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चीन का एक गिरजाघर चीन का एक गिरजाघर 

चीनी काथलिकों को संत पापा के संदेश का विश्लेषण

वाटिकन के प्रमुख समाचार पत्र "ओस्सेवातोरे रोमानो" के सम्पादक जोवान्नी मरिया वियान ने कहा है कि चीनी काथलिकों तथा विश्वव्यापी कलीसिया को संत पापा फ्राँसिस के संदेश का प्रकाशन, चीन में काथलिक धर्माध्यक्षों की नियुक्ति पर परमधर्मपीठ एवं चीन के अस्थायी समझौते पर हस्ताक्षर को पुष्ट करता है, जो उस वार्ता का परिणाम है जो विगत तीस वर्षों से जारी है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

जोवन्नी मरिया वियन ने कहा कि परमधर्मपीठ का दस्तावेज जिसपर बिजिंग में हस्ताक्षर किया गया, वह सरल, स्पष्ट एवं संदेह रहित है, जिसका मकसद है सुसमाचार के प्रचार को समर्थन एवं प्रोत्साहन देना। साथ ही साथ, चीन की काथलिक कलीसिया की पूर्ण एवं दृश्यमान एकता तक पहुँचना एवं उसकी रक्षा करना। यह सुनिश्चित करना कि कलीसिया मुक्ति का साक्ष्य देने एवं सुसमाचार का प्रचार करने के लिए ख्रीस्त द्वारा स्थापित है तथा यह इसमें अधिक विश्वसनीय हो सकती है जब यह पूर्ण एकता में रहती है।

आध्यात्मिक महत्व

स्तोत्र ग्रंथ से लिया गया उद्धरण तथा संत पापा बेनेडिक्ट 16वें द्वारा धर्माध्यक्षों को लिखा गया पत्र, संदेश को खोलता तथा इसके आध्यात्मिक महत्व को अधिक स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करता है। विशाल एशियाई देशों में दिव्य करूणा द्वारा स्थापित छोटे झुण्ड का प्रकाश लोगों के सामने चमके ताकि वे ईश्वर की महिमा एवं उनके भले कार्यों को देख सकें। इस प्रकार यह कलीसिया का कार्य है जो चीन में भी लागू होता है।

भविष्य के निर्माण के लिए एक साथ चलना

राय और विचारों के बवंडर द्वारा उत्पन्न विभ्रान्ति को ध्यान में रखते हुए संत पापा चीन की कलीसिया के लिए प्रत्येक दिन प्रार्थना करने की सलाह देते हैं तथा उनकी निष्ठा तथा परीक्षा में दृढ़ता की सराहना करते हैं। वे चीन के सभी लोगों के सम्मान को सुनिश्चित करना चाहते हैं जो प्रचीन काल से ही ख्रीस्तीय संदेश को प्राप्त करने के द्वारा आया है। इस आधार पर संत पापा फ्राँसिस ने जोर दिया है कि वार्ता का अर्थ अपने आप को जानना, अपने आप का सम्मान करना तथा भविष्य के निर्माण के लिए विविधताओं को पार करते हुए एक साथ चलना है।  

मिलकर एक अच्छे उम्मीदवार का चुनाव

उन्होंने कहा है कि इस वार्ता में, जो कि निश्चय ही आसान नहीं है जिस अस्थायी समझौते पर बिजिंग में हस्ताक्षर किया गया है अंततः धर्माध्यक्षों की नियुक्ति पर सवाल के हल के लिए किया गया है। यह पिछले दशकों के मार्ग में निरंतरता के, साथ साथ अभूतपूर्व रास्ते के लिए आवश्यक शुरुआती बिंदु को चिह्नित करना है। समझौते को पूर्ण किये जाने की आवश्यकता है किन्तु पहली बार परमधर्मपीठ एवं चीन के बीच कुछ स्थायी तत्वों से सहयोग करने के लिए प्रस्तुत किया गया है।

इसका उद्देश्य है एक प्रणाली की शुरूआत करना जिसमें धर्माध्यक्ष, पुरोहित, धर्मसमाजी एवं लोकधर्मी शामिल हों, जो धर्माध्यक्ष पद के लिए, मिलकर एक अच्छे उम्मीदवार का चुनाव कर सकें, न कि वे धार्मिक मामलों को व्यवस्थित करने के लिए अधिकारियों को चुनें। अतः समस्त काथलिक कलीसियाई समुदाय को नौकरशाही की नहीं किन्तु एक मिशनरी के चुनाव के निष्कर्ष पर पहुँचना चाहिए।

ओस्सेरवातोरे रोमानो समाचार पत्र के सम्पादक जोवन्नी मरिया वियन ने कहा कि समझौता चीन की काथलिक कलीसिया के साक्ष्य एवं विश्वास को बिना शर्त ऊपर उठाना है।  

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27 September 2018, 16:37