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उपशामक देखभाल पर परमधर्मपीठीय जीवन समर्थक अकादमी की गोष्ठी,  तस्वीरः 2019 उपशामक देखभाल पर परमधर्मपीठीय जीवन समर्थक अकादमी की गोष्ठी, तस्वीरः 2019  

वाटिकन ने किया उपशामक देखभाल के प्रसार का आह्वान

विश्व में उपशामक देखभाल के प्रसार में सुधार हेतु जीवन समर्थक परमधर्मपीठीय अकादमी ने 09 से 11 फरवरी तक एक वेबीनार शिविर का आयोजन किया था जिसमें विश्व के लगभग 300 जानेमाने चिकित्सकों, प्राध्यापकों एवं वैज्ञानिकों ने भाग लिया।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 11 फरवरी 2022 (रेई,वाटिकन रेडियो): विश्व में उपशामक देखभाल के प्रसार में सुधार हेतु जीवन समर्थक परमधर्मपीठीय अकादमी ने 09 से 11 फरवरी तक एक वेबीनार शिविर का आयोजन किया था जिसमें विश्व के लगभग 300 जानेमाने चिकित्सकों, प्राध्यापकों एवं वैज्ञानिकों ने भाग लिया।  

उपशामक देखभाल एक अधिकार

वेबिनार के प्रथम दिन, बुधवार को, सन्त पापा फ्राँसिस ने, सुखमृत्यु एवं समर्थित आत्महत्या के विपरीत, विश्व में उपशामक देखभाल के प्रसार तथा रोगियों को प्राकृतिक मृत्यु तक समर्थन देने की संस्कृति को बढ़ावा देने का आह्वान किया था। उन्होंने कहा था, "मैं यह बताना चाहूंगा कि सभी के लिए देखभाल और उपचार के अधिकार को हमेशा प्राथमिकता दी जानी चाहिए, ताकि सबसे कमजोर, विशेष रूप से, बुजुर्गों और बीमारों की कभी भी उपेक्षा न की जाए।"   सन्त पापा फ्राँसिस के अनुसार, "वस्तुतः, मृत्यु नहीं, अपितु जीवन एक अधिकार है, जिसे प्रशासित नहीं, बल्कि उसका स्वागत किया जाना चाहिए। यह नैतिक सिद्धांत सभी पर लागू होता है, न कि केवल ईसाइयों या विश्वासियों पर।"

सहायक आत्महत्या और सुखमृत्यु नहीं

वेबिनार का उदघाटन जीवन समर्थक परमधर्मपीठीय अकादमी के अध्यक्ष महाधर्माध्यक्ष विन्चेन्सो पालिया ने किया। उन्होंने कहा, "उपशामक देखभाल एक अधिकार है और यह सकारात्मक तथ्य है कि इस बात के प्रति जागरूकता फैल रही है।"

अपने प्रभाषण में, महाधर्माध्यक्ष पालिया ने इस तथ्य को रेखांकित किया कि उपशामक देखभाल, जीवन के प्रति सम्मान तथा व्यक्ति की गरिमा को बरकरार रखने का काम करती तथा जीवन के दबाने के विभिन्न तरीकों जैसे सहायक आत्महत्या अथवा सुखमृत्यु से मानव जीवन का बचाव करती है। उन्होंने उपशामक उपचार सम्बन्धी काथलिक कलीसिया की धर्मशिक्षा की पुनरावृत्ति की और कहा कि इस मुद्दे का एक मज़बूत ख्रीस्तीय सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य है।

रोगी का साथ दिया जाये

महाधर्माध्यक्ष पालिया ने कहा कि उपशामक उपचार का "यह अर्थ कदापि नहीं कि जब कोई अन्य विकल्प न हो या  कुछ नहीं किया जा सके तो देखभाल के एक आयाम के बारे में बात की जाये, बल्कि इसका अर्थ यह है कि मृत्यु के क्षण तक बीमार व्यक्ति का साथ दिया जाये, ताकि बीमार व्यक्ति को हर संभव नैदानिक, मानवीय, मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक देखभाल और सहायता मिल सके।" उन्होंने कहा,  "किसी को भी अपने जीवन के सबसे कठिन क्षणों या समय में अकेला नहीं छोड़ा जाना चाहिए।"

सन्त पापा फ्राँसिस के शब्दों का उल्लेख कर उन्होंने कहा,  “हम पूरी तरह से आत्महत्या के खिलाफ हैं। हत्या का खण्डन किया जाये और साथ ही चिकित्सीय अति-हत्या का भी खण्डन किया जाये। इन दो आयामों में जो समानता है वह है मृत्यु पर शक्ति: या तो इसे तेज करें या इसे विलंबित करें, इसके बीच में है अन्त तक व्यक्ति का साथ देना जो कि उचित एवं सुसंगत है।"

उन्होंने कहा कि इस दिशा में लोगों में चेतना जागरण के लिये काथलिक विश्वविद्यालयों की भूमिका अति महत्वपूर्ण है। लोगों में यह जागरुकता उत्पन्न की जानी चाहिये कि उपशामक देखभाल का अर्थ है, बीमार व्यक्ति को  उच्चतम स्तर पर सुसंगत, नैदानिक, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना।"

11 February 2022, 11:59