्ट करें।

महाधर्माध्यक्ष औजा की ओर से बोलते हुए फादर डेविड ने सोमवार को संयुक्त राष्ट्र की एक सभा को सम्बोधित किया जिसमें परमाणु हथियारों पर विचार-विमर्श किया गया।

परमाणु हथियारों पर प्रतिबंध समझौता जो परमाणु हथियारों के प्रयोग, उसके प्रयोग के भय, विकास, परीक्षण, निर्माण, व्यावसाय तथा परमाणु हथियार रखने पर रोक लगाती है, उसपर हस्ताक्षर एवं उसे पुष्ट किये जाने पर, वह उन 50 देशों में लागू हो जाएगा जिन्होंने उसपर सहमति दिखलायी है।

फादर डेविड ने चेतावनी दी कि परमाणु युद्ध अथवा परमाणु हथियारों के सीमित प्रयोग द्वारा अकल्पनीय घटनाएं हो सकती हैं तथा असंख्या लोग उसके कारण मृत्यु के शिकार हो सकते हैं, साथ ही साथ, पर्यावरण को भी भयंकर रूप से क्षति पहुँच सकती है।  

संत पापा एवं परमाणु हथियार

वाटिकन प्रतिनिधि ने कहा कि 14,000 परमाणु हथियार कुछ ही देशों के हाथों में है जो इस समय की सबसे बड़ी नैतिक चुनौती है। उन्होंने कहा कि काथलिक कलीसिया सन् 1943 से ही परमाणु हथियार का विरोध करती आ रही है।

संत पापा जॉन 23वें ने अपने प्रेरितिक पत्र "पृथ्वी पर शांति" में इसपर रोक का आह्वान किया था। बाद में अन्य संत पापाओं ने भी युद्ध के इस बुरे औजार को नष्ट किये जाने की मांग की थी जो झूठी सुरक्षा दिखलाती तथा अविश्वास एवं अलगाव को बढ़ावा देती है।

संसाधनों की बर्बादी

फादर डेविड ने कहा कि द्वितीय वाटिकन महासभा ने परमाणु हथियारों की निंदा की थी तथा उसे मानवता के लिए एक पूरी तरह से विश्वासघाती जाल कहा था जो गरीबों को असहनीय रूप से घायल कर देता है। उन्होंने कहा कि परमाणु हथियारों के रख-रखाव में जो खर्च किये जाते हैं, उनका प्रयोग दूसरी चीजों में की जानी चाहिए ताकि सतत् विकास को बढ़ावा दिया जा सके, खासकर, अत्यधिक गरीबी एवं भूख के निराकरण को।

वाटिकन प्रतिनिधि ने संत पापा फ्राँसिस का हवाला देते हुए कहा कि परमाणु हथियार तथा विनाश का भय, भाईचारा की नीति एवं शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व का आधार नहीं हो सकता।

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24 October 2018, 16:44