खोज

अन्तरराष्ट्रीय एटोमिक एनर्जी एजेन्सी का मुख्यालय, विएन्ना अन्तरराष्ट्रीय एटोमिक एनर्जी एजेन्सी का मुख्यालय, विएन्ना  

वाटिकन ने किया परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग का आह्वान

ऑस्ट्रिया के विएन्ना शहर में इन्टरनेशनल एटोमिक एनर्जी एजेन्सी, आयएईए, की 63 वीं आम सभा में उपस्थित विश्व प्रतिनिधियों को सम्बोधित कर वाटिकन राज्य के विदेश सचिव तथा परमधर्मपीठ के प्रतिनिधि महाधर्माध्यक्ष पौल गालाघेर ने परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग का आह्वान किया।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

विएन्ना, शुक्रवार, 20 सितम्बर 2019 (रेई,वाटिकन रेडियो): ऑस्ट्रिया के विएन्ना शहर में इन्टरनेशनल एटोमिक एनर्जी एजेन्सी, आयएईए, की 63 वीं आम सभा में इस सप्ताह उपस्थित विश्व प्रतिनिधियों को सम्बोधित कर वाटिकन राज्य के विदेश सचिव तथा परमधर्मपीठ के प्रतिनिधि महाधर्माध्यक्ष पौल गालाघेर ने परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग का आह्वान किया।  

उन्होंने कहा कि परमधर्मपीठ इन्टरनेशनल एटोमिक एनर्जी एजेन्सी द्वारा "परमाणु अप्रसार और निरस्त्रीकरण", साथ ही परमाणु तकनीकों के "सुरक्षित और शांतिपूर्ण  विकास और संचालन" की दिशा में किये जा रहे प्रयासों को समर्थन देती है।

विज्ञान, प्रौद्दोगिकी का उपयोग शांति हेतु

वाटिकन राज्य के विदेश सचिव महाधर्माध्यक्ष गालाघेर ने कहा "परमाणु अप्रसार, परमाणु निरस्त्रीकरण और परमाणु प्रौद्दोगिकियों के शांतिपूर्ण उपयोग के व्यापक लक्ष्यों की प्रप्ति इन्टरनेशनल एटोमिक एनर्जी एजेन्सी की हर महत्वपूर्ण रणनीति पर निर्भर है।

महाधर्माध्यक्ष गालाघेर ने कहा, "आयएईए  द्वारा अर्पित विभिन्न परमाणु विज्ञान और प्रौद्योगिकी सेवाएं धारणीय विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद कर सकती हैं। इन सेवाओं को लागू करने के माध्यम से अखण्ड विकास को बढ़ावा मिलेगा तथा ईश्वर की सृष्टि पर मनुष्य के नेतृत्व को अर्थ प्रदान किया जा सकेगा।"  

महाधर्माध्यक्ष गालाघेर ने इस तथ्य की ओर ध्यान आकर्षित कराया कि "मानव स्वास्थ्य, जल और पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन, खाद्य सुरक्षा और कृषि क्षेत्र में आयएईए संगठन की तकनीकी सहयोग परियोजनाओं ने गरीबी उन्मूलन तथा विकास लक्ष्यों को स्थायी रूप से पूरा करने हेतु राष्ट्रों की क्षमता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है"।

विकास का केन्द्रभूत विषय, मानव व्यक्ति  

इस सन्दर्भ में उन्होंने सन्त पापा फ्राँसिस के शब्दों को उद्धृत कर कहा कि हमारे वैज्ञानिक समुदाय ने अन्तर-अनुशासनात्मक वार्ताओं द्वारा धरती के संकटों को परिभाषित करने में मदद है, अब उसका आह्वान किया जाता है कि वह पर्यावर्णीय निकाय की सुरक्षा से जुड़ी समस्याओं का समाधान ढूँढ़े इसलिये कि ये केवल पर्यावरण को ही नुकसान नहीं पहुँचा रही हैं बल्कि हमारे समाज, प्रजातंत्र, न्याय एवं स्वतंत्रता पर दुष्प्रभाव डाल रही हैं।

महाधर्माध्यक्ष ने इस बात पर बल दिया कि हर विकास योजना का लक्ष्य प्रत्येक स्त्री और प्रत्येक पुरुष के अखण्ड विकास को सुनिश्चित करना होना चाहिये। उन्होंने कहा, "विकास का केन्द्रीय  विषय, मानव व्यक्ति है।"

   

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

20 September 2019, 11:39