इटली में पुल दुर्घटना के शिकार लोगों का अंतिम संस्कार करते कार्डिनल बनास्की इटली में पुल दुर्घटना के शिकार लोगों का अंतिम संस्कार करते कार्डिनल बनास्की 

जेनोवा ध्वस्त पुल से मारे गये लोगों का अंतिम संस्कार

जेनोवा में 14 अगस्त को मोरांदी पुल के ध्वस्त हो जाने से मृत्यु के शिकार 41 में से 19 लोगों को अंतिम संस्कार दिया गया। कार्डिनल बनास्को ने जेनोवा के लोगों से अपील की कि वे आशा न खोयें किन्तु अपनी निगाह ईश्वर पर लगायें।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

इटली, शनिवार, 18 अगस्त 2018 (वाटिकन न्यूज़)˸ जेनोवा के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल अंजेलो बनास्को ने 18 अगस्त को, ध्वस्त मोरांदी पुल में मरे 41 में से 19 का अंतिम संस्कार संम्पन्न किया। उन्होंने विश्वासियों से अपील की कि वे अपनी नजर ईश्वर की ओर उठायें जो हमारी आशा एवं भरोसा के स्रोत हैं।

अंतिम संस्कार में राज्य के अधिकारी भी उपस्थित

अंतिम संस्कार समारोह जॉ नोवेल मंडप में सम्पन्न किया गया जहाँ इटली के राष्ट्रपति सेरजो मतरेल्ला, मुख्यमंत्री कोनते एवं सालविनी, दी माइयो और तोनिनेल्ली आदि मंत्री भी उपस्थित थे। समारोह में इटली के हाईवे बनाने वाले कम्पनी के अधिकारी भी प्रस्तुत थे। सभी शव-पेटिकाओं को श्वेत गुलाबों से सजाया गया था। जेनोवा पुल गिरने के शिकार लोगों में सबसे छोटा था सामुएल जो आठ साल का था। उसके साथ उसके माता-पिता भी मर चुके हैं।

अंतिम संस्कार के दौरान दुःख के साथ-साथ आभार की भावना भी प्रकट की गयी। आभार उन लोगों के प्रति जो राहत कार्यों में जुटे हैं। अंतिम संस्कार के अंत में इमाम ने इस्लाम धर्म के दो लोगों के लिए प्रार्थना अर्पित की। उन्होंने भी विश्वासियों को सलाह दिया कि वे जेनोवा को न छोड़ दें। कार्डिनल ने कहा, "जेनोवा जो एक अरबी शब्द है, इसका अर्थ है सुन्दर जो फिर से उठना जानती है।" मुस्लिम समुदाय ने ईश्वर से शांति के लिए प्रार्थना की ताकि प्रभु इटली और इटली वासियों की रक्षा करे।

न्याय किसी को नहीं छोड़ता

कार्डिनल ने समारोह के दौरान अपने प्रवचन में कहा, "मोरांदी पुल के गिरने से जेनोवा शहर में गहरा घाव हो गया है किन्तु इस गहरे घाव के बावजूद शहर को नहीं छोड़ दिया गया है।" कार्डिनल ने बतलाया कि संत पापा फ्राँसिस ने फोन पर जेनोवा के लोगों की सुधि ली और उनके प्रति अपनी हार्दिक सहानुभूति प्रकट की।   

विश्वास और भरोसा

कार्डिनल ने कहा कि एक व्यक्ति जितना अधिक कमजोर महसूस करता है उतना ही अधिक उसे मानवीय रिश्तों की आवश्यकता होती है। समाज के ताने-बाने जो अपने को सभ्य घोषित करते हैं उन्हें जीवन की इन परिस्थितियों को पार करने की जरूरत है। अतः कार्डिनल बनास्की ने अपील की कि वे विश्वास बनाये रखें, यहाँ तक कि ऐसी परिस्थिति में भी जब हमारे जीवन के अंधकार दूर नहीं होते। अंधकार येसु की उपस्थिति से धीरे-धीरे दूर होता है।

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18 August 2018, 15:08