बीजिंग के एक गिरजाघर में प्रार्थना करते हुए विश्वासी बीजिंग के एक गिरजाघर में प्रार्थना करते हुए विश्वासी 

चीन में पुरोहितों के पंजीकरण पर परमधर्मपीठ का दिशा-निर्देश

परमधर्मपीठ की ओर से धर्माध्यक्षों और पुरोहितों के लिए सरकारी अधिकारियों के अनुरोध के जवाब में नागरिक पंजीकरण करने के लिए काथलिक सिद्धांत और विवेक की सुरक्षा पर प्रेरितिक दिशानिर्देश।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शनिवार 29 जून 2019 (वाटिकन न्यूज) : चीन की काथलिक समुदाय अभी भी जिस स्थिति में रहते हैं, उस स्थिति में सभी के विवेक की स्वतंत्रता, निकटता और समझ का पूर्ण सम्मान करते हुए संत पेत्रुस के उत्तराधिकारी चीन के पुरोहितों और काथलिक कलीसिया को पंजीकरण की अनुमति देते हैं। पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के धर्माध्यक्षों और पुरोहितों के लिए परमधर्मपीठ ने प्रेरितिक दिशा-निर्देश दिया है।

दस्तावेज़ के मूल में चीन के पुरोहितों द्वारा वाटिकन भेजे गये कई सवाल हैं। राजनीतिक अधिकारियों द्वारा स्थापित कानून के अनुसार पंजीकरण करने के दबाव के अनुरोध का सामना करने के लिए किस तरह का व्यवहार करना चाहिए? कुछ समस्याग्रस्त दस्तावेज द्वारा प्रतिनिधित्व विवेक के दुविधा के साथ क्या करना है जिन्हें अक्सर सदस्यता के लिए कहा जाता है?

इन सवालों का सामना करते हुए, परमधर्मपीठ ने सबसे पहले एक सामान्य सिद्धांत को दोहराते हुए जवाब दिया: अपने विवेक की स्वतंत्रता का सम्मान किया जाना चाहिए और इसलिए किसी को भी ऐसा कदम उठाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता जिसे वह पूरा करने का इरादा नहीं रखता हो।

पंजीकरण के लिए आवश्यक तथ्य

पंजीकरण पर हस्ताक्षर करते वक्त सबसे पहले स्थान पर यह ध्यान रखना आवश्यक है कि पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना का संविधान औपचारिक रूप से धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है। (अनु. 36)

दूसरे स्थान पर, 22 सितंबर 2018 का अस्थायी समझौता, पेत्रुस के उत्तराधिकारी की विशेष भूमिका को मान्यता देते हुए, तार्किक रूप से परमधर्मपीठ को चीन में काथलिक की "स्वतंत्रता" को समझने और व्याख्या करने का नेतृत्व करता है, अर्थात् संत पापा और विश्वव्यापी कलीसिया से पूर्ण रूप से अलगाव नहीं, बल्कि राजनीतिक परिपेक्ष्य में, जैसा कि दुनिया में हर जगह विश्वव्यापी कलीसिया और विशेष कलीसिया के बीच संबंधों में होता है।

तीसरे स्थान पर, चीन और परमधर्मपीठ के बीच वास्तविक संबंधों के संदर्भ में, जैसा कि दो पक्षों के बीच एक समेकित बातचीत से होते हैं, उससे भिन्न होता है, जिसने 1950 के दशक में देशभक्ति संरचनाओं का जन्म देखा था।

चौथे स्थान पर, एक विशेष मुद्दे को जोड़ा जाना चाहिए, अर्थात्, पिछले  वर्षों में, कई धर्माध्यक्षओं को प्रेरितिक जनादेश के बिना अभिषेक किया गया था, उन्हें पेत्रुस के उत्तराधिकारी के साथ सामंजस्य स्थापित करने और सुलह करने को कहा गया, ताकि आज जितने भी चीनी धर्माध्यक्ष परमधर्मपीठ के साथ जुड़े हैं वे पूरे विश्व के काथलिक धर्माध्यक्षों के साथ अधिक से अधिक एकीकरण की इच्छा रखते हैं।

इन तथ्यों के प्रकाश में, कलीसिया के जीवन के बारे में व्यावहारिक प्रश्नों को संबोधित करते हुए, एक नए दृष्टिकोण की अपेक्षा करना वैध है। अपनी ओर से परमधर्मपीठ धर्माध्यक्षों और पुरोहितों के नागरिक पंजीकरण के बारे में चीनी अधिकारियों के साथ बातचीत जारी रखी है ताकि एक फार्मूला खोजा जा सके, जो पंजीकरण की अनुमति देते समय न केवल चीनी कानूनों बल्कि काथलिक सिद्धांत का भी सम्मान करेगा।

साथ ही परमधर्मपीठ समझती है और उन लोगों के निर्णय का सम्मान करती है, जो अंतरात्मा की आवाज में फैसला करते हैं कि वे वर्तमान परिस्थितियों में पंजीकरण करने में असमर्थ हैं। परमधर्मपीठ उनके करीब है और प्रभु से अपने भाइयों और बहनों की रक्षा हेतु प्रार्थना करते हैं। प्रभु उनकी कठिनाइयों से उबरने और परीक्षा की घड़ी में साहस प्रदान करें।

धर्माध्यक्षों का दायित्व

धर्माध्यक्षों को अपनी ओर से अपने पुरोहितों द्वारा किये गये कार्यों के प्रति सार्वजनिक रुप से सम्मान प्रकट करना चाहिए, अगर वे इसके लायक हैं, तो उन पर भरोसा और उनकी प्रशंसा करनी चाहिए। उसे अपने अधिकारों का सम्मान करने के लिए दूसरों का सम्मान करना चाहिए और अन्यायपूर्ण आलोचना के खिलाफ उनका बचाव करना चाहिए। ऐसे विवाद जो प्रेरितिक कार्यों को नुकसान पहँचाते हैं, तुरंत ही उनका हल ढूँढ़ने के लिए काम करना चाहिए, ताकि अनावश्यक परेशानी से बचा जा सके।”(अपोस्तोलोरुम सक्सेसर्स, धर्माध्यक्षों की प्रेरितिक कार्यों की निर्देशिका ( 22 फरवरी 2004, नम्बर 77)

अंत में, परमधर्मपीठ को विश्वास है कि हर कोई इन प्रेरितिक संकेतों को उन विकल्पों की मदद करने के रूप में स्वीकार कर सकता है जो विश्वास और एकता की भावना से ऐसे विकल्पों को का चुनाव करने में मदद देता है। इसमें शामिल सभी लोग, परमधर्मपीठ, धर्माध्यक्ष, पुरोहित, धर्मसंघी, धर्मबहनें और लोकधर्मी चीन की कलीसिया की यात्रा पर धैर्य और विनम्रता के साथ ईश्वर की इच्छा को समझने, मुश्किलों का सामना करने के लिए बुलाये गये हैं।                     

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29 June 2019, 15:50