विश्व समर्पित जीवन दिवस पर संत पापा के मिस्सा में भाग लेते समर्पित लोग विश्व समर्पित जीवन दिवस पर संत पापा के मिस्सा में भाग लेते समर्पित लोग 

समर्पित स्त्री एवं पुरूष ईश्वर की सुन्दरता के साक्षी

कार्डिनल ब्राज दी अविज ने प्रेरितिक प्रबोधन "विता कोनसाक्राता" के प्रकाशन की 25वीं वर्षगाँठ की याद करते हुए समर्पित लोगों का आह्वान किया कि वे अपने प्रसन्नचित सेवा द्वारा ख्रीस्त की सुन्दरता का साक्ष्य दें।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 25 मार्च 2021 (रेई)- पोप जॉन पौल द्वितीय द्वारा प्रकाशित प्रेरितिक प्रबोधन "विता कोन्साक्राता" (समर्पित जीवन) के प्रकाशन की 25वीं वर्षगाँठ पर, कार्डिनल ब्राज दी अविज ने सभी समर्पित भाई-बहनों के नाम एक पत्र लिखा है।

कार्डिनल ने लिखा है, "इस नाटकीय परिस्थिति में हम आप प्रत्येक के साथ हैं,... केवल महामारी के कारण नहीं बल्कि इसके परिणामों के कारण जो हमारे दैनिक जीवन, हमारे समाज एवं कलीसियाई समुदाय पर बहुत अधिक असर डाल रहे हैं, समर्पित स्त्री और पुरूष व्यक्तिगत रूप से सभी लोगों में आशा जगाने हेतु बुलाये जाते हैं।"

कलीसिया के केंद्र में

संत पापा जॉन पौल द्वितीय के प्रेरितिक प्रबोधन विता कोनसाक्राता को 1994 में धर्माध्यक्षीय धर्मसभा के बाद 25 मार्च 1996 में प्रकाशित किया गया था। इस दस्तावेज में धर्माध्यक्षों ने बरम्बार पुष्टि दी है कि "समर्पित जीवन मिशन के निर्णायक तत्व के रूप में कलीसिया के केंद्र में है ... यह वर्तमान और भविष्य की ईश प्रजा के लिए एक बहुमूल्य एवं आवश्यक उपहार है।"

इस अवसर पर कार्डिनल ने समर्पित लोगों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए संत पापा के शब्दों में कहा, "मेरी मुक्ति प्रभु आपके पास से आती है, मेरे हाथ खाली नहीं हैं, ये आपकी कृपा से पूर्ण हैं। कृपा को किस तरह देखना है उसे जानना पहला कदम है।" (1फरवरी 2019 का उपदेश) कार्डिनल ने कहा कि पीछे मूड़ना, अपने जीवन के इतिहास पर नजर डालना, ईश्वर के विश्वस्त उपहार को देखना है, न केवल अपनी आँखों से बल्कि विश्वासियों की आँखों से, इस चेतना के साथ कि ईश्वर के राज्य का रहस्य हमारे इतिहास में सक्रिय है एवं स्वर्ग में इसकी पूर्णता हमारा इंतजार कर रहा है।

विश्व के लिए ईश्वर के सामने

प्रेरितिक प्रबोधन ऐसे समय में प्रकाशित किया गया था जब बड़ी अनिश्चितता थी। समाज में भ्रमित एवं कमजोर समर्पण थे। अतः समर्पित जीवन की पहचान को "रूपांतरित ख्रीस्त के चित्र से" प्रस्तुत किया गया जो पिता की महिमा एवं उनके चेहरे को आत्मा के जगमगाते आलोक में प्रकट करता है। यह न केवल समर्पित व्यक्ति को पहचान दिलाना है बल्कि उससे बढ़कर, एक वास्तविक पहचान प्रदान करना है जिसमें ईश्वरीयता एवं मानवीयता दोनों सम्माहित हैं। जिसमें सर्वोच्च सुन्दरता पर चिंतन और सेवा के लिए गरीब बनकर जाना है।    

सुन्दरता का रास्ता

कार्डिनल ने पत्र में लिखा, "ईश्वर सबसे सुन्दर हैं और मनुष्यों के पुत्रों में येसु सबसे सुन्दर। अतः उनके लिए समर्पित होना भी सुन्दर है। समर्पित व्यक्ति सुन्दरता का साक्ष्य देने के लिए बुलाया गया है। दुनिया परेशान करनेवाली निष्ठुरता में डूबने के खतरे में है।" समर्पित भाई बहनों को चाहिए कि वे अपने आपमें एवं सभी लोगों में सुन्दरता एवं सच्चाई की ओर आकर्षण को जागृत करें।"

कार्डिनल ने कहा कि सुन्दरता केवल साहसी एवं सच्चा होने में नहीं है बल्कि उसमें है कि हम जिस चेहरे की घोषणा करते हैं वह सुन्दर है। हम जो करते और जैसा करते हैं उसमें सुन्दरता है। हमारे बीच भाईचारा में सुन्दरता है। यह सुन्दर है क्योंकि हम उनके नाम पर एक साथ रहते एवं काम करते हैं चाहे यह थकान भरा ही क्यों न हो।

हृदय से प्यार करने के लिए कुँवारी होना कितना सुन्दर है, गरीब बनकर कहना कि वे ही हमारे धन हैं, मुक्ति के लिए उनकी इच्छाओं का पालन करना और आपस में एक दूसरे के बीच भी सिर्फ उन्हीं की खोज करना। एक ऐसा हृदय होना सुन्दर है जो पीडितों के दुःखों को महसूस करने के लिए मुक्त है जो उनके प्रति ईश्वर की दया दिखा सकता है।

कार्डिनल ने अंत में सभी समर्पित लोगों के लिए माता मरियम से प्रार्थना की है कि " जब वे अपने भाइयों और बहनों के साथ स्वर्गीय घर की ओर यात्रा कर रहे हैं जिसका प्रकाश कभी कम नहीं होता, वे उस कृपा को अपने "रूपांतरित जीवन" से प्रकट कर सकें।" उन्होंने सभी समर्पित लोगों के लिए प्रभु के प्रचुर आशीष की कामना की।

     

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25 March 2021, 15:49