उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 31 दिसम्बर 20 (रेई)- वैक्सिन को सार्वजनिक भलाई के रूप में तैयार किया गया है अतः इसे सबसे अधिक जरूरतमंद लोगों पर ध्यान देते हुए उचित एवं समान रूप से सभी लोगों को प्रदान किया जाना चाहिए।
वाटिकन कोविड-19 आयोग एवं जीवन के लिए परमधर्मपीठीय अकादमी द्वारा संयुक्त दस्तावेज में इसी बात पर जोर दिया है जिसमें महामारी को जीतने हेतु एंटी कोविड वैक्सिन की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला गया है।
25 दिसम्बर को क्रिसमस संदेश में संत पापा फ्राँसिस ने विश्व के नेताओं का आह्वान किया था कि वे वैक्सिन के द्वारा विभिन्न प्रकार के राष्ट्रवाद को प्रोत्साहन देने के प्रलोभन से बचें और इसके वितरण में मदद दें। उन्होंने कहा था कि "ये प्रकाश चमकें एवं सभी को आशा प्रदान करें, यह सभी के लिए उपलब्ध हो।"
मानदंड
न्याय, एकात्मता एवं समावेश मुख्य मानदंड हैं जिनका पालन करते हुए विश्वव्यापी संकट की चुनौतियों का सामना किया जा सकता है।
दस्तावेज में संत पापा फ्रांसिस के उन मानदंडों का जिक्र किया गया है जिसको उन्होंने 19 अगस्त के आमदर्शन समारोह में, सकारात्मक रूप से हमारे समर्थन के लायक बतलाया था जो बहिष्कृत लोगों के समावेश में योगदान देते, कम से कम प्रचार तथा सार्वजनिक भलाई और सृष्टि की देखभाल के लिए हैं।
अतः अपरिहार्य निशानिर्देश एक विस्तृत क्षितिज है जो कलीसिया की सामाजिक धर्मशिक्षा के सिद्धांतों का आह्वान करते हैं, जैसे कि मानव प्रतिष्ठा और गरीबों के लिए बेहतर विकल्प, एकात्मता, सहायता, सार्वजनिक हित, सृष्टि की देखभाल, न्याय तथा संसाधनों को सभी के बीच बांटना आदि।
अनुसंधान, उत्पादन और जैविक सामग्री
इसे न केवल वैक्सिन वितरण के समय ध्यान देने की जरूरत है बल्कि पूरे जीवन चक्र में ध्यान दिया जाना चाहिए।
इस रास्ते पर पहला चरण है अनुसंधान एवं उत्पादन। वैक्सिन तैयार करने की जैविक सामग्री पर अक्सर सवाल किये जाते हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार कुछ टीके जो अब अनुमोदित होने के लिए तैयार हैं या प्रक्रिया के अधिक निकट चरणों में हैं स्वेच्छा से निरस्त भ्रूण के सेल लाइनों का उपयोग करते हैं जबकि अन्य उन्हें विशिष्ट प्रयोगशाला परीक्षणों में उपयोग करते हैं।
जीवन के लिए परमधर्मपीठीय अकादमी ने इस मुद्दे को सम्बोधित करते हुए कही थी कि अन्य बातों के अलावा, इन टीकों का उपयोग करनेवालों और स्वेच्छा से गर्भपात करनेवालों के बीच एक नैतिक रूप से प्रासंगिक सहयोग है। जबकि यह सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता है कि हर टीका का गर्भपात के किसी भी सामग्री से इसकी तैयारी में कोई संबंध नहीं है, बच्चों और सामान्य लोगों के लिए गंभीर स्वास्थ्य जोखिमों से बचने हेतु टीकाकरण की नैतिक जिम्मेदारी को दोहराया जाता है।”
उत्पादन का मुद्दा वैक्सिन के लाईसेंस से भी जुड़ा है क्योंकि वैक्सिन एक प्राकृतिक संसाधन नहीं है बल्कि मानव बुद्धि के द्वारा तैयार की गई है। वैक्सिन को तभी सही समझा जाएगा जब इसे संत पापा फ्रांसिस द्वारा प्रकाश डाले गए सामानों के सार्वभौमिक गंतव्य के सिद्धांत के अनुसार बिना भेदभाव के सभी के लिए उपलब्ध किया जाएगा। जैसा कि उन्होंने क्रिसमस संदेश में कहा है, "हम अपनी बेहतरी के लिए कट्टरपंथी व्यक्तिवाद के वायरस को फैलने नहीं दे सकते तथा पीड़ित भाई बहनों के प्रति उदासीन नहीं रह सकते ...बाजार एवं लाईसेंस के नियम पर प्यार और मानवता के स्वास्थ्य के नियम को वरीयता देते हैं।"
वाटिकन कोविड-19 आयोग एवं जीवन के लिए परमधर्मपीठीय अकादमी द्वारा जारी दस्तावेज में कहा गया है कि दवाई एवं स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में केवल व्यवसायिक शोषण के मकसद को स्वीकार नहीं किया जा सकता।
मेडिकल क्षेत्र में निवेश को अपना गूढ़ अर्थ मानवीय एकात्मता में प्राप्त करना चाहिए। हमें उपयुक्त तरीके को पहचानना चाहिए जो विरोध और प्रतियोगिता के बदले पारदर्षिता एवं सहयोग को प्रोत्साहन देता है। अतः यह महत्वपूर्ण है कि विभिन्न राज्यों द्वारा अधिक तेजी से समय सीमा में वैक्सीन के स्वामित्व के प्रयास के रूप में समझा गया "वैक्सिन राष्ट्रवाद" से बाहर निकला जाए। यह "राज्यों, दवा कंपनियों और अन्य संगठनों के बीच सहयोगी उपक्रम" के रूप में वैक्सीन के औद्योगिक उत्पादन की ओर भी इशारा करता है।
स्वीकृति और प्रशासन
प्रायोगिक चरणों के बाद, प्रासंगिक अधिकारियों द्वारा वैक्सीन की, आपातकालीन स्थितियों के तहत, एक और महत्वपूर्ण कदम है, इसे बाजार पर रखा जाना और विभिन्न देशों में उपयोग किया जाना। "इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए आवश्यक प्रक्रियाओं को समन्वित करना और संबंधित नियामक अधिकारियों के बीच पारस्परिक मान्यता को बढ़ावा देना आवश्यक है।"
प्रशासन के संबंध में, वाटिकन कोविद -19 आयोग और जीवन के लिए परमधर्मपीठीय अकादमी, टीकाकरण की प्राथमिकताओं में अभिसरण की स्थिति का समर्थन करते हैं, जिसमें उन लोगों को जो "सामान्य हित की सेवाओं में लगे हैं", विशेषकर स्वास्थ्य कर्मी और वे लोग जो जनता एवं कमजोर समूहों (जैसे बुजुर्ग, या दिव्यांग लोगों) के लिए अपनी सेवा देते हैं।
दस्तावेज में कहा गया है कि यह मानदण्ड सभी परिस्थितियों का हल नहीं करता, एक कोरा क्षेत्र रह जाता है, उदाहरण के लिए, जब बहुत ही जोखिमपूर्ण दल के भीतर टीके के क्रियान्वयन की प्राथमिकताओं को परिभाषित किया जाता है।
टीका वितरण के लिए "सार्वभौमिक पहुँच" की अनुमति देने हेतु उपकरणों के एक संग्रह की आवश्यकता होती है। एक वितरण कार्यक्रम को विकसित करने की जरूरत है जो "उन क्षेत्रों में तार्किक-संगठनात्मक बाधाओं से निपटने के लिए आवश्यक सहयोग का ध्यान रखता है जो आसानी से सुलभ नहीं हैं।
दस्तावेज में कहा गया है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन एक महत्वपूर्ण संदर्भ विन्दु है जिसको उभरते समस्याग्रस्त मुद्दों के विषय में, मजबूत एवं विकसित किया जाना चाहिए।
वैक्सिन एवं नैतिक सवाल
वैक्सिन लगाने के नैतिक जिम्मेदारी के बारे में, वाटिकन कोविड-19 आयोग एवं जीवन के लिए परमधर्मपीठीय अकादमी ने जोर दिया है कि यह मामला व्यक्तिगत स्वास्थ्य एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य के बीच संबंध से जुड़ा है, जो उनकी करीबी निर्भरता को दर्शाता है। वैक्सिन से इनकार दूसरों के लिए भी खतरा का कारण हो सकता है।
"दूसरी ओर, बीमार होने पर अस्पताल में भर्ती होनेवालों की संख्या बढ़ेगी, परिणामतः स्वास्थ्यकर्मियों पर दबाव बढ़ेगा, जैसा कि इस महामारी के दौरान विभिन्न देशों में हुआ है। स्वास्थ्य सेवाओं को प्राप्त करने में बाधा फिर एक बार उन लोगों को प्रभावित करती है जिनके पास कम संसाधन हैं।"
कार्य योजना
एक सुरक्षित एवं प्रभावशाली वैक्सिन सभी के लिए उपलब्ध हो ताकि सभी के बीच इसका सही वितरण हो सके। ये वैश्विक उपचार सुनिश्चित करने की प्राथमिकताएं हैं जो स्थानीय स्थितियों को भी ध्यान में रखते हैं और बढ़ाते हैं: "हम अपने खास समुदायों में इस वैक्सीन पहल और उपचार प्रोटोकॉल की तैयारी में स्थानीय कलीसियाओं की सहायता के लिए संसाधन विकसित करना चाहते हैं"।
दुनिया भर में फैली कलीसिया बोलने एवं आह्वान करने के द्वारा अपनी आवाज से "दुनिया को चंगा" करने की सेवा में समर्पित है, और यह सुनिश्चित करने में योगदान देती है कि गुणवत्ता वाले टीके एवं उपचार वैश्विक परिवार के लिए उपलब्ध हो, खासकर कमजोर लोगों के लिए।"
कोविड-19 के बाद निर्माण
समग्र मानव विकास हेतु गठित परमधर्मपीठीय परिषद के अध्यक्ष कार्डिनल पीटर टर्कसन जो वाटिकन कोविड-19 आयोग के भी प्रमुख हैं, उन्होंने कहा, "हम वैज्ञानिक समूह के प्रति कृतज्ञ हैं जिन्होंने रिकॉर्ड समय में वैक्सिन तैयार किया। यह अब हमारे ऊपर है कि हम इसे सभी के लिए उपलब्ध करें, खासकर, सबसे कमजोर लोगों के लिए। यह न्याय का मामला है। यह समय है इस बात को दिखलाने का कि हम एक मानव परिवार हैं।
जीवन के लिए परमधर्मपीठीय अकादमी के अध्यक्ष महाधर्माध्यक्ष पालिया ने कहा कि "आपसी संबंध जो मनुष्यों को एक-दूसरे से जोड़ती है कोविड-19 महामारी के द्वारा प्रकट हुई है।" आयोग के साथ हम कई साझेदारों से मिलकर काम कर रहे हैं जो मानव परिवार के लिए सीख ले सकते हैं एवं समाज में कमजोर लोगों की रक्षा एवं उनके प्रति एकात्मता हेतु नैतिक जिम्मेदारी बढ़ा सकते हैं।
समग्र मानव विकास हेतु गठित परमधर्मपीठीय परिषद के सचिव मोनसिन्योर ब्रूनो मारिये डूफे ने कहा, "हम कोविड-19 महामारी समाप्त होने के मोड़ पर हैं और यह उस दुनिया को परिभाषित करने का अवसर है जिसे हम महामारी के बाद देखना चाहते हैं।”