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संत पापा फ्राँसिस एवं कार्डिनल ताग्ले संत पापा फ्राँसिस एवं कार्डिनल ताग्ले 

पोप मिशन के प्रति अपने उत्साह को प्रकट करते हैं, कार्डिनल ताग्ले

सुसमाचार प्रचार हेतु गठित परमधर्मपीठीय धर्मसंघ के अध्यक्ष कार्डिनल लुईस अंतोनियो ताग्ले ने परमधर्मपीठीय मिशन सोसाईटी को प्रेषित संत पापा फ्राँसिस के संदेश के मूख्य बिन्दुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने वाटिकन रेडियो के वरिष्ठ पत्रकार अलेसांद्रो जिसोत्ती के साथ साक्षात्कार में अपने विचारों को साझा किया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 28 मई 2020 (वीएन)- सुसमाचार प्रचार हेतु गठित परमधर्मपीठीय धर्मसंघ के अध्यक्ष कार्डिनल लुईस अंतोनियो ताग्ले ने परमधर्मपीठीय मिशन सोसाईटी को प्रेषित संत पापा फ्राँसिस के संदेश के मूख्य बिन्दुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने वाटिकन रेडियो के वरिष्ठ पत्रकार अलेसांद्रो जिसोत्ती के साथ साक्षात्कार में अपने विचारों को साझा किया।

परमधर्मपीठीय मिशन सोसाईटी को प्रेषित संदेश में संत पापा ने पुनः एक बार रेखांकित किया है कि मिशन, कलीसिया के जीवन एवं पहचान के केंद्र में है। यह संदेश आपको किस तरह प्रभावित करता है?  

परमधर्मपीठीय मिशन सोसाईटी (पीएमएस) के लिए संत पापा के संदेश में कई चीजें हैं जो मुझे प्रभावित करती हैं। मैं कुछ का नाम ले सकता हूँ। पहला, संत पापा फ्राँसिस ने पीएमएस के राष्ट्रीय निदेशकों को सम्बोधित करने के निमंत्रण को स्वीकार किया था जो इस साल के मई महीने में होने वाला था। महामारी के कारण सम्मेलन रद्द हो गया। अपने दर्शकों की सभा के रद्द होने को अपने लिए आराम का अवसर मानने के बदले संत पापा ने उनके लिए संदेश लिखा और भेज दिया। इस संदेश में न केवल संत पापा के शब्द और विचार हैं किन्तु मिशन के लिए उनके उत्साह और पीएमएस के प्रति चिंता दिखाई पड़ती है। दस्तावेज को पढ़ते हुए हमें उनकी भावना, उनकी उत्सुकता, उनकी आशा और चिंता को सुनना चाहिए।

दूसरा, मैं विश्वास करता हूँ कि जब परमधर्मपीठीय मिशन सोसाईटी के राष्ट्रीय निदेशकों को संदेश में सम्बोधित किया गया है तब संत पापा चाहते हैं कि पूरी कलीसिया, ईश्वर की सारी प्रजा इसे पढ़े, इसका अध्ययन करे एवं इसपर मनन -चिंतन करे। यह राष्ट्रीय निदेशकों के लिए मार्गदर्शन के समान है किन्तु यह पूरी कलीसिया के लिए मिशनरी भावना एवं संलग्नता के क्षेत्र में अंतःकरण की जाँच करने के समान है। 

संत पापा ने जोर देकर कहा है कि मिशन पवित्र आत्मा का मुफ्त वरदान है न कि उस प्रणाली का फल जो "दुनिया की दक्षता के आदर्श" का अनुसरण करता है। आपके अनुसार इस कार्यात्मकता, निपुणता की जोखिम से बचने हेतु पीएमएस की नई योजना के लिए क्या करना चाहिए?   

यह कहना महत्वपूर्ण है कि संत पापा फ्राँसिस निपुणता और उस प्रणाली के खिलाफ नहीं हैं जो हमारे मिशन को फलप्रद एवं पारदर्शी बनाता है, बल्कि वे हमें कलीसिया के मिशन को मापने के उस खतरे की चेतावनी देते हैं जिसमें सिर्फ मॉडल अथवा स्कूल व्यवस्थापकों द्वारा पूर्व निर्धारित मानकों और परिणामों का प्रयोग किया जाता है। चाहे वे कितने ही अच्छे और उपयोगी क्यों न हों, दक्षता का साधन मदद कर सकता है किन्तु कलीसिया के मिशन का स्थान कभी नहीं ले सकता। सबसे अधिक दक्षता के साथ चलायी गई कलीसियाई संस्था भी सबसे कम मिशनरी हो सकती है। मिशन पवित्र आत्मा का वरदान है इस पर जोर देने के द्वारा संत पापा फ्राँसिस हमें उस मूल सच्चाई की ओर वापस ले रहे हैं कि विश्वास स्वयं ईश्वर का वरदान है, ईश्वर का राज्य ईश्वर के द्वारा ही स्थापित एवं पूर्ण किया गया है, कलीसिया ईश्वर की सृष्टि है। कलीसिया अपने मिशन के लिए जगायी गई है कि वह सुसमाचार प्रचार हेतु पृथ्वी के अंतिम छोर तक जाए क्योंकि पुनर्जीवित प्रभु, पिता द्वारा पवित्र आत्मा को भेजते हैं। कलीसिया और मिशन के मूल में ईश्वर की कृपा है, मानव की योजना नहीं। येसु हमारे पास पिता के प्रेम के रूप में आते हैं किन्तु हमारा कर्तव्य है- प्रार्थना करना, दिव्य वरदानों को परखना, विश्वास में उन्हें ग्रहण करना और दाता की इच्छा अनुसार कार्य करना। कृपा के इस मूल से अलग, कलीसिया का कार्य, न सिर्फ परमधर्मपीठीय मिशन सोसाईटी की योजनाएँ होंगी बल्कि कार्यों और क्रिया की निश्चित योजनाओं तक ही सीमित होंगी। ईश्वर के विस्मय एवं बाधाओं को हम अपनी तैयार योजनाओं के विनाश के रूप मे देखते हैं। मेरे अनुसार क्रियात्मकता की जोखिम से बचने के लिए, हमें कलीसिया के जीवन और मिशन के झरने ईश्वर के वरदान येसु और पवित्र आत्मा की ओर लौटना होगा। उस जीवंत स्रोत से अलग हमारा कठिन परिश्रम, हमें थकान, ऊबाव, चिंता, प्रतिस्पर्धा, असुरक्षा और निराशा ही महसूस करायेगा। पवित्र आत्मा में सुदृढ़ होकर हम मिशन की कठिनाईयों एवं पीड़ा को आनन्द और आशा से सहन कर सकेंगे।

मिशन का एक महत्वपूर्ण भाग है दान के लिए समर्पित होना। संत पापा के अनुसार अधिक दान की खोज करने के प्रलोभन से बचना चाहिए जो परमधर्मपीठीय मिशन सोसाईटी को एक गैरसरकारी संगठन बना सकता है जिसका मूल उद्देश्य पूंजी एकत्र करना हो जाएगा। व्यवहारिक स्तर पर संत पापा के इस आह्वान को किस तरह लागू किया जा सकता है?

संत पापा फ्राँसिस के दृष्टिकोण अनुसार अनुदान एक परोपकारी दान के समान है जो मिशन की प्रार्थना के साथ किया जाता है। दान या चंदा का यह दृष्टिकोण, विश्व एवं मिशन के उपहार का एक भाग है। जब दान का क्षितिज, एक संस्था चलाने की कुशलता का स्थान ले लेती है तब दान प्रेम, प्रार्थना और मानव श्रम के फल को बांटने के ठोस चिन्ह के बदले, प्रयोग हेतु एक फंड अथवा संसाधन मात्र बन जाता है। खतरा यह है कि मिशन के नाम पर धन जुटाया जाएगा, लेकिन यह दानदाता की ओर से मिशनरी दान की अभिव्यक्ति के बिना होगा। इसका उद्देश्य मिशनरी आनन्द जगाने के बदले सिर्फ निश्चित मात्रा में धन जमा करना हो जाएगा। एक मौद्रिक लक्ष्य पर नज़र रखने के साथ, बड़े दानदाताओं पर भरोसा करने का प्रलोभन प्रबल हो जाएगा। कार्डिनल ने सलाह दी कि हम अधिक समय और शक्ति लोगों को येसु से मुलाकात करने, उनके सुसमाचार को सुनाने एवं अपने दैनिक जीवन में मिशनरी होने में दें। धन की अपेक्षा वे विश्वासी हमारे उत्तम स्रोत हैं जो समर्पित एवं प्रसन्नचित मिशनरी हैं। विश्वासियों को यह याद दिलाना अच्छा है कि उनके छोटे दान भी जब एक साथ दिये जाते हैं, तब वे कलीसिया की आवश्यकताओं के लिए संत पापा के विश्वव्यापी मिशनरी उदारता की ठोस अभिव्यक्ति हैं। कोई भी दान छोटा नहीं होता, जब उसे सार्वजनिक हित के लिए प्रदान किया जाता है।

महामारी की वजह से हम जिस तरह का अनुभव कर रहे हैं वह एक असाधारण क्षण कैसे हो सकता है?

कोविड-19 ने मानव परिवार में बहुत अधिक दुःख और भय उत्पन्न किया है। हमें कलीसिया और इसके मिशन पर इसके प्रभाव को कभी अनदेखा नहीं करना चाहिए। हमारे जीवन में इस परिस्थिति को अधिक समझने के लिए कई साल लग सकते हैं किन्तु हम घोषणा कर सकते हैं कि इस महामारी की अनिश्चितताओं, तालाबंदी, बेरोजगारी, आय में घाटा और कई अन्य प्रभावों के बीच पवित्र आत्मा ने करुणा, साहस, परिवार में प्रेम, सतत् प्रार्थना, ईश वचन पर चिंतन, यूखरिस्त की भूख, सरल जीवन शैली की ओर वापसी, सृष्टि की देखभाल आदि कृपादानों को प्रचुर मात्रा में बरसाया है। जब कलीसिया अपने नियमित क्रिया-कलापों में बंधी हुई महसूस कर रही थी तब पवित्र आत्मा ने उसके मिशन को बिना किसा सीमा के आगे बढ़ाया है। कलीसिया पवित्र आत्मा के आश्चर्यजनक कार्यों पर विस्मय करने लिए बुलायी गई है। हम पवित्र आत्मा के वरदान एवं उनके कार्यों का बखान महामारी के समय एवं आने वाले वर्षों में करते रहेंगे।  

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28 May 2020, 16:49