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1981 में जापान की यात्रा पर संत पापा जॉन पॉल द्वितीय शांति स्मारक का दर्शन 1981 में जापान की यात्रा पर संत पापा जॉन पॉल द्वितीय शांति स्मारक का दर्शन 

हिरोशिमा परमाणु बम हमले के 73 साल पूरे

हिरोशिमा और नागासाकी में परमाणु बम विस्फोट के 73 साल बाद, महाधर्माध्यक्ष ताकामी ने परमाणु युद्ध के भय और शांति के महत्व पर अपना चिंतन व्यक्त किया।

माग्रेट सुनीता मिंज - वाटिकन सिटी

टोकियो, मंगलवार 7 अगस्त 2018 (वाटिकन न्यूज) : जापान के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन ने सोमवार 6 अगस्त को "शांति के लिए दस दिन, 2018" आमसभा का उद्धघाटन किया। इसी दिन 73 साल पहले संयुक्त राज्य अमरीका ने हिरोशिमा शहर पर पहला परमाणु बम गिराया था। दस दिवसीय आमसभा की शुरुआत ख्रीस्तीय एकतावर्धक प्रार्थना से की गई और इस अवधि को "शांति की समस्या के समाधान" में समर्पित किया गया है।

शांति के लिए लड़ाई की याद जरुरी

जापान के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष और नागासाकी के महाधर्माध्यक्ष यूसुफ मित्सुआकी ताकामी ने ‘शांति के दस दिनों’ पर विचार करते हुए कहा कि यह वर्ष द्वितीय विश्व युद्ध के अंत की 100 वीं वर्षगांठ, भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के पिता महात्मा गांधी की हत्या के 70 साल और अफ्रीकी-अमेरिकी नागरिक अधिकारों के नेता मार्टिन लूथर किंग की हत्या की 50 वीं वर्षगांठ को अंकित करता है। उन्होंने इन "त्रासदियों" को याद दिलाया क्योंकि ये हमें युद्ध और शांति पर चिंतन करने के लिए प्रेरित करते हैं।

परमाणु हथियार के लिए प्रतिरोध जरूरी

शांति की इच्छा के बावजूद, महाधर्माध्यक्ष ताकामी का कहना है कि दुनिया भर में क्षेत्रीय संघर्ष, आतंकवाद, परमाणु हथियारों के खतरे, शरणार्थी समस्याएं, आर्थिक असमानता और भेदभाव से लोगों की शांति खतरे में है।

वाटिकन सहित केवल 11 देशों ने परमाणु हथियारों के निषेध पर संयुक्त राष्ट्र की संधि को मंजूरी दे दी है। महाधर्माध्यक्ष ने परमाणु हथियारों को प्रतिरोध की आवश्यकता को दिखाने के लिए इस आंकड़े का उपयोग किया है।

पीड़ितों की याद

हर साल की तरह इस वर्ष भी परमाणु बम गिराए जाने के 73 वर्ष पूरे होने पर सुबह एक घंटी बजाकर देश में उस दिन को याद किया गया। पीडितों की याद में बनाये गये स्मारक में शहर के मेयर उन पीड़ित लोगों का नाम जोड़ दिया जो पिछले साल 6 अगस्त के बाद से गुजरे हैं।

द्वितीय विश्वयुद्ध के अंत में अमेरिका ने जापान पर दो परमाणु हमले किए थे-पहला हिरोशिमा में 6 अगस्त को और दूसरा नागासाकी में 9 अगस्त को। इन विस्फोटों में हिरोशिमा में 1,40,000 और नागासाकी में 74,000 लोग मारे गए थे। परमाणु विस्फोट से प्रभावित लोगों को हिबाकुशा के नाम से जाना जाता है, हिरोशिमा और नागासाकी के परमाणु बम विस्फोटों के जीवित बचे लोग शारीरिक रुप से भी अपंग और अनेक बीमारियों के साथ जी रहे हैं। वर्तमान में,  उनकी संख्या लगभग 190,000 है और उनकी औसत आयु 79 वर्ष की है।

वार्षिक समारोह के लिए ग्राउंड जीरो के पास इस पार्क में खड़े होकर हिरोशिमा के मेयर कजुमी मात्सुई ने अपने वार्षिक संबोधन में एक ऐसे विश्व का आह्वान किया जो परमाणु रहित हो और बढ़ते राष्ट्रवाद के खतरे को लेकर भी आगाह किया। किसी खास देश का नाम लिए बगैर उन्होंने चेताया कि, “कुछ देश स्पष्ट तौर पर स्व-केंद्रित राष्ट्रवाद को अभिव्यक्त कर रहे हैं।” उन्होंने कहा, “वे फिर से वही तनाव पैदा कर रहे हैं जो शीतयुद्ध के खत्म होने के बाद शान्त हो गए थे।”

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07 August 2018, 15:58