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भारत के सुप्रीम कोर्ट द्वारा भीड़ हिंसा की जांच

भीड़ द्वारा हत्या की संख्या में वृद्धि ने नए कानून बनाने और कठोर दंड के लिए अधिकारियों को बाध्य किया।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

नई दिल्ली, सोमवार 23 जुलाई 2018 (उकान) : भारत के सुप्रीम कोर्ट ने, संसद से भीड़ के हमलों और दुर्घटनाओं की घटनाओं में नाटकीय वृद्धि को रोकने के लिए एक नया कानून पेश करने के लिए कहा है।

राज्य अदालतों को निर्देश

17 जुलाई को सर्वोच अदालत ने राज्य अदालतों को निर्देश दिया कि वे भीड़ द्वारा हत्या के अपराधियों के परीक्षण हेतु शीघ्र विशेष अदालत स्थापित करें। साथ ही यह अदालत भीड़ से जुड़े अपराधों के लिए अधिकतम एवं कड़ी सजा दे।

अदालत ने भीड़ द्वारा बढ़ती हिंसा पर हस्तक्षेप की मांग में कई याचिकाएं सुनाई हैं, अक्सर नकली सोशल मीडिया अफवाहों ने बच्चों के अपहरणकर्ताओं और (हिंदू धर्म में एक सम्मानित पशु) गायों की हत्या के खिलाफ चेतावनी दी है।

अदालत ने राज्यों के लिए 11-बिंदुओं के दस्तावेज जारी किए, जिनमें संवेदनशील क्षेत्रों की निगरानी, हिंसा को रोकने के लिए पुलिस अधिकारियों को नामित करना, सोशल मीडिया पर नकली और गैर-जिम्मेदार समाचार और संदेश के फैलाव की जांच तथा भीड़ हिंसा करने के गंभीर कानूनी परिणामों का विज्ञापन शामिल है।

सड़क न्याय

भारत के विभिन्न हिस्सों में कम से कम सात लोगों की हत्या उग्र भी़ड़ द्वारा  की गई है और अंजाम देने वाले  ने इसे "सड़क न्याय" कहा है।

महाराष्ट्र राज्य के एक जनजातीय गांव में 1 जुलाई की एक घटना में पांच लोगों की मौत हो गई, जब एक भीड़ ने उन्हें अपहरणकर्ताओं के संदेह में मार डाला। 13 जुलाई को "बच्चा चोरी" के संदेह पर दक्षिणी कर्नाटक में एक 32 वर्षीय इंजीनियर को मार डाला गया और 16 जुलाई को दक्षिणी केरल में चोरी के आरोप में एक प्रवासी कार्यकर्ता को मार दिया गया।

अजय मल्होत्रा मानव अधिकार कार्यकर्ता ने कहा कि आरोपी के खिलाफ सरकार की निष्क्रियता इस तरह के निर्दयी हमलों को जन्म दे रही है। मल्होत्रा के अनुसार, बढ़ती भीड़ हिंसा तथा हिंदू कट्टरपंथियों द्वारा गाय संरक्षण के नाम पर हमलों का सीधा संबंध है।

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23 July 2018, 15:30