पवित्रभूमि की यात्रा के अवसर पर कार्डिनल सान्द्री, तस्वीर 02.10.2019 पवित्रभूमि की यात्रा के अवसर पर कार्डिनल सान्द्री, तस्वीर 02.10.2019 

ज़िम्मेदार पदों पर आसीन लोग सामान्य जन कल्याण की खोज करें

"लैटिन पश्चिम में पूर्व के ईसाई" शीर्षक से आयोजित अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन को सम्बोधित कर पूर्वी रीति की कलीसियाओं के लिये गठित परमधर्मपीठीय समिति के अध्यक्ष कार्डिनल लेओनार्दो सान्द्री ने गुरुवार को कहा कि जो लोग राजनैतिक, आर्थिक एवं कलीसियाई क्षेत्रों के लिये ज़िम्मेदार होते हैं उन्हें जन कल्याण की बात सोचना चाहिये।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी 

वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 8 नवम्बर 2019 (रेई, वाटिकन रेडियो):  वाटिकन स्थित प्रेरितिक लाईब्रेरी में "लैटिन पश्चिम में पूर्व के ईसाई" शीर्षक से आयोजित अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन को सम्बोधित कर पूर्वी रीति की कलीसियाओं के लिये गठित परमधर्मपीठीय समिति के अध्यक्ष कार्डिनल लेओनार्दो सान्द्री ने गुरुवार को कहा कि जो लोग राजनैतिक, आर्थिक एवं कलीसियाई क्षेत्रों के लिये ज़िम्मेदार होते हैं उन्हें जन कल्याण की बात सोचना चाहिये।

कार्डिनल सान्द्री ने कहा कि पूर्व तथा पश्चिम के ख्रीस्तीयों के बीच आरम्भ ही से एक समृद्ध सम्वाद बरकरार रहा है जिसके अनगिनत साक्ष्य हमें पूर्वी रीति की कलीसिया तथा लातीनी कलीसिया के संग्रहालयों में मिलते हैं।

युसुफ साइमन आस्सेमनी

उन्होंने कहा कि युसुफ साइमन आस्सेमनी के व्यक्तित्व में पूर्व तथा पश्चिम की कलीसियाओं के बीच हम सांस्कृतिक एवं कलीसियाई एकता का साक्ष्य पाते हैं। उन्होंने कहा कि उनके कृतित्व रोम तथा लेबनान के ख्रीस्तीयों को एक सूत्र में बाँधते तथा उन्हें जन कल्याण हेतु कार्य करने की प्रेरणा देते हैं।

ग़ौरतलब है कि जोसेफ साइमन अस्सेमनी का जन्म 27 जुलाई, 1687 को लेबनान के हासरून में हुआ था और 13 जनवरी, 1768 को रोम में उनका निधन हो गया। अस्सेमनी एक लाइब्रेरियन, लेबनानी प्राच्यविद और मारोनी रीति के काथलिक धर्माध्यक्ष थे। उनकी प्रज्ञा एवं प्रयासों के लिए उन्हें "द ग्रेट अस्सेमनी" उपनाम दिया गया था।

ज्ञान का उपयोग भलाई के लिये

कार्डिनल सान्द्री ने कहा कि प्रज्ञा सम्पन्न होते हुए भी आस्सेमनी एक अत्यन्त विनीत व्यक्ति थे जिन्होंने अपने आप को केन्द्र में न रखकर जनकल्याण हेतु प्रति दिन ज्ञानार्जन कर लोगों के बीच मैत्री एवं सदभाव की खोज की। उन्होंने कहा, "आस्सेमनी के व्यक्तित्व में हमने यह जाना कि हमारा ज्ञान और हमारी प्रज्ञा तब ही शक्तिशाली होती है जब हम इसे अन्यों की भलाई के लिये खर्च करते हैं।"   

कार्डिनल महोदय ने कहा कि आस्सेमनी की शिक्षा आज के प्रज्ञाविदों तथा राजनैतिक, आर्थिक एवं कलीसियाई क्षेत्रों के लिये ज़िम्मेदार लोगों का आह्वान करती है कि वे लोगों की भलाई के बारे में सोचें।        

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

08 November 2019, 11:31