मानव के अपरिहार्य अधिकार की रक्षा की जानी चाहिए, वाटिकन विदेश सचिव

वाटिकन विदेश सचिव मोनसिन्योर पौल रिचार्ड गल्लाघर ने संयुक्त राष्ट्र के मानव अधिकार समिति के 46 सत्र को सम्बोधित करते हुए कहा कि हमें मानव अधिकारों की नींव को फिर से तलाशने की आवश्यकता है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, मंगलवार, 23 फरवरी 2021 (रेई)- वाटिकन विदेश सचिव ने अपने भाषण में कोविड-19 के प्रभावों को ध्यान में रखते हुए मानव अधिकार के लिए कार्य करने की आवश्यकता पर जोर दिया, उन्होंने कहा, "अब एक साल से अधिक हो चुका है, कोविड-19 महामारी, जीवन के हर आयाम को प्रभावित कर रही है। इसके कारण अनेक लोगों की जानें गई हैं और यह हमारे आर्थिक, सामाजिक एवं स्वास्थ्य प्रणाली में संदेह उत्पन्न कर दी है। इसने मानव अधिकार की रक्षा एवं विकास हेतु हमारी प्रतिबद्धता को भी चुनौती दी है, साथ ही उनकी संबंधता की भी पुष्टि कर रही है। अतः एक वैश्विक समुदाय के रूप में, हमें मानव अधिकार की नींव को फिर से तलाशने की जरूरत है ताकि उसे प्रमाणिक तरीके से लागू किया जा सके।

मानव अधिकार की वैश्विक घोषणा की प्रस्तावना में कहा गया है कि मानव परिवार के सदस्यों में निहित प्रतिष्ठा, और समान एवं अपरिहार्य अधिकार को स्वीकारना स्वतंत्रता, न्याय और शांति की नींव होती है।  

उन्होंने कहा है कि "दुर्भाग्य से, इन प्रतिबद्धताओं की घोषणा इन्हें प्राप्त करने और उनपर चलने से अधिक आसान हैं। उन्होंने इस बात की पुष्टि दी कि मानव परिवार के सभी सदस्यों की निहित प्रतिष्ठा एवं समान तथा अपरिहार्य अधिकार को मान्यता देना, दुनिया में स्वतंत्रता, न्याय और शांति का आधार है। हमें स्वीकार करना चाहिए कि हर परिस्थिति में इन चीजों को मान्यता, सम्मान, सुरक्षा एवं प्रोत्साहन दिया जाना अब भी बहुत दूर है।  

निश्चय ही, मौलिक मानव अधिकार को सच्चा बढ़ावा देना इसकी नींव पर निर्भर करता है।  

विदेश सचिव ने कोविड-19 महामारी से बचने के लिए लगाये गये प्रतिबंधों के कारण होनेवाली समस्याओं की ओर भी ध्यान खींचा। उन्होंने कहा कि वर्तमान में जारी कोविड-19 महामारी के बीच, अधिकारियों द्वारा लोगों पर लगाये गये स्वास्थ्य उपाय भी लोगों को मानव अधिकार के स्वतंत्र अभ्यास के लिए बाधक है। कई लोग अपने आपको विषम परिस्थिति में पा रहे हैं, खासकर, बुजूर्ग, आप्रवासी, शरणार्थी, आदिवासी, आंतरिक रूप से विस्थापित लोग एवं बच्चे – उन्हें जारी संकट के विपरीत प्रभाव से होकर गुजरना पड़ रहा है। सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए मानव अधिकारों के प्रयोग पर प्रतिबंध को सख्त आवश्यकता की स्थिति से उत्पन्न होना चाहिए। ये प्रतिबंध परिस्थिति के अनुपात में होना चाहिए, भेदभाव के बिना होना चाहिए एवं तभी प्रयोग किया जाना चाहिए जब कोई दूसरा उपाय न हो।

अतः वाटिकन विदेश सचिव ने विचार, अंतःकरण एवं धर्म मानने की स्वतंत्रता के अधिकार की रक्षा की आवश्यकता पर जोर दिया है, ताकि राजनीतिक और धार्मिक नेता, विश्वास पर आधारित संस्थाओं और नागरिक समाज के साथ, इस अधिकार के निहित मूल्य को सम्मान दे सकें। जो धर्म मानने एवं अंतःकरण की स्वतंत्रता को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।  

कोविड-19 महामारी का विश्व स्तर पर जवाब प्रकट कर रहा है कि धार्मिक स्वतंत्रता की यह समझ सही नहीं है। परमधर्मपीठ, धार्मिक स्वतंत्रता पर जोर देते हुए इसके सार्वजनिक साक्ष्य और पूजा, उपासना एवं शिक्षा की व्यक्तिगत एवं सामूहिक दोनों प्रकार की अभिव्यक्ति की रक्षा करना चाहता है।  

मोनसिन्योर गल्लाघर ने कहा कि विभिन्न संकटों के प्रभावों के बीच हम उन चीजों से ऊपर उठना चाहते हैं जो विभाजित करते हैं। अतः उन्होंने संत पापा के प्रेरितिक विश्व पत्र के शब्दों का हवाला देते हुए कहा कि हमारे समय में प्रत्येक मानव व्यक्ति की प्रतिष्ठा को पहचानते हुए हम भ्रातृत्व की वैश्विक आकांक्षा के पुनः जन्म को योगदान दे सकते हैं। वर्तमान का यह संकट हमारे लिए खास अवसर प्रदान कर रहा है कि वैश्विक जिम्मेदारी की भावना को नवीकृत करने के लिए हमारे मानव परिवार में हम न्याय पर आधारित एकात्मता एवं शांति और एकता की प्राप्ति के बहुमुखी दृष्टिकोण को अपनायें, जो हमारी दुनिया के लिए ईश्वर की योजना है। इस कार्य हेतु उन्होंने परमधर्मपीठ के सहयोग का आश्वासन दिया।

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23 February 2021, 15:47