रोहिंग्याई बच्चे रोहिंग्याई बच्चे 

“पीढ़ी खोने” से बचने हेतु शिक्षा की अति आवश्यकता

युनीसेफ की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार बंगला देश के दक्षिण में करीब पांच लाख रोहिंगिया शरणार्थी बच्चे शिक्षा से वंचित हैं। उन बच्चों को जीवन की हताशी और निराशा से बचाने हेतु अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर पहल करने की अति आवश्यकता है।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

यूनीसेफ ने इस बात हेतु सचेत किया है कि शरणार्थी शिवरों और कॉक्स बाजार जिले में रह रहे बच्चों का भविष्य अंधकारमय प्रतीत होता है। वहाँ के बच्चों का स्वास्थ्य और शिक्षा संबंधी व्यवस्था देश के अन्य जिलों की स्थिति से अति दयनीय है।  बदतर स्थिति के कारण उन्हें अपने घर वापसी का अवसर अंधकारमय दिखता है।

शिक्षा के अभाव में भविष्य अंधकारमय

बंगलादेश में यूनीसेफ के प्रतिनिधि एदोआदो वीवेदर ने कहा,“यदि हम इस समय इन बच्चों की शिक्षा मद को खर्च नहीं करते तो रोहिंगिया बच्चों में “पीढ़ियों के अंत” का खतरा देखने को मिलेगा। बच्चे जो जीविका हेतु अपने में किसी कौशल का विकास नहीं करते तो वे भविष्य का सामना करने में अपने को असमर्थ पायेंगे और अपने म्यांमार लौटने पर भी  देश के लिए कुछ भी सेवा देने के योग्य नहीं रहेंगे।”

शरणार्थी संकट के शुरूआती दिनों से ही बच्चों में गंभीर कुपोषण की बड़ी समस्या पायी गई है। यूनीसेफ द्वारा 2017 में किये गये सर्वे के अनुसार 5 वर्ष की उम्र से छोटे बच्चे जो कुपोषण का शिकार हैं उनकी संख्या करीब 3 प्रतिशत है। वर्तमान वर्ष 2018 में उनमें करीबन पचास हजार बच्चों की चिकित्सा चल रही है।

यूनीसेफ की सहायता

शरणार्थी बच्चों की शिक्षा के संबंध में सन् 2018 में यूनीसेफ की ओर से 1200 शिक्षण केन्द्र चलाये जा रहे हैं जिसमें 140,000 बच्चों ने अपना नामांकन कराया है यद्यपि इन शिक्षण केन्द्रों में कोई निश्चित पाठ्यक्रम पर सहमति नहीं हुई। कक्षाओं में बच्चों की संख्या जरूरत से ज्यादा है लेकिन उनके लिए मूलभूत जरूरत की सेवा, जैसे, पानी और अन्य सुविधाओं का अभाव है। बच्चों के लिए एक नये पाठ्यक्रर्मों का निर्माण किया जा रहा है जिससे पढ़ने, भाषा सीखने, गणित तथा अन्य जीविका उपार्जन की उच्च शिक्षा दी जा सकें।

लड़कियों के परिवार से अलग होने की समस्या

रिपोर्ट के अनुसार अन्तरराष्ट्रीय समुदाय रोहिंग्या बच्चों के लिए उच्च शिक्षा हेतु मद खर्च करने की बात कही गई है विशेषकर, किरोशावस्था की लड़कियों के लिए जो कि समाज से परित्यक्त होने की स्थिति में हैं। 2018 के जनवरी महीने से रोहिंग्या लोगों के बीच 900 ऐसी घटनाएं हुई हैं जहाँ बच्चे अपने परिवार से अलग हो गये, उन्हें यौन शोषणा का शिकार होना पड़ा और कई एक को अनधिकारिक रुप में म्यांमार भागने के क्रम में न्यायिक प्रणाली का शिकार होना पड़ा। 

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23 August 2018, 17:15