वाटिकन संचार विभाग के कर्मचारियों से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस वाटिकन संचार विभाग के कर्मचारियों से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस 

साक्ष्य के द्वारा संचार

वाटिकन के संचार विभाग के सदस्यों से 23 सितम्बर को मुलाकात करते हुए संत पापा फ्राँसिस ने संचार के एक अलग रास्ते का सुझाव दिया। उन्होंने एक ऐसा मनोभाव धारण करने की सलाह दी जो ख्रीस्तीय शहीदों के रास्ते का अनुसरण करता है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, मंगलवार, 24 सितम्बर 2019 (रेई)˸ संत पापा ने कहा, "साक्ष्य द्वारा संचार का कार्य करें, संचार में खुद को शामिल करें, संज्ञा के साथ संचार करें, चीजों का नाम लें, और शहीदों की तरह संचार का कार्य करें, जिन्होंने शहीद बनकर ख्रीस्त का साक्ष्य दिया और शहीदों की भाषा सीखें जो प्रेरितों की भाषा है।" 

यह पहली बार था जब संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन के नये संचार विभाग के कर्मचारियों (पत्रकार, तकनीशियन, प्रशासनिक कर्मचारी) से व्यक्तिगत मुलाकात की। वाटिकन संचार विभाग जिसमें परमधर्मपीठ के नौ पूर्व स्वायत्त संचार संस्थाओं को एक साथ लाया गया है। संत पापा फ्राँसिस ने अपने तैयार भाषण को सौंपने के बाद अपने ही शब्दों में उपस्थित कर्मचारियों को सम्बोधित किया। जिसमें उन्होंने पत्रकारों को निमंत्रण दिया कि वे साक्षी बनें, उपनामों और विशेषणों का प्रयोग करने की अपेक्षा संज्ञा के मूल्यों की रक्षा करें और सबसे बढ़कर अपने दैनिक कर्तव्यों में शहीदों के उदाहरणों पर चलें।  

वाटिकन न्यूज के संपादक अंद्रेया तोरनियेली ने कहा कि यह निमंत्रण कर्मचारियों के हृदय को छू देने वाला था। संत पापा ने तकनीकी सलाह नहीं दी। उन्होंने यह भी नहीं कहा कि हमारे श्रोताओं, पाठकों और दर्शकों को अधिक समाचार कवरेज दिया जाना चाहिए, अथवा हमें अधिक वीडियो न्यूज, रेडियो साक्षात्कार अथवा लेखित लेख पर जोर देना चाहिए, बल्कि उन्होंने हमें मूल बातों का स्मरण दिलाया कि परमधर्मपीठ की मीडिया एवं ख्रीस्तियों के संचार का अर्थ है साक्ष्य देना।

साक्ष्य देने के लिए सबसे पहले हमें उसे जीना होगा, उसमें सहभागी होना तथा उन सच्चाइयों से गहराई से प्रभावित होना होगा, जिनका सामना हम कर सकते हैं। हमें लोगों के द्वारा बतलायी जाने वाली कहानियों से अपने आपको घायल होने देना होगा तब हम कहानियों की सुन्दरता, सच्चाई और आशा को प्रकट कर पायेंगे।     

तोरनियेली ने कहा कि संत पापा के शब्दों में ठोस संकेत थे, खासकर, अमाजोन पर सिनॉड जैसी कलीसियाई घटनाओं के महत्व के संबंध में। उन्होंने कहा कि उनका संकेत मीडिया के भीड़ भरे समुद्र और सामाजिक नेटवर्क के जंगल का दिशानिर्देश करने के लिए एक कम्पास के समान है। खासकर लोगों के लिए जो अपने दैनिक साक्ष्यों में, विश्वास को राजनीति तक सीमित करते अथवा ख्रीस्त के शरीर कलीसिया के जीवन को युद्ध दल के रूप में प्रस्तुत करते हैं। यह उन लोगों के लिए मार्गदर्शन है जो लोग धर्मशिक्षा को नारों तक सीमित करते या विभाजन की भाषा का प्रयोग करते हैं अथवा जो अपने भाई-बहनों का उनके विश्वास, उनके चरवाहों एवं संत पेत्रुस के उतराधिकारी का मजाक उड़ाते हैं।

शहीदों के उदाहरणों को हमारे सामने रखते हुए संत पापा ने सुसमाचारी साक्ष्य के बारे बतलाया। उन्होंने कहा, "हमारे शहीद ही हैं जिन्होंने कलीसिया को जीवन दिया है न कि कलाकार, महान उपदेशक अथवा सच्चे और सम्पूर्ण धर्मसिद्धांत के रक्षक। शहीदों का साक्ष्य ही है जिसने सुसमाचार के लिए अपना जीवन दिया, अपने प्रेम द्वारा शत्रुओं पर विजय पायी और जिन्होंने ख्रीस्त के रास्ते को अपनाया जो सबों की मुक्ति के लिए अपना बलिदान कर दिया। यही ख्रीस्तीय तरीका है जिसको संप्रेषण में कार्य करते समय कभी नहीं भूलना चाहिए। विभाजन के बदले एकता और प्रेम का प्रचार करना चाहिए जो एकजुट करता न कि घृणा उत्पन्न करता और बांटता है। कलीसिया का स्वभाव केवल मानवीय, राजनीतिक और विभाजनकारी तर्क की संरचना तक ही सीमित नहीं है।

क्या यह एक ऐसा मनोभाव है जो बहुधा मीडिया की मुख्यधारा के विपरीत दिशा में जाता हुआ दिखाई पड़ता है? जी हां, यही वह मनोभाव है, जिसको संत पेत्रुस के उतराधिकारी ने हमें कर्तव्य के रूप में सौंपा है। उन्होंने हमें "क्लीक और लाईक" के एक सफलता लिंक का पीछा नहीं करने, बल्कि साक्ष्य देने के लिए प्रेरित किया है ताकि हम संचार के रूप में अपने दैनिक कार्यों से संबंध और रिश्ते जोड़ सकें। सबसे बढ़कर उन्होंने निमंत्रण दिया कि हम उन लोगों को सुन्दरता, सच्चाई और आशा की एक झलक दे सकें जो हमें सुनते, देखते अथवा पढ़ते हैं।      

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24 September 2019, 17:05