ढाका में अॉटोमोबाइल दुकान में काम करते लोग ढाका में अॉटोमोबाइल दुकान में काम करते लोग 

बांग्लादेश में गरीबी से लड़ने के लिए व्यावसायिक पेशे को बढ़ावा

काथलिक संचालित परियोजनाएं स्कूल छोड़े हुए युवाओं, भूमिहीन, गरीब और हाशिए पर जीने वाले बेरोजगार लोगों के लिए नौकरियां खोजने में मदद कर रही हैं।

माग्रेट सुनीता मिंज - वाटिकन सिटी

ढाका, मंगलवार 14 अगस्त 2018 (उकान) :  बांग्लादेश की संथाल जातीय समूह से संबंधित एक काथलिक नोमिता मुर्मू का मानना था कि उनके परिवार में गरीबी से ऊपर उठने का कोई रास्ता नहीं था। उनके भाग्य में मजदूरी करके पेट पालना ही लिखा था। गरीब समुदायों के कई बांग्लादेशियों की तरह, उन्हें अपने माता-पिता को तीन भाई बहनों को खिलाने में मदद करने के लिए स्कूल से बाहर निकलना पड़ा।

व्यावसायिक प्रशिक्षण

लेकिन मुर्मू का जीवन चार साल बाद बदल गया जब अंतरराष्ट्रीय काथलिक विकास एजेंसी कारितास की एक स्थानीय शाखा कारितास राजशाही ने उन्हें व्यावसायिक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम का अवसर दिया।

व्यावसायिक प्रशिक्षण के तहत  उसने सिलाई और ड्रेसमेकिंग पर छह महीने का कोर्स पूरा कर लिया था और, एक अन्य ख्रीस्तीय चारिटी संगठन ‘विश्व विजन’ के लिए अल्पकालिक अनुबंध में काम शुरु किया।

जब 45 दिनों का अनुबंध समाप्त हो गया तो उसने 15,000 टका (यूएस $ 176) का वेतन लिया, और उस टके से  सिलाई मशीन खरीदी। अब वह अपने ही जन्म स्थान हारागाथी में एक सिलाई दुकान खोल रखी है और प्रतिमाह करीब 4500 टका कमा लेती है। इससे वह अपने परिवार की देखभाल और अपने छोटे भाई-बहनों के स्कूल का फीस भी निकाल लेती है।

उसने कहा, "मेरे पास अब एक अच्छा जीवन है और उज्वल भविष्य है, मेरे जैसे गरीब और हाशिए वाले लोगों को बेहतर जीवन मिल सकता है अगर उन्हें इस तरह का समर्थन और प्रशिक्षण मिले।"

रिक्शाचालक से मशीन ऑपरेटर

20 वर्षीय प्रोसेनजीत देव एक हिंदू लड़का है और उत्तरी दीनाजपुर जिले के एक रिक्शाचालक का बेटा। तीन बच्चों में से सबसे बड़े होने के कारण छठी कक्षा के बाद स्कूल छोड़ना पड़ा ताकि उनके पिता की मदद कर जीविका चलाने के लिए पर्याप्त धन कमा सके।

प्रोसेनजीत ने उका न्यूज को बताया कि अब उसकी जिंदगी रिक्शाचलाने में ही खत्म हो जाएगी और उसकी पढ़ाई अधूरी ही रह जाएगी।

2016 में, उसने आवेदकों की तलाश में एक कारितास दीनाजपुर प्रशिक्षण कार्यक्रम का एक विज्ञापन देखा। उसने अगले छः महीनों में प्रशिक्षण लिया। कारितास के अधिकारियों ने उसके लिए ढाका के पास नारायणगंज जिले में एक चीन बांग्ला इंडस्ट्रीज फैक्ट्री में नौकरी खोजने में मदद की, जहां वह अब मशीन ऑपरेटर के रूप में  महीना 7,500 रुपये कमाता है और मुफ्त में रहने और खाने का आनंद ले रहा है। मुर्मू के समान वह भी घर का खर्च और छोटे भाई-बहनों के स्कूल की फीस के लिए टका घर भेजता है।

खेल परिवर्तक

कारितास बांग्लादेश ने 1970 के दशक से स्थानीय लोगों को तकनीकी और व्यावसायिक प्रशिक्षण के माध्यम से नए कौशल सीखने में मदद करके गरीबी को कम करने पर ध्यान केंद्रित किया है।

विशेष रूप से दो परियोजनाओं ने स्कूल छोड़े और दुर्व्यवहार या तलाकशुदा महिलाओं के लिए, हजारों भूमिहीन, गरीब, बेरोजगार और अशिक्षित बांग्लादेशियों के लिए जीवन-परिवर्तन पाठ्यक्रम प्रदान किए हैं।

वे मीरपुर कृषि कार्यशाला और प्रशिक्षण स्कूल ट्रस्ट (एमएडब्ल्यूटीएस) और कारितास तकनीकी स्कूल परियोजना (सीटीएसपी) है। अब तक के कार्यक्रम से करीब 41,300 स्नातकों ने रोजगार की खोज हेतु विदेश गये और वापस नहीं लौटे हैं। उनकी कहना है कि वे सफल हुए हैं। कारितास के अनुसार, सीटीएसपी ने 50,000 लोगों के लिए प्रशिक्षण प्रदान किया है।

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14 August 2018, 15:22