खोज

यर्दन नदी में येसु का बपतिस्मा यर्दन नदी में येसु का बपतिस्मा 

विश्वास एवं संस्कार के बीच संबंध पर आईटीसी का अध्ययन

अंतरराष्ट्रीय ईशशास्त्रीय आयोग (आईटीसी) ने एक नये दस्तावेज में काथलिक विश्वास एवं संस्कारों के बीच संबंध पर चिंतन किया है, विशेषकर, दीक्षा संस्कार एवं विवाह संस्कार पर।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, मंगलवार, 3 मार्च 2020 (रेई)˸ अंतरराष्ट्रीय ईशशास्त्रीय आयोग ने एक नये दस्तावेज में विश्वास एवं संस्कारों के बीच संबंध पर प्रकाश डाला है।

विश्वास का संस्कारीय स्वभाव

दस्तावेज का शीर्षक है, "संस्कारीय अर्थव्यवस्था में विश्वास और संस्कारों के बीच संबंध"। दस्तावेज का उद्देश्य है विश्वास के संस्कारीय स्वभाव की गहरी समझ प्रदान करना एवं संस्कारीय मिशन का पुनरोद्धार करना, खासकर, यह बपतिस्मा प्राप्त अख्रीस्तीय लोगों की समस्याओं पर प्रकाश डालता है, जिन्होंने बपतिस्मा संस्कार लिया है किन्तु विश्वास को अर्थपूर्ण तरीके से नहीं जीते हैं।

आईटीसी, संस्कारों के लिए विश्वास के महत्व पर सिद्धांतात्‍मक चिंतन द्वारा इस विषय पर वक्तव्य प्रस्तुत करना एवं मिशन में जुड़े लोगों को प्रेरितिक संकेत देना चाहता है।

नया दस्तावेज पाँच अध्ययों में विभक्त है- पहले अध्याय में समस्याओं पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है तथा दीक्षा के संस्कारों (बपतिस्मा, दृढ़ीकरण, यूखरिस्त) और विवाह के संस्कार पर विशेष ध्यान देने की बात की गयी है।

ईश्वर की मुक्ति योजना में विश्वास एवं संस्कार  

दूसरा अध्यय दस्तावेज का केंद्र-विन्दु है। यह विश्वास एवं संस्कारों के बीच निर्माणात्मक संबंध स्थापित करने के लिए सैद्धांतिक आधार प्रदान करता है, अर्थात् विश्वास किस तरह संस्कारीय है और संस्कार किस तरह सच्चे विश्वास से जुड़े हैं, इसकी व्याख्या देता है। इस अध्याय में मुक्ति की दिव्य योजना के संस्कारीय स्वरूप "मुक्ति की अर्थव्यवस्था" के बारे बतलाया गया है।

तीसरे और चौथे अध्याय में इस बात पर ध्यान दिया गया है कि विश्वास किसी खास संस्कार से किस तरह जुड़ा है। तीसरे अध्याय में आईटीसी ख्रीस्तीय दीक्षा के संस्कारों पर ध्यान केंद्रित करता तथा इस बात पर जोर देता है कि संस्कारों को फलप्रद रूप से ग्रहण करने हेतु विश्वास की आवश्यकता होती है।

"बपतिस्मा प्राप्त अविश्वासियों" के बीच विवाह

विवाह का अध्याय दस्तावेज का सबसे लम्बा अध्याय है। यह एक ओर अन्य संस्कारों के विचार के समान योजना का अनुसरण करता है, धर्मग्रंथ एवं परम्परा के आधार पर विश्वास से संबंध पर गौर करता है, किन्तु विवाह की विशेष प्रकृति के आलोक में यह विश्वास एवं विवाह के अंत के बीच संबंध के सवालों पर भी दृष्टिपात करता है तथा बपतिस्मा प्राप्त अविश्वासियों के बीच विवाह की समस्याओं का सामना करना चाहता है। अंतिम अध्याय विश्वास के संस्कारीय स्वभाव का सार प्रस्तुत करता है।

"संस्कारीय अर्थव्यवस्था में विश्वास एवं संस्कारों के बीच संबंध" को संत पापा फ्राँसिस की राय पर, अंतरराष्ट्रीय ईशशास्त्रीय आयोग के अध्यक्ष, विश्वास के सिद्धांत के लिए गठित परमधर्मपीठीय धर्मसंघ के अध्यक्ष कार्डिनल लुईस लदारिया फेर्रा येसु समाजी के द्वारा प्रकाशन के लिए अधिकृत किया गया है।

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

03 March 2020, 17:09