खोज

प्रभु की करुणा को समर्पित रोम के सान्तो स्पीरीतो गिरजाघर में प्रभु की करुणा को समर्पित रोम के सान्तो स्पीरीतो गिरजाघर में  

सन्त जॉन पौल द्वितीय की दया पर बेनेडिक्ट 16 वें

सन्त जॉन पौल द्वितीय की शत वर्षीय जयन्ती के उपलक्ष्य में सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने पौलैण्ड के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन को एक लघु पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने अपने पूर्वाधिकारी में समाहित दया पर प्रकाश डाला है।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 15 मई 2020 (रेई, वाटिकन रेडियो): सन्त जॉन पौल द्वितीय की शत वर्षीय जयन्ती के उपलक्ष्य में सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने पौलैण्ड के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन को एक लघु पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने अपने पूर्वाधिकारी में समाहित दया पर प्रकाश डाला है।  

वाटिकन प्रेस द्वारा गुरुवार को सेवानिवृत्त सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें का उक्त पत्र प्रकाशित किया गया, जिसमें बेनेडिक्ट 16 वें लिखते हैं, "सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय का सम्पूर्ण जीवन ख्रीस्तीय धर्म तथा उसके केन्द्रभूत उद्देश्य अर्थात् मुक्ति की शिक्षा पर केन्द्रित रहा जिसने अन्यों को भी इसके आलिंगन हेतु प्रोत्साहित किया।"

करुणा दुर्बलता से अधिक शक्तिशाली

उन्होंने लिखा, "मसीह के पुनःरुत्थान के फलस्वरूप ईश्वर की दया सबके लिये उपलभ्य है, तथा सभी को यह जानना ज़रूरी है कि अन्त में प्रभु ईश्वर की दया हमारी समस्त दुर्बलताओं से शक्तिशाली सिद्ध होगी।"  

सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें इस तथ्य को रेखांकित करते हैं सन्त जॉन पौल द्वितीय के सन्देश की आन्तरिक एकता का पता लगाना आवश्यक है, जिन्होंने सदैव ईश्वरीय करुणा की महता को समझाया। उन्होंने कहा, "दैवीय करुणा का महत्व समझाकर सन्त जॉन पौल द्वितीय हमें मनुष्य की नैतिक ज़रूरतों को स्वीकार करने का अवसर देते हैं, हालाँकि हम उसे पूरी तरह से संतुष्ट नहीं कर सकते। ईश्वर की करुणा के प्रकाश में हमारे नैतिक प्रयास जारी रहा करते हैं, जो हमारी दुर्बलताओं को चंगाई प्रदान करने में सक्षम शक्ति साबित होती है।"

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

15 May 2020, 12:02