मोनाको में कार्डिनल पीयेत्रो परोलिन मोनाको में कार्डिनल पीयेत्रो परोलिन 

परमधर्मपीठ और मोनाको मानव प्रतिष्ठा के लिए प्रयासरत

वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल पीयेत्रो परोलिन ने परमधर्मपीठ एवं मोनाको के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर के 40वें वर्षगाँठ के अवसर पर मोनाको का दौरा किया। कार्डिनल ने कहा कि यात्रा का मकसद, कलीसिया के मिशन एवं सुसमाचार के मूल्यों को बढ़ावा देना है।

उषा मनोरमा तिर्की-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, मंगलवार, 20 जुलाई 2021 (रेई)- कार्डिनल परोलिन ने मोनाको के निष्कलंक गर्भागमन महागिरजाघर में रविवार को ख्रीस्तयाग अर्पित किया। उन्होंने पोप के प्रथम राज्य सचिव होने के अपने अनुभवों को साझा किया।

कार्डिनल परोलिन शनिवार को मोनाको धर्मप्रांत को महाधर्मप्रांत का दर्जा दिये जाने की 40वीं वर्षगाँठ के अवसर पर मोनाको पहुँचे थे, जो संत पापा जॉन पौल द्वितीय के प्रेरितिक पत्र द्वारा 30 जुलाई 1981 को सम्पन्न हुआ था और जिसमें परमधर्मपीठ एवं मोनाको के बीच समझौता पर हस्ताक्षर किया गया था।    

शरीर और आत्मा से घायल लोगों की देखभाल करना

अपने उपदेश में कार्डिनल ने मोनाको की सदियों पुराने इतिहास की याद की जो बतलाता है कि इस भूमि में ख्रीस्तीय विश्वास कितना गहरा था। उन्होंने याद दिलाया कि "इसी विश्वास के साथ ख्रीस्तीय अपने पड़ोसियों की देखभाल करने के लिए बुलाये गये हैं, खासकर, घायल, हाशिये पर जीवनयापन करनेवाले लोग एवं शरणार्थी, किन्तु आत्मा से भी घायल लोग भी जो एकाकीपन, संबंध बिगड़ने के कारण घायल, असफलता एवं व्यक्तिगत चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।" उन्होंने कहा, "ख्रीस्तीय उदारता जिसने हमारे यूरोप को सदियों से प्रेरित एवं निर्मित किया है, वह ईश्वर की प्रचुर कृपा से ख्रीस्त के द्वारा हमारे जीवन में प्रवाहित होता है जिसको हमें दूसरों को भी बांटना है।     

याजकों के साथ मुलाकात

रविवार को दोपहर में कार्डिनल परोलिन ने याजकों, कलीसियाई एवं काथलिक संगठनों से मुलाकात की जिसमें उन्होंने विश्वास, उदारता के कार्यों, परिवारों को सहयोग देने तथा सृष्टि की देखभाल करने पर जोर दिया। उसके बाद उन्होंने याद दिलाया कि हम किस तरह तेजी से ध्रुवीकृत और विभाजित समाज में जी रहे हैं।

"एक निश्चित प्रकार की धर्मनिरपेक्षता जो यूरोप में मजबूत हो रही है, फ्रांसीसी क्रांति से शुरू होकर, कैसे एक बढ़ते सामाजिक विरोध के विकास में योगदान दे रही है," क्योंकि धर्मनिरपेक्षता धर्म को केवल एक व्यक्तिगत आयाम बतलाकर, नागरिक जीवन के क्षेत्र से बाहर करने का दावा करती है।

किन्तु कार्डिनल परोलिन ने चेतावनी दी कि जहाँ धार्मिक आयाम की अवहेलना की गई है इसके सहयोग के बिना, समाज में नागरिकों के अधिकार और नागरिक समाज में सौहार्दपूर्ण विकास कमजोर हुआ है। उन्होंने मोनाको की सराहना की जहाँ कलीसिया एवं राज्य के बीच अर्थात् नागरिक एवं धार्मिक अधिकारियों के बीच एक सकारात्मक संबंध है। उन्होंने कहा, "एक रिश्ता जिसमें प्रत्येक अपनी कर्तव्यपूर्ण स्वायत्तता बनाए रखते किन्तु आमहित के लिए मिलकर काम करते हैं।"

मोनाको में कार्डिनल की यात्रा का मकसद

कार्डिनल परोलिन ने मोनाको में अपनी यात्रा का महत्व बतलाते हुए कहा कि संत पापा स्वभाविक रूप से अपना सामीप्य सभी कलीसियाओं के प्रति प्रकट करना चाहते हैं, निश्चय ही वे इसे प्रेरितिक यात्रा को खुद पूरा करने की कोशिश करते हैं किन्तु वे दूसरे तरीके से भी इसे करते हैं जैसा कि यह यात्रा है जिसमें राज्य सचिव विभिन्न सामाजिक, राजनीतिक एवं कलीसियाई ईकाईयों के माध्यम से सम्पर्क करते हैं। उन्होंने कहा, "मैं मानता हूँ कि मेरी यह यात्रा वर्षगाँठ की ओर ध्यान खींचने के लिए महत्वपूर्ण है और सबसे बढ़कर प्रोत्साहन देना है। वास्तव में, मेरी यात्रा कठिनाइयों के बावजूद सुसमाचार के रास्ते पर आगे बढ़ने हेतु एक प्रोत्साहन है। मैं सोचता हूँ कि मोनाको की कलीसिया भी इन चुनौतियाँ को महसूस करती है। यद्यपि राज्य के साथ एक विशेष संबंध है, तथापि यह सच है कि समाज अधिक से अधिक ख्रीस्तीय विश्वास के सिद्धांतों से दूर जाने के लिए प्रवृत्त हो रहा है। उन्होंने कहा, "अतः मैं पोप की ओर से यहाँ उपस्थित होकर कहना चाहता हूँ कि आप आगे बढ़ें एवं अपने मिशन को पूरा करने का प्रयत्न करें... इसके लिए सुसमाचार के मूल्यों की आवश्यकता है।"  

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20 July 2021, 15:42