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रोहिंग्याई शरणार्थी रोहिंग्याई शरणार्थी 

धर्माध्यक्ष रोजारियो की रोहिंग्यों की सुरक्षा हेतु नेताओं से अपील

धर्माध्यक्ष रोज़ारियो ने रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए सम्मानित जीवन की गारंटी हेतु राजनीतिक समझौते की अपील की।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

बंगलादेश, बुधवार, 29 अगस्त 2018 (रेई)˸ "रोहिंग्या शऱणार्थी सम्मानित जीवन जीना चाहते हैं। इन लोगों ने जातीय सफाया का संघर्ष झेला है। यह अति आवश्यक है कि रोहिंग्याई लोगों के लिए सम्मानित एवं समृद्धिपूर्ण जीवन की गारांटी देने के बंगलादेश एवं म्यांमार की सरकारों के बीच हुए समझौते का पालन किया जाए। किन्तु मैं निकट भविष्य में इस मानव त्रासदी का समाधन करने के लिए कोई सद-इच्छा नहीं देखता हूँ।" यह बात बंगलादेश के राजशाही धर्मप्रांत के धर्माध्यक्ष जेरवास रोजारियो ने फिदेस से कही।

म्यांमार के रोहिंग्या मुस्लिमों के सामूहिक विस्थापन के कारण 700 हजार से अधिक शरणार्थियों के बांगलादेश में शरण लेने का एक साल पूरा हो चुका है। जिसके लिए वर्मा के रखाईन, कचिन और शान प्रांतों में नरसंहार के लिए जिम्मेदार म्यांमार के सैनिकों की जांच और उन पर मुकदमा चलाया जाना था। इसके लिए संयुक्त राष्ट्रसंघ के मानव अधिकार समिति ने एक स्वतंत्र कमिशन का गठन किया है। जिसके दस्तावेज में समुदाय के योजनावद्ध विनाश के लिए "नरसंहार" शब्द का प्रयोग किया गया है।

बर्मा सरकार की भूमिका

रिपोर्ट को आधिकारिक रूप से 18 सितम्बर को प्रस्तुत किया जाएगा, जिसके अनुसार हेग अंतरराष्ट्रीय अदालत, वर्मा के सैनिकों, जेनेरल मिन औंग हलाइंग तथा पाँच अन्य वरिष्ठ सैनिक अधिकारियों की जाँच करेगी। रिपोर्ट में वर्मा सरकार की जटिलताओं एवं सैनिक कारवाइर्यों को बढ़ावा देने और उसे पूरा करने के अपराध की निंदा की गयी है।  

कलीसिया की सहायता

कई सालों से अनेक अंतरराष्ट्रीय काथलिक एजेंसियों, जैसे कारितास अंतरराष्ट्रीय, काथलिक राहत सेवा एवं काफोर्ड ने उनकी सहायता की है और शरणार्थियों को अब भी मदद दी जा रही है जो बंगलादेश में बस गये हैं। उन्हें भोजन, पेयजल, टेंट एवं बच्चों को शिक्षा प्रदान की जा रही हैं।

धर्माध्यक्ष रोजारियो ने कहा, "हम रोहिंग्याई समुदायों के साथ काम करते हैं जो कोक्स बाजार में हैं ताकि उन्हें मौनसून से बचने के लिए तैयार कर सकें किन्तु एक साल बाद कौन उनकी देखभाल करेगा और दूसरे एवं तीसरे सालों में कौन उन्हें आर्थिक मानवीय सहायता प्रदान करेगा। वास्तव में, वहाँ कोई राजनीतिक समाधान नहीं है।  

म्यांमार एवं बंगलादेश के बीच समझौता

उन्होंने कहा कि म्यानमार एवं बंगलादेश की सरकारों के बीच यद्यपि द्विपक्षीय बातचीत का समापन समाधान की खोज करने हेतु प्रतिबद्धता के साथ समाप्त हुई थी किन्तु वहाँ केवल इरादों की घोषणा हुई है और अभी तक कोई ठोस योजना नहीं बन पायी है।

धर्माध्यक्ष ने गौर किया कि म्यांमार एवं बंगलादेश के बीच समझौता जनवरी 2018 में ही हुई थी ताकि दो सालों में शऱणार्थियों का स्वैच्छिक प्रत्यावर्तन किया जा सके किन्तु कई अंतरराष्टरीय पर्यवेक्षकों एवं टिप्पणीकारों को संदेह है कि इन योजनाओं को क्या सचमुच साकार किया जा सकता है।

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29 August 2018, 16:37