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परिवारों के विश्व सम्मेलन में वाटिकन प्रतिनिधि परिवारों के विश्व सम्मेलन में वाटिकन प्रतिनिधि 

परिवार के सच्चे अर्थ को प्रस्तुत कर सकते हैं आप्रवासी

आयरलैंड में परिवारों के विश्व सम्मेलन के प्रथम दिन कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हुई जिसमें से एक प्रमुख विषय था, विस्थापन, जो विश्व में परिवारों के संबंध को मजबूत करने में मदद कर सकता है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

समग्र मानव विकास हेतु गठित परमधर्मपीठीय समिति के उप-सचिव जेस्विट फादर माईकेल चरनी ने वाटिकन की ओर से विस्थापन पर वक्तव्य प्रस्तुत किया।

उन्होंने सत्र की विषयवस्तु "उसको अपना सिर रखने के लिए कोई जगह नहीं, विस्थापितों एवं शरणार्थियों के लिए ख्रीस्तीय प्रत्युत्तर" पर संत पापा फ्राँसिस के प्रेरितिक विश्व पत्र लौदातो सी का हवाला देते हुए कहा कि यह सम्मेलन का स्पर्श बिन्दु है जो हमें अपने परिवारों से बाहर आकर समस्त मानव परिवार पर विचार करने हेतु प्रेरित करता है।

परिवार के अर्थ पर गहराई से चिंतन करने की प्रेरणा

फादर चरनी ने कहा, "अमोरिस लेतित्सिया हमें हमारे समाज एवं परिवार में, परिवार के अर्थ पर गहराई से चिंतन करने हेतु प्रेरित करता है जहाँ हमने अपने घर और आवास को हल्के ढंग से लिया है।" उन्होंने कहा कि प्रभु उन लोगों के साथ हैं जो भागने के लिए मजबूर हैं। विस्थापितों एवं शरणार्थियों द्वारा विश्व के अन्य लोगों को दिये योगदान पर चिंतन किये बिना, बहुधा उन बातों पर ध्यान दिया जाता है कि विश्व, शरणार्थियों की मदद किस तरह कर रहा है।

विस्थापित परिवारों का योगदान

कमजोर विस्थापित परिवार न केवल जरूरतमंद होते हैं और हमारी दया के काबिल होते किन्तु वे भी दूसरे विस्थापितों का स्वागत करते एवं कमजोर लोगों की रक्षा करते हैं। वे भी दूसरों के समग्र मानव विकास को प्रोत्साहन देते तथा उन लोगों के साथ बेहतर ढंग से एकीकृत होते हैं जो उनका स्वागत करते।"

डबलिन के अम्मार जैयतूर्न नाम के एक व्यक्ति ने अपने पलायन की घटना के बारे  बतलाते हुए कहा कि उसका परिवार 2015 में सीरिया छोड़कर भाग गया था।

पाँच सदस्यों का यह परिवार पहले तुर्की गया, उसके बाद "मौत के रास्ते" होते हुए ग्रीस की ओर बढ़ा जहाँ वह तस्करों के हाथ पड़ गया जिसे 50 यात्रियों के साथ एक छोटे जहाज में भूमध्यसागर पार करना पड़ा।  जैयतूर्न ने कहा, "महिलाओं एवं बच्चों के चींखने की आवाज आज भी मेरे कानों में सुनाई पड़ती है।"

उन्होंने बतलाया कि ग्रीस में दो सालों तक रहने के बाद वे अमरीका एवं यूरोपीय संघ की सहायता से आयरलैंड आये और वहीं बस गये तथा आज वे यूरोप के एक बड़े आयोजन में मंच पर खड़े हैं। उन्होंने आयरलैंड के लोगों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए कहा, "मैं आयरलैंड के महान लोगों एवं सरकार को उनकी खुली स्वीकृति के लिए उन्हें धन्यवाद देना चाहता हूँ।"  

आयरलैंड निवासी मीना डोहेरती, जिसने जैयतूर्न के परिवार का स्वागत किया था वे भी बुधवार की सभा में उपस्थित थीं। वे अपने समुदाय में सीरियाई शरणार्थियों के लिए स्वयंसेवक हैं तथा वे अन्य काथलिकों को भी प्रोत्साहन देती हैं कि वे इसे अपना कर्तव्य समझें।  

कलीसिया का कर्तव्य

फादर चरनी ने कहा कि हालांकि शरणार्थी असुरक्षित और हाशिए वाली आबादी अब भी बनी हुई है, अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने हाल ही में विस्थापितों के लिए एक वैश्विक कॉम्पैक्ट विकसित किया है जिसके अनुसार, परिवारों को स्वीकार कर, जैयतूर्न के समान उसकी यात्रा को अधिक मानवीय, न्यायसंगत एवं कम खतरनाक बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि विस्थापितों एवं शरणार्थियों की सहायता करना न केवल विश्व समुदाय का उत्तरदायित्व है किन्तु कलीसिया का भी कर्तव्य है कि वह उन्हें पूरी तरह स्वीकार करे।  

उन्होंने कामना की कि कलीसिया इस रास्ते पर अधिक से अधिक लोगों को मदद करना सीखे, खासकर, जो विस्थापित हैं, शरणार्थी हैं तथा मानव तस्करी के शिकार हो गये हैं। कलीसिया एक ऐसा स्थान बनें जो परिवारों को तेजी से परिवर्तन लाने में अपना साथ दे सके।

शरणार्थियों की प्रेरिताई उत्कृष्ट प्रयोगशाला

फादर ने शरणार्थियों की प्रेरिताई को प्रोत्साहन देते हुए कहा कि यह एक उत्कृष्ट प्रयोगशाला है जिसमें कलीसिया समस्त ईश प्रजा का साथ देने के लिए अधिक योग्य बन सकती है।  

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23 August 2018, 16:03