कार्डिनल पीयेत्रो परोलिन कार्डिनल पीयेत्रो परोलिन  

परोलिन: धार्मिक स्वतंत्रता का बचाव वाटिकन कूटनीति की एक कसौटी

रोम में परमधर्मपीठ के लिए अमरीका के राजदूतावास में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया था जिसमें कार्डिनल पीयेत्रो परोलिन, अमरीका के सचिव मिखाएल पोम्पेई और महाधर्माध्यक्ष पौल रिचार्ड गल्लाघर ने भाग लिया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 1 अक्टूबर 2020 (रेई)- बुधवार को रोम में वाटिकन के लिए अमरीका के राजदूतावास में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसकी विषयवस्तु थी, "कूटनीति के द्वारा अग्रिम और अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता का बचाव।"

अमरीका एवं परमधर्मपीठ की साझा प्राथमिकताएँ

अपने स्वागत भाषण में परमधर्मपीठ के लिए अमरीकी राजदूत कालिस्ता गिंगरिच ने "धार्मिक स्वतंत्रता के सार्वभौमिक अधिकार को बढ़ावा देना और हासिल करना संयुक्त राज्य और परमधर्मपीठ के लिए एक साझा प्राथमिकता है" पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यह सहयोग "महत्वपूर्ण समय" पर इस अधिकार को बरकरार रखता है, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता को बढ़ाया और बचाव किया जाना चाहिए।

नैतिक साक्ष्य

अमरीका के राज्य सचिव माइक पोम्पेओ ने अपने सम्बोधन में द्वितीय विश्व युद्ध पर प्रकाश डाला क्योंकि इस साल इसके अंत का 75वां वर्षगाँठ है। उन्होंने फादर बेर्नार्ड लिचेनबर्ग की याद की जिन्हें यहूदियों और नाजी सैनिकों की क्रूरता के शिकार लोगों के लिए उनकी मुखरता और सार्वजनिक प्रार्थना के कारण गिरफ्तार कर लिया गया था। उन्होंने संत पापा जॉन पौल द्वितीय की निर्णायक भूमिका की भी याद की। उन्होंने धार्मिक स्वतंत्रता न होने पर चीन की निंदा की। अमरीका के सचिव ने कहा कि धार्मिक स्वतंत्रता ख्रीस्तीय नेताओं और उन लोगों के नैतिक साक्ष्य पर निर्भर करता है जिन्होंने उत्पीड़न झेला है।

परमधर्मपीठ के लिए धार्मिक स्वतंत्रता महत्वपूर्ण

संगोष्ठी में परमधर्मपीठ का प्रतिनिधित्व, कार्डिनल पीयेत्रो परोलिन एवं महाधर्माध्यक्ष पौल रिचार्ड गल्लाघर ने की। महाधर्माध्यक्ष गल्लाघर ने प्रतिभागियों को संत पापा का अभिवादन देते हुए कहा, "संत पापा इस सभा से अवगत हैं जिसकी विषयवस्तु वाटिकन के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण है, विशेषकर, द्विपक्षीय और बहुपक्षीय दोनों स्तरों पर इसकी कूटनीतिक गतिविधियाँ।"

धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार

महाधर्माध्यक्ष ने स्वीकार किया कि अंतरराष्ट्रीय शांति, सुरक्षा और आपसी सहअस्तित्व पर धर्मों की भूमिका के प्रति जागरूकता बढ़ी है। इस सच्चाई के कारण, धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा करना परमधर्मपीठ की एक मुख्य राजनीतिक प्राथमिकता बन गयी है। यह मानव व्यक्ति के स्वभाविक प्रतिष्ठा के कारण महत्वपूर्ण है जो ईश्वर की छवि और प्रतिरूप में सृष्ट है और जो हरेक व्यक्ति एवं समाज की पहचान तथा उनके समग्र विकास के लिए मौलिक कारण है।    

धार्मिक अत्याचार के प्रकार

महाधर्माध्यक्ष ने कहा, "धार्मिक स्वतंत्रता का दमन न केवल शारीरिक अत्याचार तक सीमित है बल्कि विचारधारा और चुप करने के द्वारा भी किया जाता है।" "राजनीतिक शुद्धीकरण" भी धार्मिक स्वतंत्रता पर एक हमला है। उन्होंने कहा कि मानव अधिकारों के नाम पर अस्वीकार्य और आक्रामक तरीके से धार्मिक स्वतंत्रता पर दबाव एवं अंतःकरण पर बाधा नहीं डाला जाना चाहिए।

अत्याचार के शिकार लोगों की सेवा में परमधर्मपीठ

महाधर्माध्यक्ष ने कहा कि परमधर्मपीठ चर्चा के लिए समर्पित है और इस चर्चा का संचालन इस समय संत पापा फ्राँसिस की शिक्षा एवं संलग्नता द्वारा किया जा रहा है। उन्होंने जोर दिया कि लोग, समाज तथा विभिन्न धार्मिक धारणाओं के बीच आपसी समझदारी एवं वार्ता, महत्वपूर्ण है।  

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01 October 2020, 17:36