संत पापा फ्राँसिस के साथ वाटिकन रेडियो के पूर्व महानिदेशक फादर लोम्बार्दी संत पापा फ्राँसिस के साथ वाटिकन रेडियो के पूर्व महानिदेशक फादर लोम्बार्दी 

फादर लोम्बारदी ˸ पोप की सेवा में वाटिकन रेडियो का मिशन

फादर लोम्बारदी ˸ पोप की सेवा में वाटिकन रेडियो का मिशन वाटिकन रेडियो की 90वीं वर्षगाँठ पर वाटिकन रेडियो के पूर्व निदेशक के लेख के एक अंश को पुन: पेश किया गया है जिसको चिविल्ता कत्तोलिका में प्रकाशित किया गया था।

फादर फेदेरिको लोम्बारदी ये.स.

वाटिकन सिटी, शनिवार, 6 फरवरी 2021 (रेई)- 12 फरवरी 2021 को पोप पीयुस 11वें द्वारा नये वाटिकन रेडियो स्टेशन के उद्घाटन का 90 साल पूरा होगा। उनके आग्रह पर गुलेलमो मारकोनी ने इसकी स्थापना की थी और प्रथम निदेशक के रूप में जेस्विट फादर जुसेप्पे जानफ्रांचेस्की के संचालन में इसे सौंप दिया था। वाटिकन रेडियो का मिशन शुरू से ही स्पष्ट था ˸ विश्व में सुसमाचार प्रचार की प्रेरिताई तथा काथलिक कलीसिया की विश्वव्यापी कलीसिया को मार्गदर्शन देने हेतु पोप की सेवा में एक साधन बनना। इस मिशन को समय के साथ सुरक्षित रखा गया और संत पापाओं के द्वारा इसमें कई बार मजबूती भी लाई गई और संस्था की मजबूत पहचान को गारंटी प्रदान की गई।[...]

संत पापा की आवाज

वाटिकन रेडियो [...] की स्थापना 1931 में, नये वाटिकन सिटी स्टेट की स्थापना की पृष्टभूमि पर की गई थी। मारकोनी द्वारा स्थापित रेडियो स्टेशन उस समय की तकनीक में सबसे आगे था तथा इटली से पूरी तरह स्वतंत्र रूप से टेलीग्राफिक और रेडियो सेवा प्रदान करने में सक्षम था। "व्योम" में असंख्या प्रसारणों की भीड़ नहीं होने के कारण इसे शॉर्ट-वेव तकनीक द्वारा कम ऊर्जा में भी दूसरे महादेशों में सुना जाना संभव था। अपने अस्तित्व के आरम्भिक दिनों में वाटिकन रेडियो ही एक ऐसा साधन था जिसके माध्यम से विश्व के काथलिक पहली बार पोप की आवाज को सीधे सुन सके थे। [...]

1930 का दशक अधिनायकवाद की शक्ति के वर्ष थे। संत पापा पीयुस 11वें साहसी थे एवं बढ़ती आंधी के बीच उन्होंने कलीसिया को मजबूती दी। यूरोपीय देशों में विश्वासियों को मार्गदर्शन और समर्थन देने के लिए विभिन्न भाषाओं में प्रसारण की मांग तेजी से बढ़ रही थी। फादर जानफ्रांचेस्को की असमय मूत्यु के बाद, फादर फिलीप्पो सोक्कोरसी 1934 (34 साल की उम्र) में रेडियो के निदेशक नियुक्त किये गये। जिन्होंने अपने आपको न केवल वाटिकन में नया एंटीना टावर तकनीकी संरचना के विकास में प्रतिबद्ध किया, जिनको- "पोप की अंगुली" कहा जाता था -  बल्कि रेडियो के विकास की उम्मीद को ध्यान में रखते हुए तुरंत इसके कार्यक्रमों की सामग्री में भी विस्तार किया। इस प्रकार 1936 में, वाटिकन प्रसारण निगम को अंतर्राष्ट्रीय प्रसारण संघ द्वारा विशेष प्रकृति की मान्यता के साथ स्वीकार किया गया, जिसने इसे बिना किसी भौगोलिक सीमाओं के रेडियो गतिविधियों को पूरा करने के लिए अधिकृत किया।   

सीमित साधन उपलब्ध होने के कारण फादर सोक्कोरसी ने लेखों के संपादन और प्रस्तुति हेतु विभिन्न देशों से जेस्विट भाइयों से सहायता की मांग की। जर्मन भाषा में प्रसारण अपेक्षाकृत अधिक महत्वपूर्ण था।

युद्ध के संकट में ˸ पीडितों के साथ शांति एवं सहानुभूति के लिए

[...] 1939 में युद्ध के पूर्व तक, इताली, फ्रेंच, अंग्रेजी, जर्मन, स्पानी, पुर्तगाली, पोलिश, यूक्रेनी और लितवानी भाषाओं में नियमित प्रसारण हो रहे थे और स्टेशन घोर संकट  में कलीसिया का एक संदर्भ बिंदु बनने में सक्षम था, जो हिंसा की निंदा करने, पीड़ितों और प्रतिरोधी दल के सदस्यों का समर्थन करने और आशा को प्रोत्साहित करने की भूमिका निभा रहा था। युद्ध के समय में संत पापा पीयुस 12वें के "रेडियो संदेश" का पूरे यूरोप में बेसब्री से इंतजार किया जाता एवं सुना जाता था। इस प्रकार यह लोकप्रिय बना रहा। न्याय और शांति की दुहाई देते हुए, उन भयानक वर्षों में युद्धरत दलों से ऊपर उठनेवाली उनकी सबसे ऊंची और आधिकारिक आवाज़ थी।  

हालांकि, युद्ध के समय, वाटिकन रेडियो दूसरी सेवा के लिए भी लोकप्रिय हुआ ˸ यह वास्तव में, संत पापा पीयुस 12वें द्वारा चाही गई महान प्रतिबद्धता का एक मौलिक साधन था, जिसका प्रयोग "वाटिकन सचिवालय के सूचना कार्यालय" ने 1939 में खोये हुए नागरिकों, सैनिकों और कैदियों का पता लगाने, उनके परिवारों को जानकारी देने और यदि संभव हो तो उन्हें पुनः जोड़ने के लिए कम से कम अभिवादन एवं यादगारी पहुँचाने के लिए किया। [...]

वाटिकन रेडियो का विशेष प्रसारण खोये हुओं की सूचना देने के लिए समर्पित था और कैदियों के परिवारवालों की ओर से छोटे मेसेज प्रसारित किये जाते थे जिनके नाम वक्ताओं के "धात्विक" आवाज से धीरे-धीरे बाहर निकलते थे। ये प्रसारण हर सप्ताह 70 घंटे और दिन में अधिक से अधिक 12-13 घंटे प्रसारित किये जाते थे। 1940 और 1946 के बीच कुल 1,240,728 संदेश, वास्तविक प्रसारण समय अनुसार 12,105 घंटे प्रसारित किये गये। कुछ मामलों में, प्रसारण कैदियों के शिविरों में लाउडस्पीकर के रूप में प्रसारित किये गये। इस सेवा के लिए आभार का साक्ष्य असंख्या और मार्मिक थी। यह वाटिकन रेडियो के इतिहास में एक अत्यन्त सुन्दर पृष्ठ है।   

"मौन कलीसिया" की आवाज

युद्ध की समाप्ति के साथ, वाटिकन रेडियो ने नैतिक वातावरण और युद्ध से तबाह हुए देशों में आध्यात्मिक पुनःनिर्माण हेतु साथ देते हुए अपना प्रसारण जारी रखा, जबकि यह 1950 के महान पवित्र वर्ष की तैयारी के लिए भी समर्पित रहा, जो कलीसिया के जीवन में नवीनीकरण का समय था। 

किन्तु इस बीच, कई पूर्वी यूरोपीय देश कम्यूनिस्ट शासन के अधीन हो गये और कई देशों में काथलिक कलीसिया घोर अत्याचार के निशाने पर आ गये। यह वाटिकन रेडियो के लिए एक ऐतिहासिक चुनौती थी, जो खासकर, एकमात्र रास्ता था जिसके माध्यम से विश्वासी संत पापा एवं विश्वव्यापी कलीसिया के साथ जुड़े रह सकते थे और अपने विश्वास के लिए समर्थन प्राप्त कर सकते थे। सीमित साधनों के बावजूद, पूर्वी यूरोपीय देशों की भाषाओं के कार्यक्रम अधिक हो गये एवं उन्हें अधिक आकाशवाणी का समय दिया गया। 1940 के दशक के अंत में पोलिश कार्यक्रम – इताली, अंग्रेजी, फ्रेंच, स्पानी और जर्मन भाषाओं के साथ प्रसारण की एक मुख्य भाषा बनी रही, जिसमें चेक, स्लोवाक, हंगेरियाई, लितुवेनियाई, लातवियाई, रूसी, क्रोवेशियाई, स्लोवेकियाई, यूक्रेनियाई, रोमेनियाई, बुल्गेरियाई, बेलारूसियाई और कुछ बाद में अल्बानियाई जुड़े।

दशकों तक शोषण के दौरान, वाटिकन रेडियो के प्रसारण में विश्वासियों, धर्मबहनों, पुरोहितों एवं धर्माध्यक्षों को नियमित एवं निश्चित नियुक्ति दी गई जो अपने विश्वास को जीने एवं व्यक्त करने की स्वतंत्रता से वंचित थे।     

उन वर्षों की अनगिनत कहानियाँ बतायी जा सकती हैं। कुछ देशों में और कठोर उत्पीड़न के कुछ निश्चित अवधि में, वाटिकन रेडियो को सुनने से सख्त मना किया गया था और इससे गंभार खतरा था। ऐसा करने पर कड़ी सजा हो सकती थी, जेल जाना पड़ सकता था या कुछ मामलों में मृत्यु दण्ड भी मिल सकते थे। कुछ भाषाएँ, जैसे पोलिश या स्लोवाक में श्रोताओं की संख्या बहुत थी जबकि दूसरे देशों में काथलिक अल्पसंख्यक होने के कारण कम श्रोता थे, किन्तु रेडियो के संचालक, संत पापा के मकसद से प्रेरित थे जिसके अनुसार श्रोताओं की संख्या अधिक महत्वपूर्ण नहीं थी बल्कि श्रोताओं की आवश्यकता की स्थिति। यही कारण है कि पूर्वी यूरोप की अधिकांश भाषाओं ने वाटिकन रेडियो में स्थान बनाया। कई सालों के बाद, जब इस दीवार का पतन हो गया तब अंततः विश्वासियों एवं लोगों ने अपनी सक्रियता व्यक्त की। सोवियत शासन के पतन के बाद पहले साल में ही यूक्रेनी क्षेत्र से करीब 40,000 से अधिक पत्र आये। उसी तरह वाटिकन रेडियो के कार्य के लिए अल्बानियाई राष्ट्र ने पुरस्कार प्रदान किये।[...]

एकता के लिए संचार

वर्ष 1970 में वाटिकन रेडियो का संपदकीय कार्यालय एवं स्टूडियो, कास्तेल संत अंजेलो के सामने पलात्सो पियो में स्थापित किया गया, जो पर्याप्त स्थान होने के साथ, दशकों तक मुख्य कार्यालय बना रहा। 1973 में फादर रोबेर्तो तूच्ची [...] ने महानिदेशक के रूप में फादर मारतेजानी का कार्यभार संभाला। पवित्र वर्ष 1975 के ठीक पहले रेडियो पूरी तरह संगठित हो गया। यह न केवल संत पापाओं के मिस्सा समारोहों, आमदर्शन एवं विशेष अवसरों को सीधे प्रसारित करने लगा और सभी भाषाओं में पर्याप्त जानकारी उपलब्ध करने लगा जिससे कि विश्वव्यापी कलीसिया एक महसूस करे, बल्कि विश्व भर से रोम आने वाले तीर्थयात्रियों को भी अपनी सेवा देने लगा। [...]

पास्क्वाले बोरगोमेयो, जब कार्यक्रमों के एक गतिशील एवं रचनात्मक निदेशक बने, तब फादर फेलिक्स जॉन काबासेस केंद्रीय संपदकीय कार्यालय के संचालक बने तथा बाद में "प्रलेखन सेवा" में काम किया। बोरगोमेयो ने स्टेशन के मूल्यवान अंतरराष्ट्रीय संबंध को प्राप्त किया, खासकर, यूरोपीय ब्रोडकास्टिंग यूनियन (ईबीयू) में जबकि फादर फेलिक्स ने प्रलेखन और संपादकीय प्रोग्रामिंग का स्थायी चिन्ह छोड़ दिया। [...]

इस प्रकार वाटिकन रेडियो ने पेशेवर और पत्रकारिता के गुणवत्ता में परिपक्वता हासिल की जो विश्वव्यापी कलीसिया में न केवल दैनिक संचार के हृदय की धड़कन "एकता के लिए संचार है" जैसा कि समिति उम्मीद करता है बल्कि कलीसिया के जीवन में काथलिक एवं लोकधर्मी संचार के विस्तृत जगत का सक्रिय नायक भी है। [...]

 

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

06 February 2021, 15:15