जब वाटिकन रेडियो को एक घर मिला

एक प्रसारक जिसने कई स्थानों का भ्रमण करनेवाले के बाद एक छः मंजिला उत्पादन केंद्र पर अपना विस्तार किया, वह 50 सालों तक कास्तेल संत अंजेलो के सामने है। यह कहानी वाटिकन रेडियो की वर्तमान पड़ाव तक यात्रा की है जो संत पापा पौल छटवें के सौजन्य से संभव हुआ है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 11 फरवरी 2021 (रेई)- यह तकनीकी युग की शुरूआत थी। 12 फरवरी 1931 के दोपहर को हर्टज वेब ने विश्व के लिए संत पापा के संदेश को, अपने पहले रेडियो संदेश के रूप में भेजा, जो संत पेत्रुस महागिरजाघर के गुंबद के पीछे बने मारकोनी रेडियो स्टेशन से भेजा गया। यह वाटिकन रेडियो का महत्वपूर्ण चरण था। रेडियो की नींव और 1980 के दशक के बीच वास्तव में तीन चरण हैं जिनमें से पहले पर ध्यान दिया गया।

दो अन्य चरण

दूसरे चरण को "रेडियो समाचार का युग" भी कहा जाता है। संत पापा का रेडियो अपनी क्षमताओं की खोज करते हुए, द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अपना आधार प्राप्त किया, न केवल संत पापाओं की आवाज के रूप में बल्कि जन संचार के रूप में। 1950 के दशक के अंत में इसने प्रमुखता से सूचना के युग में प्रवेश किया। इसने 1 जनवरी 1957 को पहला "रादियो जोरनाले" (रेडियो समाचार) प्रकाशित किया था, इसके साथ सात भाषाओं में रेडियो प्रसारित एवं मुद्रित बुलेटिन भी प्रकाशित किया जाने लगा। एक दशक के बाद तीसरा युग आ रहा था और संत पापा पौल षष्ठम जो एक "पत्रकार" पोप थे उन्होंने इसके लिए एक क्षितिज खोल दिया।

विचार अभिव्यक्त करने का समय

1966 में ग्रीष्म की शुरूआत में एक दिन, पोप मोनतिनी प्रसारण केंद्र संत मरिया दी गलेरिया पहुँचे। न्यूयॉर्क के कार्डिनल फ्रांसिस जोसेफ स्पेल्लमन और नाईट ऑफ कोलम्बस ने वाटिकन रेडियो के लिए एक शॉर्ट वेब प्रसारण दान किया। संत पापा पौल छटवें जो सूचना के महत्व को अच्छी तरह जानते थे – उनके पिता कई सालों तक ब्रेशा के काथलिक दैनिक "इल चित्तादिनो" के निदेशक रहे थे – उन्होंने स्पष्ट दिशा देने के लिए दो मशीनों के उद्घाटन के अवसर का लाभ उठाया। उन्होंने कहा कि वाटिकन रेडियो अपने आप में न केवल संत पापाओं की आवाज का विशाल मेगाफोन है, बल्कि इसे विचार अभिव्यक्ति का भी साधन होना चाहिए। 

तकनीकी केवल नहीं

30 जून 1966 के भाषण में एक परिच्छेद थी जिसमें नींव के पत्थर का खास वजन है। रेडियो को नयी दृढ़ता एवं नई तरक्की देने की बात करते हुए संत पापा मोनतिनी ने स्पष्ट किया कि वे प्रोग्राम विभाग के बारे सोचते हैं जिसको उन्होंने रेडियो से संबंधित कार्यों का मुख्य हिस्सा कहा। वे मुख्य भाग हैं- इसके उद्देश्य, प्रयोग एवं वास्तविक उपयोगिता। उन्होंने कहा, "एक शानदार उपकरण का रहना बेकार होगा, यदि हम इसका प्रयोग शानदार तरीके से नहीं कर पायेंगे।" इस भाषण में एक परियोजना के लिए वादा का संकेत है। संत पापा पौल छटवें ने कहा था, "हम यहाँ केवल यह कहेंगे, कि हमारे रेडियो के कार्यक्रमों का विस्तार करने के लिए एक जैविक योजना का अध्ययन किया जा रहा है"। पोप पौल VI एक बड़े संपादकीय कार्यालय के बारे में सोच रहे थे, जो एक सामंजस्यपूर्ण तरीके से संरचित हो, जो विभिन्न भाषा वर्गों को एक-दूसरे के साथ काम करने की स्थिति प्रदान करे। वास्तव में, उस क्षण से वाटिकन रेडियो के आकर्षण का केंद्र बदल गया। यदि पहले महानिदेशक तकनीकी निदेशक थे, तो अब नेतृत्व करनेवाले के पास संपादकीय योजना होनी चाहिए थी, और यह स्टेशन के पूरे मीडिया उत्पादन में एक केन्द्राभिमुख शक्ति की शुरुआत थी, जिसने एक केंद्रीय मुख्यालय के जन्म को पूर्वाभास दिया।

मुख्य बदलाव

1967 के अंत तक, 32 भाषाओं में नियमित रूप से प्रसारित किया जा रहा था; लेकिन जिन स्थानों से कार्यक्रम प्रसारित किए जा रहे थे वे वाटिकन के आसपास बिखरे हुए थे। जून 1967 में, निदेशालय और कार्यक्रमों के कार्यालयों को विया देल्ला कोचिलत्सियोने में स्थानंतरित किया गया। 1969 में, प्रबंधन ने अपने परिसर को उस स्थान पर स्थापित किया जिसकी योजना पोप पॉल VI ने रेडियो स्टेशन के लिए बनायी थी। संत पापा पियुस 12वें ने इसे पलात्सो पियो नाम दिया।

यह निर्णय किया गया था कि 1970 में विभिन्न वाटिकन एवं इताली संस्थाओं में परिवर्तन होगा जिसके तहत अधिक संख्या वाली संस्थाओं को दूसरी जगह स्थानंतरित किया जाएगा। 1 जनवरी 1970 से "प्रोडक्शन सेंटर" से कार्यक्रम प्रकाशित किये जाने लगे और माह के अंत में 29 जनवरी को राज्य सचिव कार्डिनल जीन विल्लोट पलात्सो पियो आये और उन्होंने प्रथम रेडियो केंद्र का उद्घाटन किया।

पलात्सो पियो में वाटिकन रेडियो

शुरू के सालों में पलात्सो पियो का प्रवेश द्वार विया देल्ला कोनचिलत्सियोने की ओर था। बाद में तेजी से काम होने लगा। वाटिकन वाटिका स्थित मारकोनी रेडियो स्टेशन लेओने 13वें भवन से लाईने जोड़ी गईं तथा 1972 में विभिन्न विभागों का वितरण किया गया।  

नई शुरूआत

दो साल बाद 1974 में संगीत एवं ऑडियो अभिलेखागार का जन्म हुआ जिसमें 'डिस्कोटेक' और 'नेस्त्रोटेक', संत पापाओं की रिकॉर्डिंग का भंडार है। साथ ही वर्तमान के प्रवेश द्वार का निर्माण किया गया। संत पापा जॉन पौल द्वितीय 5 फरवरी 1980 में वाटिकन रेडियो में प्रवेश कर, पहले पोप बने जिन्होंने इसमें पाँव रखा है। इन दशकों के अंदर वाटिकन रेडियो ने एक घर प्राप्त किया है और एक नया इतिहास। 

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11 February 2021, 18:32