वयोवृद्धों की उपशामक देखभाल पर वाटिकन विचारगोष्ठी
जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 13 दिसम्बर 2019 (रेई, वाटिकन रेडियो): वाटिकन में 11 एवं 12 दिस्मबर को धर्म एवं नैतिक चिकित्सा विषय पर सम्पन्न एक अन्तरराष्ट्रीय विचारगोष्ठी में उपशामक देखभाल, और वयोवृद्धों के मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान केन्द्रित किया गया।
वाटिकन स्थित जीवन सम्बन्धी परमधर्मपीठीय अकादमी तथा कटर के स्वास्थ्य सम्बन्धी विश्व नवाचार शिखर सम्मेलन (विश) के तत्वाधान में इस विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया था। बुधवार एवं गुरुवार को सम्पन्न विचार गोष्ठी में चिकित्सा नैतिकता के सन्दर्भ में वयोवृद्धों को समग्र देखभाल प्रदान करने हेतु धर्म की भूमिका का परीक्षण किया गया।
मानसिक स्वास्थ्य और वृद्ध लोगों की भलाई
कनाडा से रोम पहुँचे केबेक के काथलिक धर्माध्यक्ष नोएल सिमार्द ने वयोवृद्धों के मानसिक स्वास्थ्य तथा इन्हें उपयुक्त उपचार प्रदान करने के प्रति ध्यान आकर्षित कराया। उन्होंने वाटिकन न्यूज़ से बातचीत में आध्यात्मिक परिप्रेक्ष्य में वृद्ध रोगियों के जीवन की गुणवत्ता को संवर्धित करने की आवश्यकता पर बल दिया।
आध्यात्मिक संगत
उन्होंने कहा, हमें आध्यात्मिक रूप से इन लोगों का साथ देना होगा तथा इन्हें एहसास दिलाना होगा कि अपनी रोगावस्था के बावजूद वे समाज के लिये उपयोगी हैं, समाज का अभिन्न अंग हैं, वे बेकार नहीं हैं। वे शक्तिविहीन नहीं हैं इसलिये कि हम उनके जीवन को अर्थ प्रदान करते हैं। उन्होंने कहा यदि हम मानसिक रोगों के शिकार लोगों के जीवन में आशा और ज्योति ला सकते हैं, तो हम प्रेम, शांति एवं करुणा का वातावरण बना रहे हैं। धर्माध्यक्ष सिमार्द ने कहा, "रिश्तों का जाल बुनना बहुत महत्वपूर्ण है, और एक ऐसे वातावरण का निर्माण करना जहाँ रोगी लोग और बुजुर्ग अपने आप को अकेला न महसूस करें।"
अन्तरधार्मिक परिप्रेक्ष्य
वाटिकन में सम्पन्न उक्त विचार गोष्ठी में मानसिक रोगों से ग्रस्थ लोगों एवं वयोवृद्धों की देखभाल को अन्तरधार्मिक परिप्रेक्ष्य की दृष्टि देखा गया जिसमें काथलिक सहित इस्लाम एवं यहूदी धर्मों के विशेषज्ञों ने भी भाग लिया।
धर्माध्यक्ष सिमार्द ने इस बात को रेखांकित किया कि मानसिक रोगियों एवं वृद्धों की देखभाल केवल किसी एक धर्म के लोगों की समस्या नहीं है बल्कि इस समस्या का सामना सभी धर्मों के लोग कर रहे हैं, अस्तु यह और भी अनिवार्य हो जाता है कि परस्पर बातचीत एवं विचारों के आदान प्रदान से समाधानों की खोज की जाये। उन्होंने कहा, संसाधनों को एकजुट कर सभी धर्म के लोग मानसिक रोगों के शिकार एवं वृद्धों को उपयुक्त उपचार एवं देखभाल प्रदान करने में सहयोग कर सकते हैं।
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