नेयपीडाव ने 'रोहिंग्या नरसंहार' पर यूएस के आरोपों को खारिज किया
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
यांगोन, बुधवार, 29 अगस्त 2018 (एशियान्यूज)˸ प्रवक्ता जौ हताय ने 2 अगस्त को रेखांकित किया कि पश्चिमी राज्य रखाईन के रोहिंग्या अल्पसंख्यकों की हिंसा के मामले में, बर्मा सरकार संयुक्त राष्ट्रसंघ के मानव अधिकार समिति के निष्कर्ष को न तो साझा करती और न ही स्वीकार करती है। नेयपीडाव ने संयुक्त राष्ट्र के जाँच मिशन को म्यानमार घुसने की अनुमति नहीं दी है।
संयुक्त राष्ट्रसंघ के निष्कर्ष को अस्वीकार
ज़ौ हताय ने पूछताछ के स्वतंत्र आयोग की याद की जिसकी स्थापना सरकार ने संयुक्त राष्ट्र एवं अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा लगाये गये झूठे आरोपों का उत्तर देने के लिए किया है। प्रवक्ता ने सशस्त्र बलों के प्रमुख और चार अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के कमांडर के खातों को वेबसाईट से हटाने के लिए फेसबुक की भी आलोचना की कि इस तरह की कार्रवाई "राष्ट्रीय सुलह के लिए सरकार के प्रयासों में बाधा डाल सकती है।"
दो दिन पहले प्रकाशित, संयुक्त राष्ट्र जांचकर्ताओं की अंतिम रिपोर्ट, सुरक्षा परिषद से अपील की है कि हेग में अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय में म्यांमार की स्थिति को संदर्भित करे या इसके लिए विशेष अंतरराष्ट्रीय आपराधिक अदालत बनाया जाए।
संयुक्त राष्ट्रसंघ का आरोप
जांच मिशन में कहा गया है कि टाटमाडाउ के सबसे महत्वपूर्ण जनरलों, मुख्य कमांडर मिन हौंग हलाईंग की जाँच की जाए तथा राखाईन में नरसंहार के लिए मुकदमा चलाया जाए। लंबी जांच के बाद वर्णित अपराधों में हत्या, मजबूरन गायब, यातना और यौन हिंसा को बड़े स्तर पर बढ़ावा दिया जाना बतलाया गया है।
संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने भी नागरिक सरकार के कार्यों की आलोचना की है जो लोकतांत्रिक नेता आंग सान सू की के नेतृत्व में जारी है। उन्होंने आरोप लगाया है कि सरकार ने सैनिकों पर सीमित नियंत्रण रखा, भड़काऊ भाषण को नहीं रोका, साक्ष्यों एवं दस्तावेजों को नष्ट किया, रखाईन, कचिन एवं शान में तातमादाओ के युद्ध से अल्पसंख्यकों एवं मानवता की रक्षा नहीं की।
मानवाधिकारों के कथित गंभीर उल्लंघन से इनकार
आंग सान सू की की पार्टी लोकतंत्र के लिए राष्ट्रीय लीग के प्रवक्ता मयो नयूनत ने इन आरोपों को खारिज किया तथा रोहिंग्या के खिलाफ "मानवाधिकारों के कथित गंभीर उल्लंघन" से इनकार किया। उन्होंने जाँच मिशन की "निष्पक्षता और विश्वसनीयता" पर सवाल करते हुए उसे बंगाली [रोहिंग्या] की स्वायत्त आकांक्षाओं का समर्थन करने के लिए उसे एक व्यवस्थित योजना कहा। उन्होंने कहा, "बंगलादेश से म्यानमार लौटने वाले किसी व्यक्ति को हम नागरिकता प्रदान नहीं करेंगे। वे (जाँचकर्ता) उन्हें शोषित बतलाते और यहाँ तक कि उनकी हिंसा को भी न्यायसंगत ठहराने के लिए इच्छुक हैं।"
मयो ने कहा कि हमने पहले से ही शरणार्थियों के प्रत्यावर्तन के लिए सबकुछ तैयार कर लिया है, लेकिन कोई भी बांग्लादेश से लौटता नहीं है क्यों? हम विश्वास नहीं कर सकते कि 700 हज़ार में से कोई भी शरणार्थी म्यानमार लौटना नहीं चाहते। यदि 700 हज़ार लोगों को बंगलादेश में रखना चाहते हैं तो वे जानते हैं कि जब तक वे अपने क्षेत्रीय उद्देश्यों की अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त नहीं कर लेते, न केवल रखाईन किन्तु पूरा म्यानमार प्रतिक्रिया देंगे।
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