कार्डिनल पीयेत्रो परोलिन कार्डिनल पीयेत्रो परोलिन 

कोरियाई मंच से कार्डिनल परोलिन ˸ न्याय एवं उदारता का फल है शांति

वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल पीयेत्रो परोलिन ने शांति के लिए कोरियाई वैश्विक मंच को एक वीडियो संदेश दिया, जिसमें उन्होंने कोरियाई प्रायद्वीप में शांति को बढ़ावा देने हेतु कलीसिया की भूमिका पर जोर दिया है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, मंगलवार, 31 अगस्त 2021 (रेई)- न्याय जब मांग करती है कि हम दूसरों के अधिकारों का हनन न करें बल्कि उन्हें उनका हिस्सा प्रदान करें, उदारता हमें दूसरों की आवश्यकता को अपनी आवश्यकता के रूप में महसूस करने में मदद देती है। यह फलदायी सहयोग और मित्रता को बढ़ावा देती है। जबकि सच्ची शांति एक ऐसी दुनिया में स्थापित की जा सकती है जहाँ न्याय अपनी परिपूर्णता परोपकार एवं प्रेम में पाता है।

उक्त बातें वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल पीयेत्रो परोलिन ने मंगलवार को "शांति हेतु कोरियाई वैश्विक मंच" को प्रेषित एक वीडियो संदेश में कही। यह दक्षिणी कोरिया के एकीकरण मंत्रालय द्वारा आयोजित एक वार्षिक कार्यक्रम है जिसमें विशेषज्ञ, शोधकर्ता एवं सरकारी अधिकारी करीब 20 देशों से एकत्रित होते हैं। इस साल इसे 31 अगस्त से 2 सितम्बर तक आयोजित की गई है जिसकी विषयवस्तु है, ""अंतर-कोरियाई संबंधों और समुदाय के लिए एक नई दृष्टि: शांति, अर्थव्यवस्था और जीवन के लिए।" महामारी के कारण इसे ऑनलाइन आयोजित किया जा रहा है।

वाटिकन राज्य सचिव ने मंगलवार को कोरियाई प्रयाद्वीप में शांति स्थापना हेतु कलीसिया की भूमिका पर एक लम्बा दस्तावेज प्रस्तुत किया, तथा कलीसियाई परम्परा एवं सुसमाचार के मूल्यों, सिद्धांतों एवं विचारों को सामने रखा जो प्रायद्वीप में शांति और मेल-मिलाप लाने में मदद दे सकते हैं।

स्वागत करना, साथ देना एवं सुनना

संत पापा पौल छटवें के अनुसार लोग एवं राष्ट्रें एक-दूसरे के साथ भाई और बहन के रूप में एवं ईश्वर की संतान के रूप में मिलें तथा मानव जाति के आम भविष्य का निर्माण करने के लिए एक साथ कार्य करें, ताकि एकात्मता पर आधारित मानवता के समग्र विकास की परिस्थिति उत्पन्न की जा सके। कार्डिनल ने कहा कि इस प्रक्रिया को स्वागत करने, साथ देने एवं सुनने के द्वारा बढ़ाया किया जा सकता है।    

कार्डिनल ने स्वागत की व्याख्या - सामीप्य, संवाद के लिए खुलापन, धैर्यशीलता एवं दयालुता के रूप में की। इसका अर्थ है हमारे जीवन में उनके लिए स्थान बनाना तथा हमारे आनन्द और दुःख को उनके साथ बांटना जो सच्चा संबंध स्थापित करता है।  

साथ देने की आवश्यकता बतलाते हुए कार्डिनल परोलिन ने कहा कि समाज में तब तक सामंजस्यपूर्ण विकास नहीं हो सकता, जब तक कि हम ठोस परिस्थितियों में साझा रणनीतियों को लागू नहीं करते, जिनका उद्देश्य मानव जीवन और प्रत्येक की गरिमा और व्यक्तियों की प्रगतिशील सामंजस्य का सम्मान करना हो।

सुनना और वार्ता

सुनने या संवाद करने का अर्थ है जानबूझकर अपना बहुमूल्य समय दूसरों को देना तथा उनकी बातों को ध्यानपूर्वक सुनना।    

कार्डिनल परोलिन ने कहा कि सुनना संघर्ष विराम, सांस्कृतिक मध्यस्थता और समुदायों में शांति निर्माण में मदद देता है। संत पापा फ्राँसिस के अनुसार, संवाद हमें दूसरों की जरूरतों को समझने और उनकी सराहना करने में मदद करता है और हममें वक्ता के मान्य दृष्टिकोणों को सुनने और खुलेपन का दृष्टिकोण विकसित करता है।

शांति, न्याय, उदारता

द्वितीय वाटिकन महासभा के अनुसार कार्डिनल परोलिन ने बतलाया कि शांति, युद्ध के अभाव या विरोधी शक्तियों के बीच सत्ता को संतुलित रखने से बढ़कर हैं। जब तक लोगों के हितों की रक्षा नहीं की जाती, जब तक लोग एक-दूसरे के साथ अपने मन के धन और अपनी प्रतिभा को स्वतंत्र रूप से और आपसी विश्वास की भावना से साझा करते हैं शांति नहीं आ सकती। इस प्रकार, शांति भी प्रेम का फल है क्योंकि प्रेम, हमें मिलने वाले न्याय से आगे जाता है। हम कह सकते हैं कि शांति, मित्रता एवं भली इच्छा है।

मित्रता

संत पापा फ्राँसिस के अनुसार मित्रता एक सामाजिक आयाम है जो एकात्मता एवं आपसी आदान-प्रदान पर आधारित है।

संत पापा का यही मतलब था जब 27 मार्च 2020 को एक सुनसान संत पेत्रुस प्रांगण में कोविड-19 के कहर के बीच उन्होंने कहा कि हम सभी एक ही नाव पर सवार हैं, नाजुक और अस्त-व्यस्त, लेकिन सभी को एक-दूसरे की जरूरत है, क्योंकि कोई भी अकेला नहीं बच सकता।

अंत में, कार्डिनल पारोलिन ने केजीएफपी को बताया कि दुनिया में प्रामाणिक शांति के लिए, न्याय को उदारता में परिपूर्णता प्राप्त करना चाहिए और लोगों को उन चीजों की तलाश करनी चाहिए जो उन्हें विभाजित करनेवाले बंधन को तोड़ती है। दुनिया में मित्रता और भाईचारे की आवश्यकता पर जोर देते हुए, पोप पॉल VI ने कहा था कि हमें दूसरों में एक अजनबी, एक प्रतिद्वंद्वी, एक झुंझलाहट, एक विरोधी या दुश्मन नहीं देखना चाहिए, बल्कि अपने जैसे इंसानों को सम्मान, सहायता और प्यार के योग्य देखना चाहिए।

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31 August 2021, 16:33