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इटली के नेपल्स बन्दरगाह पर आप्रवासी, तस्वीर 20 जून 2019 इटली के नेपल्स बन्दरगाह पर आप्रवासी, तस्वीर 20 जून 2019  

आप्रवासी एवं शरणार्थी, योगदान एवं वर्तमान चुनौतियाँ

19 जून को वाटिकन रेडियो में, कूटनीतिज्ञों एवं बुद्धिजीवियों के बीच एक विचार-गोष्ठी सम्पन्न हुई जिसमें इस तथ्य पर बल दिया गया कि आप्रवासियों एवं शरणार्थियों के प्रति लोगों में भय को मिटाने का सर्वाधिक प्रभावशाली अस्त्र सम्वाद है।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 21 जून 2019 (रेई, वाटिकन रेडियो):  संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 20 जून को निर्धारित विश्व शरणार्थी दिवस की पूर्व सन्ध्या, 19 जून को वाटिकन रेडियो में, कूटनीतिज्ञों एवं बुद्धिजीवियों के बीच एक विचार-गोष्ठी सम्पन्न हुई जिसमें इस तथ्य पर बल दिया गया कि आप्रवासियों एवं शरणार्थियों के प्रति लोगों में भय को मिटाने का सर्वाधिक प्रभावशाली अस्त्र सम्वाद है।   

परमधर्मपीठ में आर्जेनटीना के राजदूतावास एवं वाटिकन विदेश सच्चिवालय ने संयुक्त रूप से, "प्रवासी और शरणार्थी, योगदान और वर्तमान चुनौतियाँ", शीर्षक के अन्तर्गत, विचार-गोष्ठी का आयोजन किया था जिसमें संयुक्त राष्ट्र संघ एवं अन्य लोकोपकारी संगठनों के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया।

विचार गेष्ठी का नेतृत्व वाटिकन राज्य के विदेश सचिव महाधर्माध्यक्ष पौल गालाघार तथा विश्वव्यापी काथलिक उदारता संगठन "कारितास इन्तरनासियोनालिस" में वकालात की निदेशिका डॉ. मार्टिना लीब्श ने किया।

विचार गोष्ठी के बाद वाटिकन रेडियो से बातचीत में डॉ. लीब्श ने कहा कि आप्रवासियों एवं शरणार्थियों के विरुद्ध भ्रामक विचारों एवं पूर्वधारणाओं को मिटाने का सबसे उमदा अस्त्र सम्वाद है किन्तु यह एकमात्र अस्त्र नहीं है, इसके अतिरिक्त, उन्होंने कहा, "लोगों को उनके अधिकार दिये जाने चाहिये, उन्हें उपयुक्त सेवाएँ प्रदान की जानी चाहिये ताकि वे प्रतिष्ठापूर्ण ज़िन्दगी जी सकें।"

भय और सम्वाद

डॉ. लीब्श ने कहा कि केवल इस बात पर ध्यान नहीं दिया जाना चाहिये कि लोग क्यों आप्रवासियों एवं शरणार्थियों से डरते हैं बल्कि यह जानने का भी प्रयास किया जाना कि आप्रवासी और शरणार्थी किस बात से डरते हैं। एक सिरियाई शरणार्थी एवं एक अमरीकी महिला के बीच बातचीत के बारे में उन्होंने बताया कि शरणार्थी की व्यथा उसके मुख से सुन लेने के बाद उन्हें एहसास हुआ कि केवल आँकड़ों पर विश्वास कर लेना ही पर्याप्त नहीं है।

उन्होंने कहा, "मैंने हमेशा आंकड़ों के माध्यम से आप्रवास को देखा है और इन आंकड़ों से मैं भयभीत हुई हूँ, किन्तु अब मैंने किसी की व्यथा उसके मुख से सुनी है और मेरी समझ में बदलाव आ गया है, मेरी समझदारी गहन हुई है और अब मैं देख सकती हूँ इस तथ्य के पीछे क्या सच्चाई है।?"

डॉ. लीब्श के अनुसार, "यह एक भ्रम और मिथक है कि यूरोप में बड़े पैमाने पर आप्रविसयों का आगमन हो रहा है क्योंकि विश्व के बहुत से निर्धन देशों में यूरोप की तुलना में आप्रवासियों एवं शरणार्थियों की संख्या कहीं अधिक है।"  

विश्व शरणार्थी दिवस

विश्व शरणार्थी दिवस के विषय में उन्होंने कहा, "यह भूला दिये गए संकटों के बारे में लोगों को याद दिलाने का एक तरीका है, साथ ही यह सभी आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों के प्रति लोगों का ध्यान आकर्षित करने का माध्यम है, क्योंकि विस्थापन हमारे युग की एक और गम्भीर वास्तविकता है..."

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21 June 2019, 11:15