11 सितम्बर की विरासत
माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, शनिवार 11 सितम्बर 2021 (वाटिकन न्यूज) : इतिहास के सबसे खूनी हमले के 20 साल बाद क्या बचा है? सबसे पहले तो एक विशाल नुकसान की भावना। 11 सितंबर 2001 की उन भयानक घंटों में तीन हजार लोगों की जानें चली गई थीं। माता, पिता, बच्चे और मित्र अपनों से सदा के लिए बिछूड़ गए। एक जानलेवा पागलपन ने जीवन को छोटा कर दिया, जिसने वास्तविक चीज़ को अब तक अकल्पनीय बना दिया: मृत्यु और विनाश को बोने के लिए विमानों को मिसाइलों में बदल दिया गया।
"नेवर फॉरगेट"
20 वर्ष पहले संयुक्त राज्य अमेरिका के पूर्वी तट पर उस दुखद सुबह के बाद अनेको युवा अनाथ हो गए और माता-पिता अपने बच्चों के लिए शोक मनाते हैं जो कभी घर नहीं आए। जब हम पीड़ितों के नामों की सूची को गौर करते हैं, तो आज एक बात हमें चौंकाती है कि पीड़ित 70 से अधिक देशों से थे। इस प्रकार यह हमला न सिर्फ संयुक्त राज्य अमेरिका पर, लेकिन पूरी दुनिया पर, पूरी मानवता पर हमला था। उन उन्मत्त घंटों में ऐसा ही महसूस हुआ और शायद इसके बाद के दिनों में भी ऐसा ही महसूस हुआ क्योंकि त्रासदी का विशाल पैमाना स्पष्ट हो गया था। "नेवर फॉरगेट" (कभी न भूलें) वह नसीहत है जो आज ग्राउंड जीरो मेमोरियल में सामने आती है। दो शब्द जो पिछले 20 वर्षों में अनगिनत बार दोहराए गए हैं, इस तथ्य को रेखांकित करने के लिए कि दर्द इतना अधिक होने पर स्मृति विफल नहीं हो सकती और न ही होनी चाहिए।
अग्निशामकों का बलिदान
उस दिन से एक अमिट निशान के रूप में जो कुछ भी बचा है, वह बलिदान की भावना है, जो दूसरों के जीवन को बचाने के लिए अग्निशामक अपने प्राणों की आहुति देने का साक्षी है। 11 सितंबर की घटना में सभी पीड़ितों में से दसवां पीड़ित अग्निशामक थे। न्यूयॉर्क में, उस दिन अग्निशामकों की एक पूरी पीढ़ी की मृत्यु हो गई। वे दूसरों की जान बचाते हुए मर गए। उस दिन लोग हताशा में ट्विन टावर्स की सीढ़ियां उतर रहे थे और वे सीढ़ियाँ चढ़ रहे थे। वे जानते थे कि वे क्या कर रहे हैं, वे मलबे से भरी सीढ़ियों पर चढ़ रहे थे और धुएं में डूबे हुए थे, लेकिन वे नहीं रुके। वे जानते थे कि केवल उनका साहस, उनका बलिदान ही विमानों से फटे गगनचुंबी इमारतों में फंसे लोगों को बचा सकता है। यदि पहले से ही दुखद मौत ने और भी भयावह आयाम नहीं लिया, तो उन अग्निशामकों और अन्य बचावकर्मियों के बलिदान का फल था, जिन्होंने बेलगाम बुराई के सामने अच्छाई की शक्ति को मूर्त रूप दिया।
असुरक्षा और भय
वैश्विक स्तर पर 11 सितंबर 2001 की कड़वी विरासत का एक हिस्सा असुरक्षा और भय की भावना है जिसके साथ अब हम किसी तरह जीने के आदी हो गये हैं। उस दिन के बाद से प्लेन लेना अब 'सामान्य बात' नहीं रह गई है। दूसरी ओर, इस्लामी मूल के बाद के आतंकवादी हमले, जो 2001 में अल कायदा द्वारा उस भयानक हमले के बाद हुए, ने 'सभ्यताओं के संघर्ष' के सिद्धांतकारों को समर्थन दिया है। इस 20 साल की अवधि में, ज़ेनोफोबिक और प्रवासी विरोधी आंदोलनों में वृद्धि हुई है, अस्थिरता की एक प्रतिक्रिया जो उन लोगों के उद्देश्यों में से एक था जिन्होंने संयुक्त राज्य में हमला किया। दुर्भाग्य से, जैसा कि अफगानिस्तान में हाल के हफ्तों में दुखद रूप से सामने आया है, अमेरिका और पश्चिम वैश्विक आतंकवाद के विचारकों द्वारा पेश की गई युगांतरकारी चुनौती के बराबर रणनीति पेश करने में असमर्थ थे। 11 सितंबर के बीस साल बाद, तालिबान - जिसने ओसामा बिन लादेन को शरण दी थी - एक बार फिर काबुल में सत्ता में है, और आईएसआईएस एक गंभीर और कई मायनों में, हमला करने के लिए वापस आ गया है। आज, इसलिए, भविष्य के संबंध में ढीली गांठों की तुलना में कहीं अधिक प्रश्न हैं, जबकि मानव जीवन में उन भयानक हमलों की प्रतिक्रिया की लागत बहुत अधिक है।
'यूनाइटेड वी स्टैंड'
तो, 11 सितंबर की विरासत क्या है? बीस साल बाद, हम अभी भी आदर्श वाक्य 'यूनाइटेड वी स्टैंड' (एकता में अटूट शक्ति) को याद करते हैं, जो मैनहट्टन की सड़कों पर फहराए गए झंडे और पोस्टर के माध्यम से भी दृष्टिगोचर हो गया। 11 सितंबर को अनुभव की गई भयावहता के लिए न्यूयॉर्क वासियों की सहज प्रतिक्रिया वर्षों से, उस आदर्श वाक्य ने एक व्यापक और गहरा अर्थ लिया है। हमारी आम मानवता को 'तोड़ने' के प्रयासों के बावजूद एक साथ खड़े रहना। आज, "मानव बंधुत्व" के लिए एकता का आह्वान - जैसा कि संत पापा फ्राँसिस हमें अथक रूप से याद दिलाते हैं - एकमात्र विजेता "रणनीति" बन जाता है। यह एक रणनीति है जिसके लिए दृढ़ विश्वास, दूरदर्शिता, साहस और धैर्य की आवश्यकता होती है। संत पापा जॉन पॉल द्वितीय ने भी हमलों के तुरंत बाद जोर देकर कहा था, कि "भले ही अंधेरे की ताकतें प्रबल हों, परंतु जो लोग ईश्वर में विश्वास करते हैं वे जानते हैं कि बुराई और मृत्यु अंत नहीं है।"
Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here