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कार्डिनल परिषद की 30वीं सभा

कार्डिनल परिषद की 30वीं सभा वाटिकन में 25 जून को शुरू हुई जिसका संचालन संत पापा फ्राँसिस करेंगे। कार्डिनल परिषद सभा की मुख्य विषयवस्तु है नये प्रेरितिक संविधान पर कार्य को आगे बढ़ाना जिसका संभावित शीर्षक है "प्रेदिकाते एवंनजेलियम"। सभा 27 जून तक जारी रहेगी।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

कार्डिनल परिषद द्वारा अनुमोदित मसौदा को राष्ट्रीय धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों, पूर्वी कलीसियाओं के सिनॉड, परमाध्यक्षीय रोमी कार्यालय के विभिन्न विभागों, धर्मसंघों के परमाधिकारियों के सम्मेलन एवं परमधर्मपीठ के कुछ विश्वविद्यालयों को भेजा गया था तथा उनसे सलाह और टिप्पणी भेजने का आग्रह किया गया था।

इस दस्तावेज को संत पापा जोन पौल द्वितीय द्वारा प्रकाशित "पास्तोर बोनुस" (28 जून 1988 में प्रकाशित) के स्थान पर रखे जाने की मांग की गयी है।  

पिछली सभा का निष्कर्ष   

कार्डिनल परिषद की पिछली सभा 8 से 10 अप्रैल को हुई थी जिसमें नये प्रेरितिक संविधान पर परामर्श के लिए प्रक्रिया जारी की गई थी। परिषद के सभी छः कार्डिनलों ने सभा में भाग लिया था। परिषद के सदस्य हैं – वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल पियेत्रो परोलिन, कार्डिनल संयोजक ओस्कार अंद्रेस रोड्रिगेज मारादियेगा, कार्डिनल रेनहार्ड मार्क्स, कार्डिनल सीन पैट्रिक ओमाले, कार्डिनल जुसेप्पे बेरतेल्लो और कार्डिनल ऑस्वल्ड ग्रेसियस। सभा में कार्डिनल परिषद के सचिव मोनसिन्योर मरचेल्लो सेमेरारो और उपसचिव मोनसिन्योर मार्को मेल्लिनो भी उपस्थित थे। अप्रैल की सभा में दस्तावेज के अलावा, प्रेरितिक दिशा जिसको कूरिया को नये प्रेरितिक संविधान के प्रकाश में लेना है, हर स्तर पर कलीसिया में धर्माध्यक्षीय धर्मसभा (सिनॉडालिटी) की प्रक्रिया को मजबूत करने हेतु समर्पण, परमधर्मपीठ की प्रबंधकीय भूमिकाओं में महिलाओं की अधिक उपस्थिति की आवश्यकता आदि विषयों पर भी चर्चा की गयी थी।  

अंततः इस बात पर गौर किया गया था कि कार्डिनलों की परिषद, वह ईकाई है जिसका कार्य है विश्वव्यापी कलीसिया के प्रशासन में परमधर्माध्यक्ष को सहयोग देना अतः इसका कार्य प्रेरितिक संविधान के प्रकाशन के साथ समाप्त नहीं हो जाता है।  

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25 June 2019, 17:14